मेरा दोस्त

आत्मकथा
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मेरा दोस्त

पृथ्वी पर काफी रिश्ते बनाये गए हैं , उनमें से दोस्ती सबसे खूबसूरत रिश्ता है | दोस्त के लिए हम जीने मरने को तैयार हो जाते हैं और इसी तरह दोस्त भी हमारे लिए जीने मरने को तैयार रहता है | काफ़ी अच्छा लगता है अपने दोस्त के साथ रहने में अपना हर सुख-दुख बांटते हैं | मेरी कहानी एक कुत्ते पर आधारित है | जो मेरा सबसे अच्छा दोस्त था , हां अब आप सोच रहे होंगे क्या दोस्त था ? जी हां दोस्त था क्योंकि अब वह जीवित नहीं है | वैसे दोस्त अगर जानवर हो तो वह कभी धोखा नहीं देता वह काफी प्यारे और सीधे होते हैं | चलो अब आपको अपने उस समय में ले चलती हूं जहां से इस कहानी की शुरुआत हुई |

मेरा नाम गुलाफ्शा है, उस वक्त में करीब 13 वर्ष की थी | सन 2013 चल रहा था 10 फरवरी को मेरा जन्मदिन था उस दिन में तैयार हुई और अपनी बहन जीनत के साथ स्कूल के लिए रवाना हो गई मैं खुश थी और खुश क्यों ना होती मेरा जन्मदिन जो था | खुश होना तो बनता है मेरी कक्षा 7 में मुझे जन्मदिन की बधाई दी छुट्टी के बाद जब मैं और मेरी बहन घर आए तब पापा (जाहिद मलिक) ने कहा जाकर कमरे में देखो तुम्हारे लिए एक तोहफा है मैं कमरे में गई मेरी अम्मी जान इदरीशन ने एक छोटे से कंबल में कुछ लपेटा हुआ था, जो उनकी गोद में था |

मैंने पूछा यह क्या है उन्होंने जवाब में कंबल हटाया और दिखाया तो उसमें एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा था,जो काफी प्यारा था | उसका सोता हुआ मासूम चेहरा बड़ा प्यारा लग रहा था मैं बहुत खुश हुई और उसे गले लगा कर जगा दिया बेचारा उसकी तो नींद ही टूट गई मेरे बाकी के बहन भाई भी स्कूल से आ गए उनका नाम मुस्कान, सलमान और पलक है |सबसे छोटा भाई अरबाज था जो कि अभी स्कूल नहीं जा सकता था हम सब ने उस बच्चे को देखा और उसके साथ खेलने लगे मैंने उसका नाम टॉमी रखा सब उसे उसी नाम से बुलाने लगे | अगले दिन हम स्कूल गए और वहां हम अपने दोस्त के बारे में सोचने लगे कि, कब छुट्टी होगी और कब मैं और मेरे बहन-भाई टॉमी के साथ समय बिताएंगे आखिरकार छुट्टी हुई और हम घर पहुंच कर ,कपड़े बदल कर, हाथ मुंह-धोकर, खाना खाकर अपने दोस्त के साथ खेलने लगे बाकी बचे वक्त में स्कूल का काम (होमवर्क) किया और आराम किया अम्मी की घर के काम में मदद भी करती थी | काफी वक्त गुजरा धीरे-धीरे टॉमी बड़ा होने लगा, उसकी काफी शरारते बढ़ने लगी | खैर स्कूल की छुट्टियां पड़ गई | यह छुट्टियां गर्मियों की थी अब आप जानते हैं यह छुट्टियां कहां मनाना अच्छा लगता है? आप सही सोच रहे है बिल्कुल सही "गांव" एक यही तो सबसे अच्छी जगह है जहां छुट्टियों का आनंद लिया जाए अब आम भी तो खाने है | क्या आपको भी पसंद है आम? अब पसंद क्यों नहीं होगा? कितना लजीज होता है | अरे लगता है नाम सुनकर आपके मुंह में भी पानी आ गया होगा | चलो कहानी की तरफ रुख करें |

