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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइंसानी मोहब्बत की क्षणभंगुरता में यकीन के कारण ईश्वरीय प्रेम की राह चुनने वाला अयान अपनी ध्यान शक्ति से अक्सर एक ऐेसे सुनहरे द्वार तक पहुँचता है, जिसे उसकी आध्यात्मिक चेतना परमात्मा जगत का प्रवेश द्वार समझती है। ईश्वरीय कृपा हासिल करने की नाकाम कोशिशों के बीच संयोगवश बड़ोदरा में शहनाज से हुई अयान की मुलाकात उसे जुनून भरी मोहब्बत की तरफ ले जाती है। अयान शहनाज की मोहब्बत खो देता है, और अपने दिल में गहरी खलिश लिए हुए बनारस चला जाता है, जहाँ देवयानी उसकी अधूरी ख्वाहिशों को नये पंख देती है। देवयानी और अयान जिस्मानी मोहब्बत की एक ऐसी दुनिया सिरजते हैं, जहाँ सेक्स और मल्टीपल ऑर्गेज्म उनके लिए एक ऐसी पवित्र अवस्था है, जहाँ वो स्वयं को परमात्मा के अत्यन्त निकट महसूस करते हैं। ‘शरीरों के मिलन से आगे जा चुकी उनकी रूहानी मोहब्बत अपनी बुलन्दियों पर होती है, तभी देवयानी भी अयान से जुदा हो जाती है।’
मोहब्बतें खोने के असहनीय गम के बीच जब मोहब्बत अयान के दिल पर फिर से दस्तक देती है, तो उसे चुनाव करना है ‘फिर किसी स्त्री से मोहब्बत कर क्षणभंगुर प्यार का जोखिम लेने का या अपने खुदा से प्रेम की राह पर चलने का। क्या दुखों के जंगल में भटकता हुआ अयान अपनी ध्यान शक्ति से सुनहरे द्वार के उस पार जाने के रहस्यमय और रोमांचक सफर को तय कर परमात्मा के आलौकिक जगत में जा सकेगा? ‘वहाँ जहाँ ईश्वर का बरसता हुआ प्रेम, इंसानी मोहब्बत की तरह क्षणभंगुर नहीं, बल्कि शाश्वत है।’
यह कहानी आपकी आत्मा को झकझोर देगी और आपको व्यक्तिगत आत्मा और सभी आत्माओं के पिता के लिए अपने प्यार के बारे में सोचने और देखने के लिए विवश करेगी।
डा.धर्मेन्द्र कुमार
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी और स्वीडन के लुण्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त डा. धर्मेन्द कुमार कुमार फिलवक्त बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बाँदा में प्रोफेसर हैं। एक पादप रोग वैज्ञानिक के रूप में डा. धर्मेन्द्र कुमार ने ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय और अर्न्तराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिकाओं में कई शोध पत्र प्रकाशित किये हैं तथा उन्हें डी.एस.टी. बायसकास्ट फेलो एवार्ड, एम.के.पटेल मेमोरियल यंग साईन्टिस्ट एवार्ड, डिस्टयूंगिस्ट साइंटिफिक एवार्ड, एक्सीलेंस इन टीचिंग एवार्ड तथा इन्डियन फाइटोपैथोजिकल सोसाईटी के फेलो एवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। शिक्षक और वैज्ञानिक के रूप में अपनी व्यवस्थित भूमिकाओं के अतिरिक्त डा. धर्मेन्द कुमार लेखन का कार्य भी करते हैं। ‘एक लम्हे का ख्वाब’, ‘देवव्रत’ तथा ‘पादप रोग विज्ञान का संक्षिप्त इतिहास और पादप रोग प्रबंधन’ के प्रकाशन के बाद ‘द लास्ट लव’ लेखक की चौथी पुस्तक है।
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