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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palवर्तमान में कैंसर से पीड़ित मीडिया जिसने न सिर्फ समाज एवं लोकतंत्र को पीड़ित कर रखा है बल्कि अपने मुल्क की अवाम के मन को ज़हर से भर दिया है।मेरा उद्देश्य कविताए लिखने का जनता को मीडिया के अनैतिक कृत्यों से जागरूक और रुबरु कराना है।मीडिया जो को लोकतंत्र का चौथा खम्भा होता है, उसको लोकहित में सत्ता से सवाल पूछना चाहिए वो सत्ता की जीहुजूरी कर रहा है जो की लोकतंत्र अथवा मुल्क के लिए हानिकारक है| मीडिया स्वयं अपनी आबरू बेच चुका है ऐसे हालातो में जनता को मुल्क की हिफाज़त के प्रति सचेत होकर मीडिया से सवाल पूछने चाहिए और मीडिया द्वारा जवाब न देने पर कानून में अनेक दिए प्रावधानों में मीडिया के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।मीडिया पर समाज की आर्थिक राजनैतिक और सामाजिक स्तिथि को दर्शाने की ज़िम्मेदारी का बड़ा दारोमदार है जो की आज का मुख्यधारा मीडिया दिखाने से अक्सर कतरा रहा है।मुल्क की ताक़त अवाम है,ऐसा माना जाता था एक ज़माने में की मीडिया सच ढूंढ कर लाता था और आज ठीक उल्टा है मीडिया सिर्फ झूठ दिखाता है,ऐसे में अवाम को मुल्क की हिफाज़त खुद करनी चाहिए मीडिया पर निर्भर होने की कोई ज़रुरत नहीं लाज़मी।गुज़ारिश करता हूँ अवाम से की मीडिया की इस ज़ालिम हरकत से सतर्क हो जाएं।अगर मेरे मुल्क की एक भी शख्सियत मेरी कविता से प्रभावित होती है मुल्क की हिफाज़त के खातिर तो मैं मान लूंगा की मेरी कविता लिखने का उद्देश्य सफल हुआ।
शिखर
कवि का जन्म उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में दिनांक 3 सितम्बर,1989 को हुआ था।
कवि बचपन से प्रखर बुद्धि के बालक थे जो की खेल-कूद और पढ़ने में अव्वल थे। नयी चीज़ो में काफी रूचि रखते थे और काफी जिज्ञासु थे।
उनको बचपन से ही क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पढ़ने का काफी शौख था , उनके नाना नानी और दादा दादी उनको स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानी सुनाया करते थे जिसको सुनकर उनके मन में इन्किलाबी विचार विकसित हो गए।
कवि ने पत्रकारिता एवं विधि में स्नातक लखनऊ से किया, उनको अत्याचार कतई बर्दाश्त नहीं, कवि अत्याचार के खिलाफ इन्किलाबी रवैया अपनाना उचित समझते हैं।
कवि की राय में अगर अत्याचार हो रहा हो तो विधिपूर्ण क्रांति फैलानी चाहिए,जिससे की समाज में जागरूकता फैले।
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