जिला बदायूं गांव सोई गए| टॉमी के लिए पहली बार था | यह सफर, यह घर सब कुछ नया था | वह गांव में घूम रहा था | उसे काफी अच्छा लग रहा था ,ज्यादा गर्मी होने के वजह से हम लोग छत पर खुले आसमान में, ठंडी हवा में सोते थे काफी अच्छा लगता था | टॉमी भी छत पर सोता था और सुबह में सबको चादर खींचकर उठाता था | एक बार रात को छत पर कुछ बंदर रह गए हम छत पर थे और टॉमी लगातार भोके जा रहा था हम नहीं समझ पा रहे थे कि, बात क्या है ? हमने ध्यान दिया तो पानी की टैंक वाली छत पर बंदर थे | टॉमी रात-भर उन्हें हमारे पास आने से रोक रहा था क्योंकि वह बंदर काफी गुस्से में थे| हम लोग भी रात भर नहीं सोए जब सुबह हुई तब वह बंदर चले गए हम नीचे उतर आए और रात भर ना सोने से हमारी आंखें बंद हो रही थी | चाय की चुस्की ली थोड़ा अच्छा लगा |कुछ दिन बाद गांव के कुत्तों ने टॉमी पर हमला कर दिया उसके काफी चोट आई यह देखकर हम डर गए | पापा उसे डॉक्टर के पास ले गए उसका इलाज किया वह थोड़ा अच्छा महसूस कर रहा था , घर आकर खाना खाया और सो गया धीरे-धीरे उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ वह बिल्कुल ठीक हो गया मैंने पापा से कहा पापा हमें नानी के घर जाना है | पापा बोले ठीक है चलते हैं | और दूसरे ही दिन सामान तैयार करके हम जिला बरेली गांव विक्रमपुर के लिए निकले टॉमी को कार में पापा के पास बैठना अच्छा लगता था | पापा कार चलाते वह साथ बैठता था, रास्ते में एक आदमी अपनी कार से हमारी कार में झांक रहा था टॉमी को अच्छा नहीं लगा और वह आदमी पर गुस्से में भौंकने लगा हम सब हंसने लगे वह शांत हो गया विक्रमपुर पहुंच गए सब को सलाम किया और नाश्ता करके आराम किया | वहां भी टॉमी को अच्छा लग रहा था, वहां के लोगों के साथ घूमता, और उनके साथ खेलता था | हमने काफी आम खाए और नानी के साथ आम के बाग में घूमे उसकी छाया भी ली |काफी अच्छा लग रहा था यही नहीं हम लोग खेत देखने भी गए गन्ने खाए बहुत अच्छा लग रहा था काफी दिन छुट्टी मनाने के बाद हम लोग दिल्ली वापस जाने की तैयारी कर रहे थे | सबको सलाम करके हम कार की तरफ जा रहे थे पापा जैसे ही कार में बैठने वाले थे उनसे पहले टॉमी बैठ गया यह देखकर सब हंसने लगे टॉमी समझा कि, उसे छोड़कर ना चले जाए | पापा बोले अब क्या खुद कार चलाएगा | सब फिर हंसने लगे , हम दिल्ली के लिए रवाना हुए | वहां पहुंचकर हमने खाना खाया और कुछ देर आराम किया | अगले दिन से स्कूल जाना शुरू कर दिया दिन यूं ही बीतते गए ठंड आई फिर गुजर गई | गर्मी का मौसम फिर शुरू हुआ छुट्टियां पड़ी और हम सोई के लिए रवाना हो गए हम फिर से अपने गांव घूमने आए |

कुछ दिन बाद टॉमी बीमार हो गया उसे उल्टी हो रही चक्कर खाकर वह छत से गिर गया | वह देखकर मेरी चीख निकल गई मानो जैसे मेरे शरीर से रूह निकल गई हो | कुछ सुनाई नहीं दे रहा था सब सुन्न पड़ गया था पापा नीचे उतर गए और टॉमी को गोद में लेकर कार में बैठाया और डॉक्टर के पास ले गए हम बहुत परेशान हो गए कुछ घंटों बाद फोन आया पापा ने कहा अब टॉमी ठीक है यह सुनकर जान में जान आई और हम खुश हुए टॉमि को लाया गया उसकी देखभाल की और धीरे-धीरे टॉमी ठीक हो गया तो पूरी छुट्टी मना लेने के बाद हम दिल्ली आ गए रमजान का महीना शुरू होने वाला था | अम्मी ने कहा रमजान आने वाले है टॉमी ज्यादा चिपकने लगा है जिससे नापाक हो सकते हैं इसलिए हमने सोचा कि टॉमी को कहीं और भेज दिया जाए और जब रमजान पूरे हो जाएंगे, महीना पूरा हो जाएगा, ईद भी निकल जाएगी तब हम टॉमी को बुलवा लेंगे मैंने इंकार कर दिया टॉमी कहीं नहीं जाएगा | अम्मी ने मुझे डांट कर खामोश कर दिया और जब पापा शाम को घर आए तब पापा से कहा कि रमजान आने वाले है , इसलिए टॉमी को कहीं भेज दो पापा ने कहा ठीक है मैं अपने दोस्त के पास गाजियाबाद में ले जाऊंगा उसके पास बहुत सारे कुत्ते हैं वहां खुश रहेगा मैं उदास हो गई |अगले ही दिन पापा टॉमी को गाजियाबाद ले गए टॉमी को पहुंचा कर वह वापस आ गए और बोले हफ्ते में एक बार तुम लोगों को हम टॉमी से मिलवाने ले जाएंगे | हम थोड़ा खुश हुए ठीक है मैं भी जाऊंगी पर पापा ने कहा तुम नहीं जाओगी बड़ी हो गई हो इसलिए मैंने कहा यह क्या बात हुई ?मैं क्यों नहीं जा सकती? मेरे साथ ऐसा क्यों होता है ?पर अब मैं कर भी क्या सकती थी अगले हफ्ते सब तैयार होकर टॉमी को देखने पापा के साथ चल दिए मैं घर पर रो रही थी मेरा भी मन था उससे मिलने का , उसके साथ खेलने का | मेरी किस्मत इतनी खराब होगी यह नहीं पता था अपने सबसे अच्छे दोस्त से दूर रहूंगी कभी नहीं सोचा था | अपने किसी करीबी को आप भी याद करते होंगे |

