You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palटुकड़ा टुकड़ा चाँद मेरा प्रथम काव्य संकलन है ,मैंने पहली बार अपने विचारों को शब्दों में रखा है ।ये एक काव्य संकलन ही नहीं मेरे जज़्बातों का पुलिंदा है जहाँ मैं ने अंतर्मन अनुभूतियों, प्रेम , बिछोह तथा सामाजिक समस्याओं को कहने का प्रयास किया है।ये अपने आस पास के जीवन के और अपने स्वानुभवों के बहुत छोटे छोटे लेकिन मार्मिक पलों को बहुत गहरी संवेदनशीलता के साथ छूती है।मैं जो भी देखती हूँ सुनती हूँ वो मेरे दिल में में कहीं अंदर उतर जाता है और वही लिपिबद्ध होकर रचना का रूप ले लेता है।मेरी रचनाएँ कुछ संकोची और दबी ज़बान में बात करती हैं खुल कर नहीं बोलतीं कि कहीं वो अपनी वास्तविकता ना खो दें।जीवन के विभिन्न पहलुओं और मानव के सूक्ष्म चिंतन को दर्शाती है।अधिकांश कविताओं की पृष्ठभूमि में पार्श्वसंगीत की तरह मानवता की पीड़ा और उसके अवसाद की अनुगूंज अनवरत सुनाई देती रहती है।मेरे अनुसार इस अदम्य पीड़ा से दो-चार करना कविता ही सिखाती है।इस संग्रह में आप भिन्न भिन्न रोचक कल्पनाओं से सजी कविताएँ पाएँगे ।संग्रह की पहली कविता ‘टुकड़ा टुकड़ा चाँद’ मेरे जीवन का सार है जिसे मैंने सर्व प्रथम प्रस्तुत किया है।मज़दूर कविता मज़दूरों की स्थिति पर सोचने को मजबूर करती है।’कलम उठाए ढूँढ रही हूँ’ असमंजस की स्थिति बयान करती है, कविता ‘ मैं और तुम- यही प्यार है’ ये तमाम बुजुर्गों के प्यार और समर्पण कि कहानी है।ऐसी अनेक कवितायें हैं जहाँ आप खुद को जोड़ पाएँगे धन्यवाद।
ऋचा सिन्हा
ऋचा सिन्हा का जन्म १३ अगस्त को उत्तर प्रदेश के कैसर गंज जिला बहराइच में हुआ था और लालनपालन शिक्षा दीक्षा आगरा में स्थित दयालबाग में हुई।इनकी बचपन से ही हिंदी और अंग्रेज़ी साहित्य मेंरुचि रही है।इन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर और बी एड किया है।आँख खुली तो खुद को किताबों केबीच पाया क्योंकि पापा दयालबाग़ यूनिवर्सिटी, आगरा में लायब्रेरीयन और माँ उसी यूनिवर्सिटी मेंअध्यापिका थीं घर में बचपन से ही साहित्यिक वातावरण था।पढ़ते पढ़ते ना जाने कब लिखने लगी पता हीनहीं चला।लिखना पढ़ना गाना नाचना मेरे शौक़ हैं।यें बचपन से ही अलग अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सालेती आई हैं।कुछ समय असम में रहने के बाद मुंबई आ गई और तब से यहीं रहती हैं।
एक स्कूल मे अंग्रेज़ी की अध्यापिका हैं ।पर हिंदी जो उनके दिल में बसती है उसी में रचनाएँ लिखती हैं।
इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुकीं हैं
साझा पुस्तक भी जल्द ही आने वाली है।
निवास स्थान - D 404, अकुरथ,सेक्टर 14, प्लॉट 11, सानपाड़ा, नवी मुंबई , महाराष्ट्र 400705
Phone- 9892278325
ई मेल- richars13@gmail.com
Facebook - https://www.facebook.com/richa.sinha.524
Instagram - https://www.instagram.com/richasinha9/
Twitter - @richarichars13
Youtube - youtube.com/user/richars13
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.