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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘यक्ष प्रश्न तथा अन्य कहानियां’, लाला आशुतोष कुमार शरण की पांच कहानियों का संग्रह है।
कहानी 'यक्ष प्रश्न', पिता तुल्य, अनुशासन प्रिय ससुर, राय साहब मनोहर चंद्र वर्मा के वात्सल्य और स्नेह की मूर्ति सास, माधवी देवी की ममता का सहारा पाकर जीवन-संग्राम में नहीं हारने वाली वीणा दीदी की कहानी है। जब कि 'दो बूंद आँसू', पुत्र के लिए महत्वाकांक्षी पिता कैलाश बिहारी सिन्हा के संघर्ष पूर्ण जीवन एवं सैन फ्रांसिस्को की बिंदास, मस्त बाला, निष्कलुष प्रेम की प्रतिमा अन्निका भटनागर की मर्मस्पर्शी कथा है। वहीं 'आनंदी मां'एक रहस्य-रोमांच से भरी, पुत्र मोह में फंसी मां की कहानी है। 'कुत्ते की आत्मकथा', अपने प्रश्नों के उत्तर ढूंढते, पालतू से आवारा बने कुत्ते शेरू उर्फ़ जौनी उर्फ़ बौंजो उर्फ़…की कहानी है। 'देवपुष्पा' अपने नाम को सार्थक करती तीन नारियों की रोचक कहानी है।
डॉ. लाला आशुतोष कुमार शरण
बिहार के भोजपुर जनपद के मुख्यालय, आरा के एक संभ्रांत मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे, लाला आशुतोष कुमार शरण (अवकाश प्राप्त प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान विभाग वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा) विज्ञान के विद्यार्थी एवं शिक्षक होते हुए भी साहित्य सृजन में छात्र जीवन से ही जुड़े रहे। अपने कार्यकाल के दौरान ही इन्होंने न कई नाटक लिखे, वरन् उनका सफलतापूर्वक मंचन भी हो चुका है। “राजनेताओं की प्रजनन एवं प्रशिक्षण भूमि हैं विश्वविद्यालय” के थीम पर आधारित व्यंग्य-हास्य नाटक की सफलता ने इनके अंदर के लेखक को प्रोत्साहित किया। इन्हें गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में लिखने की दक्षता प्राप्त है। इनकी रचनाएं पत्र पत्रिकाओं एवं संस्मारिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। लाला आशुतोष कुमार शरण की रचनाएं अपनी वैचारिकता और भावपूर्ण संप्रेषण के कारण पाठकों पर गहरा प्रभाव डालने की क्षमता रखती हैं। पाठक इनकी कहानियों के पात्रों के साथ सहजता से जुड़ जाता है और उनसे संवाद स्थापित कर उनके साथ जीने लगता है। और पूरी कहानी पढ़कर ही विराम देता है। इनके दो काव्य संग्रह पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं। यह तीसरी पुस्तक, ‘यक्ष प्रश्न तथा अन्य कहानियां’ इनकी कुछ प्रतिनिधि कहानियों का संग्रह है।
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