Share this book with your friends

Wajah "TUM" Ho / वजह "तुम" हो

Author Name: Namrata Shukla | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

“मैं” और “तुम” के फर्क को दूर करती हुई ये कविताएं, मुझमें भी तुम्हें खोजने का, "तुम" में “मैं” हो जाने का एक ज़रिया है।

जो जीवन के छोटे छोटे पलों में छुपे जज्बातों को बयान करती है।लिखने की वजह को ढूंढते हुए,अपनी कलम की स्याही को पहचानने का एक सफर है, ये कविताएं।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

नम्रता शुक्ला

“कौन हूँ मैं ?”

हाँ यूं तो मैंने बहुत से किस्से, कविताएं लिखी है लेकिन बात जब खुद के बारे में लिखने की आई तो मेरी कलम बस थम के रह गई !

 कौन हूँ मैं ?

 हाँ अगर किसी से भी ये सवाल पूछा जाएगा तो वह अपने बारे में बहुत कुछ कह जाएंगे ! लेकिन मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं निकलता है, सिवाय इसके कि मैं एक गृहणी और एक शिक्षिका हूँ ! हाँ कुछ चुनिंदा शौक भी है जो महीने के एक आध दिन का हिस्सा बन पाते है! लेकिन अब भी वही सवाल…

 कौन हूँ मैं ? 

एक बंद किताब के पन्नों सी, एक बंद फूल की कली सी,एक बंद तिजोरी में रखे खजाने सी ! जिनमें बंद बैठे है कई जज़्बातों के सैलाब जो कई पन्ने भरते चले जाते है, कई महकते हुए से पैगाम जो चारों तरफ खुशबू से फैल जाते है, और कई चमकते हुए से ख्वाब जो कभी पूरे तो कभी अधूरे से रह जाते है।

और अब भी यही सवाल छोड़ जाते है …

“कौन हूँ मैं ?”

Read More...

Achievements