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Tat Chhod Ke Baho / तट छोड़ के बहो

Author Name: Ashish, Sweta | Format: Paperback | Genre : Self-Help | Other Details

● 'तट छोड़कर बहो' में 'तट' का अर्थ है हमारी पुरानी धारणा और तर्कहीन पूर्वाग्रह। जिस प्रकार मिट्टी, गाद, कूड़ा-कचरा तट पर इकट्ठा होकर नदी के प्रवाह को रोकते हैं। वैसे ही पुरानी धारणाएं और तर्कहीन पूर्वाग्रह व्यक्ति के विकास (शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, भावनात्मक और सामाजिक) को प्रभावित करते हैं।

● यह एक निर्माण पुस्तिका है। इसका प्रत्येक अध्याय हर कदम पर कामयाबी का सपना देखने से लेकर उन सपनों को सच करने तक के रास्ते उदाहरण सहित बताती हैं।

यह पुस्तक आपकी मदद करेगी

● अपनी पुरानी धारणाओं और तर्कहीन पूर्वाग्रहों को छोड़कर खुशहाल और सुखी जीवन जिया जा सकता है।

● अपनी कमजोरियों को खूबियों में बदलकर सफलता हासिल करें।

● महान लोगों की जीवनी के माध्यम से बताए गए नियम और सिद्धांत सर्वव्यापी है जो हर हालात, हर मुल्क, हर संगठन में अपनाए जा सकते हैं।

● हार को जीत में किस तरह बदलें।

● ताकि आप तट छोड़कर उन्मुक्त बह सकें विशाल समुंदर की ओर...

' जो लोग अपनी जिंदगी बेमकसद, किस्मत के भरोसे, नाखुशी और भूतकाल में गुजार रहे हैं यह किताब उनके लिए नहीं है।'

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आशीष, श्वेता

ता एवं आशीष छोटे नगरों से संबंध रखते हैं। लेकिन अपनी सोच और दूरदृष्टि में बहुत ही स्पष्ट और दृढ़ है। मानव मनोविज्ञान के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं पर गहरी समझ रखने वाले दोनों लेखक बीते पांच वर्षों में लगभग दस हजार युवाओं को नेतृत्व एवं बेहतर जिंदगी जीने के लिए प्रशिक्षित कर चुके हैं। ये, CMS Social Welfare Foundation के संस्थापक हैं। जो शिक्षा और पर्यावरण के लिए समर्पित संगठन है। ऊर्जा से भरपूर श्वेता एवं आशीष को अपने अगले प्रशिक्षण संबोधन के लिए आमंत्रित करके आप स्वयं को और अपनी संस्था को महानता के स्तर पर ले जाने में मदद कर सकते हैं। उनका कथन है: असल बनो, सरल बनो, शानदार बनो।

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