प्रेम चाहे सांसारिक हो, प्राकृतिक हो या आध्यात्मिक, व्यावहारिक शैली से किया जाये या भक्ति से, उसकी ताक़त में ही हर कार्य की मार्मिकता है।
उसी प्रेम को मन में धारण करते हुए अपनी अपरिपक्व कल्पना, सरल बुद्धि और हिन्दी भाषा के लिए अत्यंत प्रेम के सौजन्य से अपनी प्रथम कृति “राहगीर” आपके समक्ष रख रही हूँ। इस सीमित जीवन काल में मैंने प्रेम को जिस किसी भी रूप में महसूस किया है या उसकी उत्कट इच्छा है वो हर भाव मैंने कविता के माध्यम से साझा करने का प्रयत्न किया है। अगर कोई भी भाव आपके मन को अपना लगे तो मेरा यह प्रथम प्रयास सफल हो जाएगा।
राहगीर : एक पुस्तक प्रेम के नाम।
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