‘डल’ झील ! ना जाने कितना दुख दर्द है छुपा है उसके सीने में। बहुत कुछ देखा है उसने अपनी बहती लहरों की छलकती आंखों से। बहार का मौसम भी देखा है इसने तो पतझड़ का मौसम भी देखा है। सर्दी भी देखी है तो गर्मी भी देखी है। ना जाने क्या क्या देखा है इस ने ओर क्या क्या राज छुपाये हुए है अपने सीने में।
'रात अकेली है' राजऋषि शर्मा का नवीनतम उपन्यास है। कश्मीर की हसीं वादियों में इसकी पृस्ठभूमि पर लिखा गया यह एक ऐसा मार्मिक उपन्यास है, यहां प्यार का एहसास भी है और आतंकवाद की भीषण त्रासदी भी। ऐसे परिवेश में प्यार की सौंधी खुशबू तथा युवाओं के धड़कते हुए दिलों की भावनाओं की पीढ़ा का चित्रण बरबस ही मन को भीतर तक आन्दोलित कर देता हैं ! उपन्यास को एक बार हाथ में लेने पर इसे पढ़े बिना रहा ही नहीं जा सकता।