एक मुठ्ठि सम्मान

फंतासी
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आज अगर मैं नहीं जीती तो अपनी जान दे दूंगी। ऐसा सोचकर सिया तेज कदमों से घर से बाहर निकलती है और वह ना सिर्फ अपनी पूरी ताकत इस प्रतियोगिता में लगाना चाहती है बल्कि वह चालाकी भी साबित करना चाहती है और चालाकी इस तरह की कि अगर वह पकड़ी गई तो प्रतियोगिता से सीधे बाहर हो जाएगी।

दरअसल सिया 6 बहने हैं। वह अपने माता पिता की चौथी औलाद है। उसके पिता को पुत्र ना होने का बहुत ही दुख है और पुत्र के कारण है। उनकी बहनों की संख्या 6 हो गई।

वह हमेशा ऐसा कुछ करना चाहती है जिससे उसके पिता की नजरों में उसका सम्मान बढ़ जाए और उसके पिता के मन का दुख दूर हो जाए कि उन्हे कोई बेटा नहीं है।

सिया के गांव में वार्षिक उत्सव होता है। हर साल, साल के 1 दिन गांव वाले मिलकर यह त्यौहार जैसा उत्सव मनाते हैं और कई सारी प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। आज साइकिल रेस की प्रतियोगिता है जिसमें सिया ने हिस्सा लिया है और साइकिल अपने पिता की लेकर वह आई है।

सिया लोग बहुत गरीब है। उसके पिता ऑटो चला कर जैसे-तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।

रोजमर्रा के जीवन में बहुत सारी लड़कियां साइकिल चलाती है तो सिया को अंदाजा है कि कौन-कौन सी लड़की इस रेस में जीत सकती है तो सिया सोचती है। क्यों ना मैं चुपचाप जाकर इन लोगों के चक्के की हवा निकाल दूं। बाद में चक्का पंचर हो जाएगा तो इन लोग सब प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे।लेकिन इस काम में बहुत ही खतरा है क्योंकि सिया को पता है कि किसी ने देख लिया तो उसे सीधे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा।

लेकिन अपने पिता को खुश करने और उनका दिल जीतने के लिए वह इस खतरे को भी उठाने के लिए तैयार है।साइकिल रेस की प्रतियोगिता के पहले जो प्रतियोगिता चलते रहती है, लड़कों की उसमें कुछ झगड़ा हो जाता है। उस समय सिया को मौका मिल जाता है क्योंकि सबका ध्यान झगड़े की तरफ रहता है। सिया धीरे से जाती है और उन लड़कियों के साइकिल की हवा निकाल देती है जो कि साइकिल तेज चलाती हैं।

साइकिल रेस की प्रतियोगिता शुरू होती है और सिया का चालाकी काम आता है। वह लड़कियां अपने साईकल की हवा कम देखती है और परेशान हो जाती है। फिर भी वह हिस्सा लेती है। बस कुछ दूर साइकिल चलाती हैं और वह साइकिल से उतर जाती है और इस रेस में सिया अपनी जान लगा देती है और प्रथम आती है।

सिया का पिता भी यह रेस देखता है सिया को प्रथम आते देखकर खुश होता है और सिया को गले से लगा लेता है।

लेकिन सिया ने इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए गलत रास्ते का उपयोग किया। उसने चालाकी से अपने साथियों के साइकिल की हवा निकाल दी। अब उसके मन में सही और गलत का फर्क मिट गया है। उसे ऐसा लगता है कि सिर्फ जीतना चाहिए, चाहे जैसे भी जीते।

सिया को इस प्रतियोगिता में जीतने के ₹1000 का इनाम भी मिला है जो लाकर वह अपने पिता के हाथ में दे देती है और उसके पिता की खुशी दुगनी हो जाती है। उसके पिता के चेहरे की चमक और खुशी देखकर सिया मन ही मन प्रसन्न होती है और सोचती है। उसके पिता हमेशा ऐसे ही खुश रहे। उसके पिता आज घर में खास भोजन बनाने के लिए चिकन और मिठाई लेकर घर आते हैं और घर का माहौल बहुत अच्छा रहता है।सब बहुत ही खुश है।

सिया के पिता को भी अब सिया से बहुत उम्मीदें बनने लगती है। उसे लगता है कि सब बेटियों में सिया तेज है और वही उसका सहारा बनेगी। इसीलिए सिया के पिता सिया की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगते हैं और सोच लेते हैं मन ही मन की कोई पढ़े ना पढ़े इसे मैं जरूर पढ़ऊंगा।

सिया लोग गरीब है इसीलिए उनके हैसियत के हिसाब से ही उनकी बहनों की शादी गरीब घर की लड़कों से होती है। लेकिन सिया मन ही मन सोच लेती है कि ऐसे घर में कभी भी विवाह नहीं करेगी।

