The Hitler

Romance
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पता नहीं मेरा स्कूल कैसा होगा? मैं ये सोच ही रहा था के तभी मेरी मम्मी ने मुझे आवाज लगाई और मैं अपने दैनिक जीवन के कार्यों में खो गया। मेरे अंदर एक्साइटमेंट की लहर दौड़ रही थी। मुझे इंतजार था कल का। मेरे पास बुक से लेकर स्कूल की वर्दी तक हर एक चीज मौजूद थी। इन्हीं बातों को सोचते हुए मेरा आज का दिन चला गया और मैं खुश भी था। क्योंकि कल आ रही थी। पुराना स्कूल क्यों छोड़ा मैं ये तो नहीं बताना चाहता अब रात हो रही थी मैं बिस्तर पर लेटा था मैं सोने की कोशिश कर रहा था मैं आखें बंद करके कुछ ही क्षण में खोल लेता और देखता की कहीं सुबह तो नही हो गई ऐसा मैने एक बार नहीं बल्कि कईं बार किया। पर चंदा मामा की रात में मुझे नाराज कर दिया और फिर मैं सो गया।

मेरा पुराने स्कूल का समय 7-8 बजे का था और नए स्कूल का समय दस बजे का था और सच बताऊं तो मुझे जल्दी उठना बिलकुल भी पसंद नहीं था पर आज मैं सुबह पांच बजे उठ गया और आज तक ऐसा मैने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं किया और फिर मैं बड़े मजे से तैयार हुआ और फिर मैं स्कूल गया। स्कूल बस में जाते वक्त ही मेरे कईं दोस्त बन गए और मैं स्कूल पहुंचा मैं उनके साथ क्लासरूम की तरफ जा ही रहा था के तभी मुझे प्रिंसिपल साहब ने रोक लिया और मैं उनके पास गया उन्होंने अचानक मेरी गाल पर चांटा दे मारा और ऐसा इसलिए उन्होंने इसलिए किया क्योंकि मेरी यूनिफॉर्म में मेरी टाई मिसिंग थी इसके बाद मुझे उन पर गुस्सा तो बहुत आया पर मैंने नजरंदाज किया फिर मैं क्लास में गया आगे मुझे एक सुंदर लड़की दिखी जिसका नाम था डिंपल और मैं न चाहते हुए भी फिसल गया और फिर मैंने जब उस लड़की के बारे में जाना तो मुझे पता लगा की ये यहां की सबसे सुंदर लड़की पर अभी तक कोई इसे सेट नहीं कर पाया फिर मैने बहाने से उस से बात करना शुरू किया पर वो नहीं बोली नाही उसने कोई जवाब दिया। अब मेरा पैशन सा हो गया था उसके सामने खुद को अच्छा दिखाना और मैं यही करने लगा और ये करने में मुझे कई दिनों का टाइम लगा।

एक दिन मेरे जो दोस्त बने थे।वो नही आए और मैं अकेला बैठा था और वो भी बस में चढ़ी और और मेरे पास वाली सीट पर बैठ गई। बस में जायदा बच्चे नहीं थे और उसने खुद से मुझे "हाई" किया और फिर हमारी बातचीत शुरू हुई और फिर जब मैने उसे पूछा कि तुमने मेरी बात का जवाब उस दिन क्यों नहीं दिया था तब उसने बताया कि वो एक सिंपल सी लड़की है और वो ज्यादा शोर शराबा पसंद नहीं करती और न ही दिखावा और फिर मैंने दोस्ती हाथ बड़ा दिया और उसने स्वीकार कर लिया अब मैं उसके आगे और भी जायदा अपने आपको जायदा गुड दिखाने लगा।

हम स्कूल पहुंचे और असेंबली का समय था प्रिंसिपल महोदय सामने खड़े थे।उन्होंने अचानक मेरी तरफ देखा और पूरे स्कूल के सामने मुझे बुलाया अफसोस की बात यह थी की मैंने अब तक टाई नहीं खरीदी थी और उन्होंने वहां सबके सामने मुझे बेज्जित किया और मुझे चांटा मारा मैं उनकी तरफ घूरते हुए देख रहा था और ये बात उन होने भी नोटिस की..आज मेरी उनके साथ सबसे बड़ी दुश्मनी लगी और मैंने उन्हे हिटलर का पदक दिया और मैंने इसके बाद उन्हें बहुत परेशान किया अगर आपने मोका दिया तो अगली बार जरूर सुनाऊंगा।

फिर उसके बाद मैं थोड़ा शांत हुआ जब मुझे डिंपल ने लगा उसे इस चीज से कोई फरक नहीं पड़ता और इसके बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैने उसे डायरेक्टली अकेले में परपोज कर दिया और उसने कहा की अगर मैं सबके सामने ये कहता तो शायद वो मुझे चांटा मारती और हमारी दोस्ती भी खतम हो जाती पर अब उसकी हां है।इसके बाद मैं बहुत खुश हुआ और फिर हम एक दिन स्कूल में अपनी क्लास के अंदर बिल्कुल क्यूट कपल्स की तरह बैठे हुए बातें कर रहे थे और हमे दुष्ट प्रिंसिपल ने देख लिया और उसने दोनो की फैमिली को बुलाकर सब भांडा फोड़ दिया। अब मैं जो आजादी दिवस मना रहा था उसे तो बेड़ियों में कैद कर लिया गया और बिल्कुल कंगाल कर दिया गया। पता नही उसका क्या हाल हुआ होगा? हालाकि हम स्कूल तो आ रहे थे पर उसके आस पास के लड़के लड़कियां उस पर कड़ी नजर बनाए थे। दुष्ट प्रिंसिपल तो चार चार बार आता था और टीचर्स भी आखें नहीं झपकते थे और उनके घरवाले उसे लेने और छोड़ने आते थे बात करने का एक मोका तक नहीं था वो तो मेरी तरफ देखती तक नहीं थी। अब मैं उस प्रिंसिपल को "जीने नहीं दूंगा"

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