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Vyakarana Ashtadhyayi / व्याकरण अष्टाध्यायी वार्तिक - गण पाठ सहित

Author Name: Panini | Format: Paperback | Genre : Reference & Study Guides | Other Details

पाणिनीय अष्टाध्यायी केवल संस्कृत व्याकरण के लौकिक एवं वैदिक पदों की सिद्धिमात्र ही नहीं करती, अपितु इसके अध्ययन से समाजशास्त्र (मानवशास्त्र), इतिहास (पुराण), राजनीति एवं भूगोल
आदि का भी परिनिष्ठित ज्ञान प्रदान करती है। इसके साथ ही लगभग चार हजार सूत्रों के माध्यम से प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक और भौगोलिक परिस्थितियों का विश्लेषण भी करती है।


महर्षि पाणिनि द्वारा प्रणीत व्याकरण शास्त्र का प्राचीन काल में उनकी अष्टाध्यायी का अध्ययन-क्रम सूत्रपाठ-क्रमानुसारी ही था। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी को जो पहले कण्ठस्थ करके पढ़ना चाहते हैं, यह पुस्तक उन लोगों के लिये उपकारी है। 

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पाणिनि

पाणिनि जी का जन्मस्थान शलातुर ग्राम था। शलातुर का अपभ्रंश सलातुर लाहुर या लाहौर शब्द बन गया है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि अटक के पास लाहुर ग्राम ही शलातुर था, लाहौर स्थान अब पाकिस्तान


में है।यह सर्वथा सत्य है कि पाणिनि की माता का नाम दाक्षी था।पाणिनि जी के पिता का नाम शालङ्कि (शलङ्कु) था। पाणिनि जी के अनुज का नाम पिङ्गल था। यह वही पिङ्गलाचार्य माने जाते हैं जिन्होंने पिङ्गलशास्त्र (छन्द शास्त्र) की रचना की।पाणिनि के गुरु जी का नाम वर्ष या उपवर्षोपाध्याय था

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