स्याही के रंग ऐसे अनुभवों का संकलन है जो व्यक्तिगत रूप से अभिव्यक्त किये गए हैं कि स्याही को किसी एक रंग में नहीं रंगा जा सकता क्योंकि सहजता और मौलिकता आपके भावो को आधार देती है इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि हमारे भावों के प्रस्तुतिकरण में इनका समावेश होना चाहिए इस संकलन में लक्ष्मी सिंह और राकेश शर्मा ने जीवन की सत्यता का वर्णन किया है अपने विचारों से अपने मनोभाव को कलम द्वारा व्यक्त किया है आशा करतीं हूँ इसे पढने के बाद पाठकों को कुछ जानने को सिखने को मिलेगा