धीरे-धीरे समय बिता जाता है और सिया बड़ी हो गई है और कॉलेज जाने लगी है। कॉलेज में बड़े बड़े घरों के लड़के लड़कियां आते हैं। सिया जैसे कुछ ही गरीब लड़के लड़कियां हैं जो उनकी बराबरी नहीं कर सकते। सिया को इस बात का हमेशा ही गम रहता है कि उसके पास उन लोगों के जैसे अच्छे कपड़े या सुविधाएं नहीं है वह।

उन लोगों को देखकर हमेशा यह सोचती है कि इन लोगों ने जरूर कुछ पिछले जन्म में पुण्य किए थे जो अच्छे घरों में पैदा हुए हैं और इतनी सुख सुविधाएं उनको अपने आप ही मिल गई।

सिया की दोस्ती एक बहुत ही अमीर लड़की से होती है जो कि शहर के बडे बिजनेसमैन की बेटी है। वह बड़ी सी कार में कॉलेज आती है और उसके कपड़े सारे महंगे हैं और उसके पास बहुत सारी सुख-सुविधाओं की चीजें हैं, जिसे देखकर सिया को अच्छा लगता है। इसलिए सिया ने उससे दोस्ती की है।लड़की भी सिया को अपना अच्छा दोस्त समझती है और हर जगह सिया को अपने साथ ले जाती है। उसका नाम रूबी है।

सिया अपनी दोस्त रूबी के रहन-सहन और हर चीज से बहुत प्रभावित है।रूबी को देखकर वह शॉर्टकट में अमीर बनने के रास्ते खोजने लगती है।

रूबी जिस पार्टी में सिया को ले जाती है, वहां बड़े घरों के लड़के लड़कियां आते हैं और वहां पर सब ड्रग्स भी लेते हैं और ड्रग्स बेचने वाले लड़के लड़कियों को देखकर सिया पूछती है कि तुम लोगों को डर नहीं लगता। इस काम में तब एक लड़का उसे बताता है कि इस काम में बहुत पैसा है। एक साथ हमें इतने पैसे मिल जाते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता।

घर जाने के बाद उस लड़के की बात को सिया सोचते रहती है और सोचती है कि पैसे आ जाएंगे तो उसके घर की स्थिति भी सुधर जाएगी और उसका भी रहन-सहन सुधरेगा और वह भी बड़े लोगों की तरह रहने लगेगी।

उस लड़के से संपर्क करती है और कहती है कि उसे कोई छोटा मोटा काम नहीं। ऐसा कोई बड़ा काम बताएं जिसको एक बार करने के बाद ही उसकी स्थिति सुधर जाए तो लड़का कहता है कि इस बड़े काम में बड़ा रिस्क है। तुम्हें एक स्टेट से दूसरे स्टेट में ले जाकर बेचना होगा।

वह अपने पिता से झूठ कहती है कि कॉलेज में 2 दिन का ट्रिप कहीं जा रहा है और वह झूठ बोल कर निकल पड़ती है।

लेकिन उस दिन पुलिस का छापा पड़ जाता है। ट्रेन में और वह दूसरे लड़के लड़कियों के साथ पकड़ी जाती है।

इतने बड़े स्कैंडल में पकड़े जाने की वजह से उसका नाम बहुत खराब होता है। उसके पिता की हालत तो देखने लायक होती है। वह आते हैं और सिया को बहुत मारते हैं। यह ऐसा अपराध है कि ब्रेल भी नहीं मिल सकती।

सिया के पिता पुलिस से प्रार्थना करते हैं कि यह उसकी पहली गलती है। उसे माफ कर दीजिए, लेकिन पुलिस वाला बहुत सख्त रहता है। नहीं मानता है तभी वहां पर कमिश्नर पहुंचते हैं और देखते हैं कि सिया का पिता गिड़गिड़ा रहा है। तब कमिश्नर को याद आता है कि यह तो उसके बेटे को ऑटो में स्कूल लाने ले जाने का काम करता था।

कमिश्नर देखते हैं कि सभी स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे हैं और एक बार इस केस में फस गए तो इन लोगों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। तब कमिश्नर आर्डर देते हैं कि इसके पीछे जो मुख्य लोग हैं उन पर कार्रवाई की जाए और इन बच्चों को पहली और आखरी वार्निंग देकर छोड़ दिया जाए।

घर पहुंचने के बाद सिया के पिता सिया को बेतहाशा पिटाई करते हैं और कहते हैं कि तुझसे तो तेरी गरीब बहने अच्छी है जो गरीब लड़कों के साथ इज्जत की जिंदगी गुजार रही है। तूने तो मेरा नाम ही मिट्टी पर मिला दिया।सिया के पिता रो रो कर कहते हैं कि मेरा कोई बेटा नहीं है तो मैं तुझ में अपना भविष्य देख रहा था और तूने ही मेरा नाम मिट्टी में मिला दिया।

