रात उन खुशियों के बीच धीरे-धीरे ढलने लगी। जब रात के ढ़ाई बज रहे थे, चारों तरफ खामोशी थी। अचानक से उस बड़े बरगद के पेड़ के पीछे हलचल हुई। लोगों में भगदड़ मच गई। जमीन अचानक से फटने लगी। पास के पेड़ उसमें गिरकर समाने लगे।
सुभाष श्याम सहर्ष देश - भारत लेखन- साहित्यिक शिक्षा - कशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से अंग्रेज़ी साहित्य से स्नातकोत्तर की उपाधि व आपने अनुवाद में भी डिप्लोमा का कोर्स किया है। आप शिक्षण के साथ-साथ बच्चों के लिए भी किताबें लिखने में रूचि रखते हैं। आपकी कोशिश हमेशा से बच्चों को नयी सोच प्रदान करना रहा है। इसके साथ ही आप उनके मनोरंजन का भी पूरा धयान रखते हैं। आने वाली पीढ़ी हमेशा से आपका आभारी रहेगी। आपके लेखन में हमेशा ही ताजगी, साहस और उत्साह की प्रधानता रहती है।