हार्टबीट रिदम द्वारा प्रस्तुत पुस्तक प्रेम: योग या वियोग
लेखक द्वारा अनुभव व महसूस करे प्रेम को विभिन्न रंगों का चित्रण करने का प्रयास है। प्रेम योग ही है जिसकी साधना से हम साकार से निराकार स्वरूप में परिवर्तित होकर उस महाशक्तिमान के नजदीक
आ जाते हैं। यही योग राधाजी और मीराबाई ने जीवनपर्यंत किया था।कभी-
कभी प्रेम वियोग भी बन जाता है, वही वियोग जिसकी व्याख्या श्रीकृष्ण ने कि है जहां हम अलग होकर भी हमेशा साथ रहते हैं। यूं तो प्रेम का कोई सीमीत विस्तार ही नहीं होता, हम सब अपनी साधना द्वारा जितना ग्रहण
करते है वही हमारा प्रसाद है, हमारा विश्वास है। यह पुस्तक लेखक के हृदय द्वारा रचित एक छोटा सा संसार है।