‘दस कवितायेँ’ पुस्तक के लेखक (कवि) कविकुमार सुमित हैं | पुस्तक ‘दस कवितायें’ सभी आयुवर्ग के पाठको के लिए संकलित की गयी है, हिंदी साहित्य में एक छोटा सा योगदान प्रेषित करने वाली इस पुस्तक के प्रमुख अंग प्रेम, प्रेरणा, वात्सल्य एवं राष्ट्रप्रेम हैं | कुछ लोग इस जीवन को बहुत ही कठिन ढंग से प्रस्तुत करते हैं, असफलताओं के पश्चात् और अधिक न करने का निर्णय ले लेते हैं एवं जीवन को एक उद्देश्य रहित धारा के रूप में बहने पर मज़बूर कर देते हैं | इस पुस्तक में संकलित कवितायेँ ‘शिखर की तू तलाश कर’ एवं ‘तेरा कोई तोड़ नहीं’ ऐसे ही वर्ग विशेष को उद्बोधित करती हैं | नवयुवको को लग रही लत और उनकी जानने की प्रबल इच्छाओं के सुखद और दुखद परिणाम इस पुस्तक में निहित प्रसंगो में से एक हैं | लेखक (कवि) ने जीवन के बहुतेरे सत्यों को सरल हिंदी एवं उर्दू भाषाओँ में उजागर किया है, विशेष रूप से उन दस कविताओं का संग्रह जो लेखक की अब तक की मेहनत और विश्लेषण क्षमता को मूल्यांकित करती हैं, आकर्षक है | कला और संस्कृति का महान अग्रणी देश किस प्रकार से पाश्चात्य सभ्यता की चपेट में आ गया एवं इसके क्या दुष्परिणाम हैं, कविताओं ने स्पष्ट किया है | क्यूंकि लेखक (कवि) मुख्य रूप से श्रृंगार एवं वीर रसों का प्रतिनिधित्व करता है, अतः इन दोनों रसों की एक मनोरम छटा देखने को मिलती है |
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