JUNE 10th - JULY 10th
एक सच्ची घटना आधारित कहानी...
मेरे पड़ोस में एक फैमिली रहती है। उनके घर में दो बच्चे हैं। एक बेटी रश्मि-19 साल की और एक बेटा, प्रखर-15 साल का। एक दिन हुआ कुछ ऐसा कि वह लड़का, प्रखर गार्डन से साइकिल चलाते हुए कुछ दूर आगे चला गया और अक्सर वो वहां जाया करता था घूमने के लिए। जब वापस घर आया तो उसे नींद ही नहीं आ रही थी। फिर रात को उसकी मम्मी ने पूछा होगा कि सुबह स्कूल भी जाना है सोना नहीं है तुम्हें?
फिर वह कहने लगा की मम्मी मेरे कंधे में दर्द हो रहा है! उसकी मां ने उसे कंधे पर मालिश की और किसी तरह फाइनली वह सो गया। सुबह उसके उसी हाथ में सूजन आ गई। डॉक्टर को दिखाया गया तो डॉक्टर ने तो जवाब दे दिया कि इसका हाथ तो सड़ रहा है अंदर से, काटना पड़ेगा, आप लोग इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकते हैं! बड़ी देर कर दी आपने इसे हॉस्पिटल लाने में।
प्रखर के पिताजी ने कहा कि डॉक्टर साहब ये क्या कह रहे हैं आप। यह तो कल ही गिरा है, शायद साइकिल से और आप कह रहे हैं कि इसके हाथ को चोट लगे काफी वक्त हो गया है।
सब लोग हैरान ही थे फिर डॉक्टर ने कहा ठीक है इसे एडमिट कर लेते हैं। किसी तरह 1 महीने के ट्रीटमेंट के बाद प्रखर का हाथ बच गया। 1 दिन की बात है मैं कुछ काम कर रहा था और वह बच्चा मुझसे कुछ दूर खड़े होकर पेड़ के पास अजीब अजीब हरकतें कर रहा था। उसकी हरकतें नॉर्मल ना होकर, मुझे बहुत अजीब लग रही थी। पता नहीं क्यों वह बस अपने दांत पीसे जा रहा था।
मैं उसके पास गया और बोला क्या कर रहा है, जाओ मम्मी बुला रही है तुम्हारी! वह टस से मस तक नहीं हुआ। मैंने प्रखर की मां को बोला कि आपके बच्चे को कुछ तो है भाभी जी। धीरे-धीरे मोहल्ले वाले भी कहने लगे कि कुछ तो है इसमें। कुछ लोगों ने कहा कि इसका माथा दबाव, चाकू लेकर अगर इस पर कुछ सवार होगा तो जरूर ये सब कुछ बक देगा।
सब लोग यही कह रहे थे कि कहीं माथा दबाया और खुद में चला गया साया तो, इसलिए कोई गया ही नहीं उस लड़के के पास। फिर जैसा कि सब कहते हैं न, हम विज्ञान में विश्वास रखने वाले भूतों में विश्वास नहीं रखते। वही सीन मेरा भी था कि मुझे भी भूतों में विश्वास नहीं था और तो और मुझे हंसी आ रही थी कि देखो तो सब भूत-भूत चिल्ला रहे हैं।
फिर मैंने चाकू ली और उस लड़के के माथे को जोर से दबाया। फिर क्या था वह चिल्लाने लगा अजीब आदमियों जैसी आवाजें निकाल कर! पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ फिर मैंने फिर से जोर से दबाया तो बच्चा फिर से आदमियों के जैसे बोलने लगा की दादा हमको छोड़ दो हम चले जाएंगे इसके शरीर से!
