JUNE 10th - JULY 10th
इमरती ( एक अधूरी प्रेम कहानी ) .....
बहुत दर्द था उन आंखों में…... और किसी से मिलने की खुशी भी महसूस हो रही थी।
बड़ी जिम्मेदारी से एक छोटे से थैले को समेटे हुए श्याम बनारस की गली से गुजरते गुजरते….. नारद घाट की तरफ एकांत में गुलाबी रंग का सूट पहनकर गुमसुम सी
बैठी हुई….. एक बेहद खूबसूरत लड़की के पास जाकर बैठ जाता है। और देरी से आने के लिए माफी मांगता है।
श्याम की बात सुनकर वह लड़की शिकायत भरी नजर से देखते हुए कहती है कि, श्यामू…. तुम्हारा तो रोज का हो गया है। तुम कभी भी नहीं सुधर सकते हो। आज भी तुम पूरे सात मिनट देरी से आए हो।
मैं चौबीसों घंटे तुम्हारा इंतजार करती रहती हूं। उस लड़की की शिकायत भरी बातें सुनकर श्याम उसका हाथ पकड़ कर उसे मनाने लगता है। और आगे देरी से ना आने का वादा करने लगता है।
फिर श्याम सामने गंगा की लहरों को देखते हुए उस लड़की से कहता है कि, मैं क्या करूं…. घर का भी तो सारा काम मुझे ही करना पड़ता है….. और फिर ऑफिस का भी चक्कर…..उसके बाद जैसे ही मैं ऑफिस से निकलता हूं…. वैसे ही तुम्हारे लिए यह गरमा गरम इमरती लेने के लिए जाता हूं तो वहां भी बहुत भीड़ होती है। और फिर यहां पर आ
पाता हूं ।
फिर श्याम मुस्कुराते हुए कहता है कि, ऐसा है…. ये लो अपना मनपसंद गरमा गरम इमरती खा लो….
और हां साक्षी…. एक बहुत जरूरी बात यह है कि, गुस्से में तुम्हारी नाक छोटी लगने लगती है। और फिर मुझे बहुत हंसी आती है। श्याम की बात सुनकर साक्षी खिलखिलाकर हंसने लगती है।
श्याम साक्षी का खिलखिलाता हुआ चेहरा एकटक अपनी मासूमियत भरी निगाहों से देखता रहता है । तभी साक्षी अपनी आंखों को थोड़ा सा गंभीर करते हुए कहती है कि , क्या हुआ श्याम….. ऐसे क्या देख रहे हो । साक्षी की बात सुनकर श्याम थोड़ा मुस्कुराता है । और फिर अपनी आंखें थोड़ी देर के लिए बंद कर लेता है ।
फिर आंख खुलते ही….. बोलता है कि , बस यही एक मुस्कुराहट के सहारे मैं अपना पूरा एक दिन हंसी खुशी गुजार देता हूं । और क्या चाहिए जिंदगी में….. इसी में बहुत सुकून मिलता है ।
तभी धीरे से साक्षी अपना सर श्याम के कंधे पर रखकर कहती है कि , और जब तुम होते हो तो….. इन लहरों की आवाज प्यारी मधुर संगीत में बदल जाती है । अच्छा एक बात बताओ….. तुमको मेरे घर वालों से डर नहीं
लगता क्या….. साक्षी की बात सुनकर श्याम थोड़ा असहज ढंग से कहता है कि , क्या यार….. मैं तो… हर रोज यहां पर तुमसे मिलने के लिए आता हूं ।
हां…. पहले मुझे बहुत डर लगता था । पर अब बिल्कुल भी नहीं लगता ।
और वैसे भी… तुम्हारा भाई तो जेल में अपनी बहन की हत्या करने के जुर्म में सजा काट रही रहा है । आखिर क्या कसूर था उसकी बहन का। उसको एक मौका तो देना चाहिए था अपनी बात कहने का……
आखिरकार क्या कुछ हासिल हुआ उसे । नहीं ना….. फिर उसने ऐसा क्यों किया ।
श्याम की आंखों में देखते हुए साक्षी थोड़ा मासूमियत भरे लहजे में कहती है कि , सच में सारे सपने बिखर
जाते हैं…… जब यह सब बातें मैं सोचती हूं । तब मुझे बहुत उलझन सी होने लगती है । पर अब किया ही क्या जा सकता है । सब कुछ हाथ से निकल चुका है । जो हुआ सो हुआ ।
