इस उपन्यास को लिखने का उद्देश्य सिर्फ स्वंय के विचारों को व्यक्त करना मात्र नही हैं, अपितु विचारों को उकेरने के साथ ही उपन्यास के माध्यम से देश के वीर जवानों के लिए समर्पण का भाव भी हैं।
जो सैनिक अपनी जान, हमारी और हमारे देश की सुरक्षा के लिए दुश्मन की बंदूक के सामने निकाल कर रख देता हैं। उनके लिए कुछ करने की चाह ने यह उपन्यास पूरा करने की प्रेरणा दी।
हमेशा से मन मस्तिष्क में एक ख्याल कछोटता था, कि जो वीर सपूत निःस्वार्थ भाव से देश और हमारी सुरक्षा में रात दिन लगे रहते हैं, उन वीरों की किसी भी माध्यम से सेवा की जाए। पर कभी अवसर ना मिला।
जब उपन्यास का ख्याल मन में आया तब से ही मन में ठान लिया था कि इस उपन्यास से जो कमाई होगी वो सैनिक कल्याण कोष में जमा करवा कर छोटे से योगदान से अपने मन को कुछ सन्तुष्ट करूँगा।
उसी समर्पण भाव को सच्ची निष्ठा से पूरा करने के विचार ने बिना थके उपन्यास पूरा करने में मदद की। और इसी निःस्वार्थ भाव की वजह से अपना उत्कृष्ट लिखने की कोशिश की हैं।
आशा करता हूँ मेरे इस प्रयास और निःस्वार्थ सेवा भाव को प्रोत्साहन मिलेगा। यहीं मेरी संतुष्टि होगी।