पापा घर आ गए मैंने जीनत से पूछा कि टॉमी कैसा है? उसने खाना खाया ठीक तो है ऐसे एक साथ काफी सवाल पूछ लिए उसने कहा बता रही हूं इतने सारे सवाल एक एक करके पूछो मैंने कहा जल्दी बताओ वह बोली वहां पहुंचे टॉमी भाग कर आया और सब के गले से लगकर रो रहा था और हम उसके साथ खेले | जब वहां से वापस आ रहे थे तब वह पीछे पीछे आने लगा पापा के दोस्त ने उसे पकड़ा और हम सब कार में बैठ गए अचानक टॉमी भागा और कार की खिड़की को नाखून से खुरचकर रो रहा था | मानो वह कह रहा हो कि , मुझे भी ले चलो मुझे यहां क्यों छोड़ रहे हो? मेरी क्या गलती थी जो ऐसे छोड़ दिया

पापा के दोस्त ने उसे पकड़ा पापा ने अपने दिल पर पत्थर रखकर उसे वहीं छोड़ दिया यह सुनकर मेरी आंखें नम हो गई मेरा मन था कि, उसे ले आओ पर मेरी कहां चलने वाली थी पापा के आगे अगले हफ्ते पापा वहां नहीं गए, फिर से अगले हफ्ते भी नहीं गए, तीसरे हफ्ते में फोन आया और पापा के दोस्त ने बताया टॉमी कुछ खा नहीं रहा है हर कार के पीछे भागता है खाना ना खाने की वजह से उसकी तबीयत खराब हो गई आप आकर उसे ले जाए पापा ने यह बात हमें बताएं हम डर गए पापा टॉमी को लेने चले गए|

जब पापा गाजियाबाद पहुंचे तब जैसे ही टॉमी ने पापा को देखा तो वह भागता आया उसकी आंखें मुश्किल से खुल रही थी उसे चक्कर आ रहे थे पापा के पास पहुंचते ही वह बेहोश हो गया पापा ने उसे जगाने की कोशिश की वह नहीं उठ रहा था पापा उसे डॉक्टर के पास ले गए पर किस्मत खराब थी डॉक्टर नहीं था और अस्पताल भी बंद था पापा ने डॉक्टर को फोन लगाया और कहा कि टॉमी की तबीयत खराब है कुछ खा नहीं रहा है और बुखार भी है डॉक्टर ने कहा कि यह इंजेक्शन ले लो और सब ठीक होगा पापा ने जल्दबाजी में पूरी बात नहीं सुनी इंजेक्शन लगा दिया टॉमी को कार में लेटा कर कार चला कर आ रहे थे तब पापा ने कार के शीशे में देखा कि टॉमी की जीभ बाहर है और वह सुन नहीं रहा है तब पापा ने कार रोकी और पीछे जाकर देखा कि टॉमी सुन नहीं रहा उसे हिलाया उसने कोई हरकत नहीं की उसकी रूह शरीर छोड़ चुकी थी वह अब इस दुनिया में नहीं किसी और दुनिया में जा चुका था | पापा रो रहे थे पापा ने कॉल की और जीनत से कहा कि टॉमी नहीं रहा हम डर गए| मैं रोने लगी अम्मी नमाज पढ़ रही थी उन्हें यह बात बताई तो अम्मी ने नमाज के बाद दुआ की कि, अब उसे इंसान का जन्म मिले पापा ने फिर कॉल किया और कहा टॉमी को घर नहीं लाऊंगा क्योंकि बच्चे ले जाने नहीं देंगे कितनी खराब थी | मेरी किस्मत जो आखरी बार भी टॉमी से नहीं मिल सकी|

मैं खुद को किसी ना किसी काम में लगा रही थी कि उससे मेरा ध्यान हट जाए और मैं सब भूलकर आगे बढ़ जाऊं धीरे-धीरे में खुश रहने लगी, पर आज भी मैं उसे याद करती हूं मुझे आज भी उसकी कमी खलती |और आप शायद यह जानकर हैरान होंगे कि आज भी मेरा कोई दोस्त नहीं है |

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