मैंने पूछा कौन हो तुम बताओ,, और इसके शरीर में कब से हो? भाई साहब उसने बताना शुरू किया और कहा कि——मैं भैया के शरीर में करीब डेढ़ महीने से हूं। यह भैया ज्यादातर साइकिल चलाते रहते थे। एक दिन यह टॉयलेट कर रहे थे और मैं वहीं पर बैठा था। बस उसी दिन मैं इनके शरीर में घुस गया क्योंकि मुझे बदला लेना था अपने साथी मजदूरों से!!,,,,
मैंने पूछा बदला कैसा? एक छोटे से बच्चे की जान ले लोगे क्या? फिर वो कहने लगा कि---- मैं एक मजदूर हूं। मैं और मेरे साथी लोग एक ही जगह पर काम करते थे। 1 दिन की बात थी, मुझे एक नोटों की गड्डी मिली जिसमें कुल ₹37000 थे। जब मैं ट्रेन से वापस घर आ रहा था तो मेरे साथी मजदूरों ने मुझे ट्रेन से धक्का दे कर पैसा छीन लिया और मेरी मौके पर ही मौत हो गई। और भैया आप तो मुझको जानते हैं, मैं शेखर हूं! सच में मुझे आज भी याद है क्योंकि मैंने इसकी लास्ट भी देखी थी।
इतना सुनते ही मेरा दिमाग खराब हो गया और मैंने उससे क्रॉस क्वेश्चन करना शुरू कर दिया कि बताओ तुम्हारे घर पर कितने बच्चे हैं? तुम कितने भाई हो? कई बार मैं तुम्हारे एरिया में आया तो मैंने तुम्हारी फैमिली के साथ क्या किया? कमाल की बात तो यह है उसने सारे जवाब सच-सच दिए! मैं पूरी तरह से कंफ्यूज हो चुका था कि आखिर यह क्या था।
फिर मैंने कहा जो भी है, तुम्हें इस छोटे बच्चे पर दया नहीं आती। तुम्हारे परिवार के लिए कभी ना कभी मैंने जो भी अच्छा किया है उसका लिहाज करते हुए इस बच्चे के शरीर से निकल जाओ। उसने कहा कि ठीक है मैं निकल जाऊंगा। फिर अचानक से पता नहीं उस बच्चे का
शरीर अकड़ने लगा और बेहोश होकर जमीन पर गिर गया।
मुझे लगा कि शायद अब ठीक है सब। लेकिन वह उसके शरीर से निकला ही नहीं था, उसने तो बस अजीब हरकतें करनी बंद कर दी थी। इस बात का पता दोबारा तब चला जब एक दिन प्रखर करीब 2:00 बजे चादर ओढ़े, पर आंखें खुली की खुली थी। उसकी खुली आंखें देख कर इसकी मम्मी भी डर गई। और तो और उसने अपनी बहन रश्मि से भी अजीब अजीब हरकतें करना शुरू कर दिया था।
सुबह भाभी जी ने कहा कि ऐसी बात है अभी कुछ ठीक नहीं हुआ है। फिर पड़ोस के लोगों ने कहा कि पास में ही एक मजार है जहां पर इन सब चीजों के लिए झाड़-फूंक होती है। मैं और प्रखर के पिताजी उसको लेकर मजार की तरफ निकल पड़े। मजार से करीब 100 मीटर की दूरी पर वह अजीब से दांत निकाल निकाल के हंसने लगा। कह रहा कि जो उखाड़ना है उखाड़ लो, निकलेंगे नहीं इसके शरीर से। अरे कुल मिलाकर उसने सारे पैंतरे अपना लिए थे हम दोनों को डराने के लिए।
जब मजार पर पहुंचे तो मौलवी जी ने झाड़-फूंक की और एक ताबीज बना कर दिया उसको! तब जाकर वह लड़का ठीक हुआ। डॉक्टर ने सही ही कहा था क्योंकि वह चोट कंधे की बहुत पुरानी थी। उस लड़के के कंधे में दर्द तब से था जब वह टॉयलेट करने गया और वहीं पर उसने उसे धक्का दे दिया था। इतने दिनों में इस लड़के को सुखाकर उसने कांटा बना दिया था।
कहने का मतलब मेरा इतना है, कि मैं भी नहीं मानता कि भूत प्रेत होते हैं लेकिन मेरे सामने जो कुछ भी इतना घटित हुआ वो फिर क्या था? उस दिन से मैं मानता हूं कि काले साए होते हैं पर किसी को भी उन से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह उसी को अपना शिकार बनाते हैं जो दिल से कमजोर होते हैं। वैसे भी इन से डरने की जरूरत ही क्या है, उनके पास सिर्फ आत्मा मात्र है और तुम्हारे पास तो आत्मा और शरीर दोनों है! तो बताओ आखिरकार कौन पावरफुल हुआ?
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4.5 (159 )
Kavita Datar
usuphkhan
Wow
Devraj
Achha likhte ho Bhai
Description in detail *
Thank you for taking the time to report this. Our team will review this and contact you if we need more information.
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