पर अब तुम…. मेरे साथ हमेशा इसी तरह से रहना। इसी तरह वे दोनों लोग बातें करते रहते हैं।
तभी ..... वहीं पास में फूल की दुकान पर बैठने वाला आदमी आता है। और श्याम से पूछता है….. बेटा मैं तुम्हें रोज देखता हूं….तुम यहां हर रोज इसी समय पर इमरती लेकर
आते हो…..और फिर अकेले काफी देर तक बैठे
रहते हो…...तुम यहां पर किससे बातें किया करते हो…... यहां पर तो कोई भी नहीं है।
दुकानदार की बात सुनकर श्याम की आंखें भर जाती हैं । ऐसा लगा जैसे श्याम की आंखों से .... बरसात के मौसम में उफनाई हुई गंगा की लहरें…. हिचकोले खा रही हों । पर अपने आंसुओं को चोरी छिपे पोंछते हुए….लड़खड़ाती हुई आवाज में श्याम कहता है कि, बाबा….." मैं यहां पर खुद से मिलने ... और बातें करने के लिए आता हूं "।
श्याम की बात सुनकर…. दुकानदार अपना सर खुजलाते हुए कहता है कि , मतलब…. मैं कुछ समझा नहीं ।
तभी श्याम एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है कि ,
बाबा….. एक बार एक लड़का बदहवास सा…. एक लड़की का हाथ मजबूती से पकड़ कर भागा जा रहा था । लड़की भी बड़ी ही शिद्दत से भागने में उसका साथ दे
रही थी ।
कुछ देर बाद स्थिति थोड़ी बहुत स्पष्ट होने लगती है । कुछ लड़कों का झुंड गुस्से में उन लोगों का पीछा कर रहा
होता है । भागते भागते उन लड़कों के झुंड में से एक लड़का गुस्से में बोलता है कि , अब आगे तुम लोग नहीं जा
सकते । हर तरफ से तुम लोग घेर लिए गए हो । अब मरने के लिए तैयार हो जाओ ।
स्थान यही था….. नारद घाट बनारस…… सामने से स्वच्छ निर्मल गंगा की धारा इसी प्रकार निर्विकार होकर बहती जा रही ।
हर तरफ से घिरा हुआ देखकर…. कहीं ना निकल पाने की स्थिति में वह लड़का उस लड़की को पीछे की तरफ करते हुए सबके सामने खड़ा हो जाता है । और विनम्र भाव में सबसे कहता है कि , देखिए .... अब हमारी शादी भी हो चुकी है । आप हम लोगों को जुदा क्यों करना चाहते हैं । क्या कुछ हासिल होगा आप लोगों को ।
उस लड़के की बात सुनकर… वह गुस्से वाला लड़का बोला अबे चुप….. चुप…. इतना कहते ही वह पिस्तौल से गोली चला लेता है ।
तभी ..... अचानक एक जोरदार झटके से वह लड़की उस लड़के को पीछे की तरफ खींच लेती है । और उस लड़के के स्थान पर खड़ी हो जाती है । गोली सीधे उस लड़की को लगती है। वह लड़का सीधे गंगा में गिरता है।
उस लड़की के मुंह से एक असहनीय दर्द से कराहने की आवाज निकलती है । खुद को मौत के हवाले करके उस लड़के को बचा लेती है ।
बाबा…. वह लड़का जो बच गया था । वह लड़का मैं ही तो हूं….श्याम। और जो लड़की मर गई थी । उसका नाम था साक्षी…… मैं उसी से मिलने यहां पर हररोज आता हूं।
समाप्त.....
नरेंद्र नवप्रभात
#378
मौजूदा रैंक
4,840
पॉइंट्स
रीडर्स पॉइंट्स 40
एडिटर्स पॉइंट्स : 4,800
1 पाठकों ने इस कहानी को सराहा
रेटिंग्स & रिव्युज़ 4 (1 रेटिंग्स)
Kirti
Please support my story too! My first love by Kirti | Notion Press https://notionpress.com/en/story/ssc/16466/my-first-love#.YqxNds0tQ8M.whatsapp
Description in detail *
Thank you for taking the time to report this. Our team will review this and contact you if we need more information.
10पॉइंट्स
20पॉइंट्स
30पॉइंट्स
40पॉइंट्स
50पॉइंट्स