सिया का फाइनल ईयर का एग्जाम रहता है। उसे जैसे तैसे कॉलेज में एग्जाम देने दिया जाता है और सिया को जहां भी जाने से बहुत बेज्जती का सामना करना पड़ता है तब उसी बात को याद कर सिया को ताने देते हैं।

सिया गांव में कहीं भी निकलती तो सब आगे पीछे से उसे ताने मारने लगते हैं। सिया का परिवार भी हर जगह अपमानित होता है। उस की जिंदगी नरक बन गई हो। सिया को कभी-कभी ऐसा लगता है कि वह मर जाए और अपनी जिंदगी को खत्म कर ले।पूरी रात सिया रो-रोकर गुजरती है और हर पल पछताते रहती है कि उसने ऐसा काम क्यों किया। उसके कारण उसकी जिंदगी और उसके घर वालों की जिंदगी नरक बन गई है। हर कोई ताने मारता है।

सिया सोचती है कि वह अपने आप को खत्म कर ले। उसके बाद उसके घर वालों का ऐसा अपमान लोग नहीं करेंगे।

सिया के घर के पास में एक तालाब है, वो सोचती है कि रात को 3:00 बजे के आसपास जब सब सोए रहेंगे तो वह जाकर तालाब में कूद कर अपनी जान दे देगी और वह वैसा ही करती है। जब सब सोए रहते हैं तो वह रात के 3:00 बजे उठकर धीरे से घर से बाहर निकलती है और तालाब के किनारे पहुंच जाती है।

जैसे ही वह तालाब में कूदने की कोशिश करती है कि अचानक तलाब में एक हलचल होती है और तालाब के बीचोंबीच एक सन्यासी बाहर निकलते हैं। वह नहा रहे होते हैं तो फिर सिया अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेती है। वह सन्यासी बाहर आकर कपड़े पहनते हैं और सिया को पूछते हैं कि बेटा इतनी रात को तुम यहां क्या कर रही हो?

सिया सन्यासी को ध्यान से देखती है। उसे उस सन्यासी के अंदर बुद्ध भगवान की छवि नजर आती है। बुद्ध भगवान की तरह है उन्होंने सिर के ऊपर जुड़ा बनाया हुआ है और बुध्द भगवान जैसी ही शांति उस सन्यासी के चेहरे में दिखाई देती है तो अचानक सिया का दिल भर आता है और वह उनके चरणों में गिर कर रोने लगती है।

और उनको सारी बातें बता देती है तब वह सन्यासी सिया के सिर में हाथ रखकर कहते हैं कि बेटी उठो और मेरी बात ध्यान से सुनो। कुछ भी चीज इस दुनिया में क्षणिक मात्र होता है। चाहे वह सम्मान हो या अपमान हो। अगर इस दुनिया में कुछ रहता है तो सिर्फ उस व्यक्ति का अच्छा कार्य जिसे लोग याद करते हैं, उसके रहते हुए भी और उसके ना रहते हुए भी।और जो अपनी गलती को सुधारने की हिम्मत रखता है सबके सामने वही इस दुनिया का सबसे बड़ा योद्धा है। तलवार चलाना आसान है, लेकिन अपनी गलती को मानना कठिन है।ऐसा कह कर सन्यासी बाबा वहां से चले जाते हैं।

सिया के अंदर मान लो किसी ने बहुत ही ज्यादा उर्जा भर दी हो। सन्यासी बाबा से मिलने के बाद सिया अपने आप को ऊर्जावान महसूस करती है और घर आकर पढ़ाई करना शुरू कर देती है और वह आईएएस की तैयारी करती है।इस बीच वह अपने पिता घर वालों तथा बाहर के लोगों से अपमानित होती है, लेकिन वह इन चीजों में ध्यान नहीं देती।

अंततः सिया की मेहनत रंग लाती है और वह आईएएस की परीक्षा में पास हो जाती

चारों तरफ सिया का नाम हो जाता है। उसका पिता भी खुशी से फूले नहीं समाते। जो लोग सिया को भला बुरा कहते रहते हैं ते अब वो सब उस की तारीफ करते नहीं थकते।

सिया के गांव में होने वाले वार्षिक उत्सव में सिया को मुख्य अतिथि के रुप में बुलाया जाता है। तब सिया को भाषण देने के लिए स्टेज में बुलाया जाता है। तब सिया सब से हाथ जोड़कर अभिवादन करती है और कहती है कि इंसान को हमेशा सही रास्ते में चलना चाहिए। गलत रास्ते से कमाया गया धन और सम्मान कभी भी काम नहीं आता। वह एक क्षणिक मात्र के लिए होता है और सही रास्ते से चलकर कमाया गया सम्मान हमेशा उसके साथ रहता है और उसके मरने के बाद भी लोग याद करते हैं।

इंसान के जीने के लिए मुट्ठी भर सम्मान भी बहुत है। ऐसा कह कर मन ही मन उस सन्यासी बाबा को याद करके सिया धन्यवाद करती है।

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