Share this book with your friends

SPANDAN / स्पन्दन

Author Name: SUDHANSHU RANJAN | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

कविता, एहसास की गहराईयों से उठ कर, शब्द रचना के प्रवाह से, पाठक के हृदय को स्पर्श करने का एक सशक्त माध्यम है | जब कवि का भाव पाठक के दिल में उतर जाता है तो कविता सार्थक होती है | ऐसे ही प्रयास की प्रस्तुति है मेरी यह कविता संग्रह “स्पंदन”  |

कविता मेरी वह प्रवाह है बहती धारा का रिसाव है |
शब्द, ज्ञान, रस, रंग, विचारों के मिश्रण का शुद्ध भाव है ||

यह मेरी सजीव संगिनी है जो हमें सुधि पाठकों से जोड़ती है |

कब फिर वह तान सुनायेगी,

वह राग माधुरी आयेगी, 
कब फिर वह नव-रस मे सन कर, 

अनुपम प्रवाह मे निखर निखर, 
वह मधुर रागिनी फिर कब से,

निकलेगी अंतर्मन उर से । 

Read More...
Paperback
Paperback 215

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

सुधांशु रंजन

सुधांशु रंजन ने 36 वर्षों की भारतीय रिजर्व बैंक की सेवा सम्पन्न की है | काव्य रचना, लेखन के प्रति इनकी विशेष अभिरुचि है | इन्हों ने समसामयिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, देशभक्ति, सौंदर्य व शृंगार, उत्सव व त्योहार, भावनात्मक तथा आध्यात्मिक व धार्मिक विषयों पर अनेक लेख, कवितायें व भजन की रचना की है | लेखन के प्रति नैसर्गिक प्रवृत्ति का विकास और उसमें मजबूती संत पिता और तपस्विनी माता की छत्रछाया में हुआ |

यह यात्रा जीवन के प्रारम्भिक दिनों में शुरू हुई जब एक दिन व्यक्ति और समाज को प्रभावित  करने वाले विषय और उस पर हमारा संकल्प और प्रतिज्ञा क्या हो जिससे हमारा देश मजबूत और शानदार बने, पर अक्समात एक कविता लिखी गयी |

“विवशता वर्तमान की-एक संकल्प”

”आज खुद अपने घरों में तंग रहता आदमी,      

भूख और लाचारियों  से जंग  लड़ता आदमी ।

था जहाँ संचार  सुख का संपदा अनमोल थी,

आज उस धरती पर बैठा रंक लगता आदमी ।“

 

इस पर पिता की खूब सराहना मिली | उसके बाद इन्हों ने  अनेक उत्कृष्ट रचनाएँ की |

एक प्रबुद्ध लेखक और कवि, इन्हों ने मानवीय मूल्य,सामाजिक, आध्यात्मिक और भक्ति के विषयों पर अनेक लेख और कवितायें लिखी हैं | 

Read More...

Achievements