JUNE 10th - JULY 10th
शिवानी कुछ खोई हुई-सी ऑटो से उतर कर बाहर आती है तो सामने अंकल खड़े मिलते हैं। वह उन्हें हाथ जोड़ कर नमस्ते करती है ।
एक बासठ-त्रेसठ वर्ष के रोबीले पुरुष बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए पूछते हैं -"कैसी हो?"
" ठीक हूँ अंकल जी" -थोड़ा सहमते हुए शिवानी ने उत्तर दिया।
अंकल समझाते हुए बोले - "घबराने की कोई बात नहीं,
जो भी बोलना चाहती हो बोल देना । फिर कभी समय मिले न मिले । दिल में कुछ नहीं रखना ।" शिवानी ने धीरे
से सिर हिला दिया और फिर अंकल के साथ थाने की ओर चल दी।
जैसे ही थाने के मेन गेट पर पहुँचे तभी एक पुलिस वाले ने रोककर कहा-" किससे मिलना है?"
अंकल जी ने थोड़ी तेज़ आवाज़ में कहा - "एस एच ओ महेंद्र सिंह से ।" तभी उस पुलिस वाले ने एक रजिस्टर आगे किया और उस पर फोन नंबर व आने का कारण भरने को कहा ।अंकल ने रजिस्टर में जानकारी भरी और चल दिए।
शिवानी को कुछ समझ नहीं आ रहा था । बस वो अंकल के पीछे चल रही थी और उसके अंदर एक अजीब-सा युध्द चल रहा था जिसे वो व्यक्त करने में असमर्थ थी। तभी अंकल ने किसी को गुड मॉर्निंग कहा और उन्होंने कहा -" सर बैठिए "अंकल जी बैठ गए और शिवानी को भी बैठने को कहा । शिवानी भी बैठ गई। अंकल जी बोले- "मैंने फोन पर बात की थी उसी सिलसिले में ,ये अपने पति से मिलना चाहती हैं । तभी एस एच ओ बेल बजाते हैं और एक महिला पुलिस अंदर आती हैं और कहते हैं -"इन्हें वो कैदी अभिषेक सिंह से मिलाने ले जाओ ।"
एस एच ओ एक फार्म निकालते हैं और उसे भरने को कहते हैं । शिवानी अंकल की ओर देखती है उस की आँखें न जाने क्यों नम हो जाती हैं ।
अंकल प्यार और दर्द भरी आवाज़ में कहते हैं - "बेटा तुम बस साइन कर दो बाकी मैं भर दूंगा ।" शिवानी साइन करती है और उस महिला पुलिस के साथ बाहर निकल जाती है ।
महेंद्र सिंह पूछते हैं- "ये आपकी कौन है ?"
अंकल जवाब देते हैं -"ये मेरे दोस्त की बेटी हैं जिनका देहांत अभी तीन महीने पहले ही हुआ है । इतनी प्यारी-सी बच्ची पर यह क्या आपदा आ पड़ी ?
"हाँ सर , ये तो बहुत सेहमी-सेहमी-सी लग रही हैं। सर, घर में सब ठीक है ?"एस एच ओ ने पूछा।
हाँ, सब ठीक है और तुम्हारा कैसा चल रहा है ?
"सब ठीक है सर " - महेंद्र सिंह ने जवाब दिया।
बातों से ऐसे लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को जानते हैं ।
"सर ,एक बात पूछूँ " महेन्द्र सिंह ने कहा ।
"हाँ-हाँ पूछो , एक नहीं सब बातें पूछो । नहीं तो तुम्हारे चाचा मेरे से पूछेंगे " वकील साहब ने थोड़ा मुस्काते हुए जवाब दिया ।
सर ,क्या वो बच्ची सच में.......अभी महेन्द्र सिंह बात पुरी भी न कर पाए थे कि वकील साहब ने कुछ पेपर निकाल कर आगे रख दिए और कहा - "ये ही पेपर शिवानी अपने पति को दिखाने आई है और साथ में तलाक के पेपर लाई है , जिस बारे में मैंने आप से बात की थी।"
महेन्द्र सिंह पेपर उठाकर देखने लगते हैं और एकदम हैरान- से , आश्चर्य चकित होकर बोलते हैं "-डी एन ए रिपोर्ट !"
इधर शिवानी एक छोटे कॉरीडोर से निकलकर जेल की सलाखों के सामने पहुँचती है । उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो काॅरीडोर आज पार नहीं होगा ।उसके अंदर कितने सवाल जिसके जवाब उसके पास नहीं थे।
जैसे ही उस महिला पुलिस ने बोला - "अभिषेक, मिस्टर अभिषेक आपसे आपकी पत्नी मिलने आई है ।"
ये सुनते ही शिवानी को जैसे होश आ गया । अभिषेक के साथ दो कैदी और थे। वह अलग से कोने में बैठा था ।
अभिषेक मुड़ा तो शिवानी उसकी हालत देखकर हैरान रह गई ।दाढ़ी बढ़ी हुई थी, ऐसे लग रहा था जैसे उसने यहाँ आने के बाद कुछ खाया नहीं ,उसका सब कुछ लूट गया हो। कौन था, उस की ऐसी हालत का जिम्मेदार?
शिवानी को देखकर अभिषेक हैरान होते हुए बोला- "तुम यहाँ "और जल्दी से चलता हुआ शिवानी तक पहुँच जाता है । फिर धीरे से बोलता है , "सॉरी ।"
शिवानी के चेहरे पर रोष आ जाता है और वह थोड़ा तेज बोलती है ,"किस बात का सॉरी ,जिस बच्ची को आपने इतनी बेदर्दी से धरती पर पटका वो आपकी अपनी बेटी थी किसी और की नहीं । कंस ने भी शायद देवकी के बच्चों को ऐसे नहीं पटका होगा जैसे आपने अपनी ही बेटी को पटका । यह कहकर ही पटका था न ,जाने किस की बेटी है । सबूत चाहिए न , किस की बेटी थी तो सबूत ले कर आई हूँ । "
अपने बैग से पेपर निकालते हुए कहती है ये "डीएनए रिपोर्ट है । "शिवानी पेपर उसे देते हुए बोलती है , "देख लो आप ही की बेटी थी । अपनी नन्ही सी जान ,छह महीने की बेटी को आपने धरती पर इतनी जोर से सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए पटका और मुड़कर देखा भी नहीं ,बाहर निकल गए ।आपको पता है मेरी बच्ची को रोने तक का मौका नहीं मिला ।नीचे गिरते ही वो बेहोश हो गई और प्राण त्याग दिए। मैं पाषाण-सी बैठी रह गई। कोई मुझे ज़ोर-ज़ोर से हिलाकर पूछ रहा था किस की है ये और मैं पागल-सी बोल रही थी मेरी है, मेरी है ,मेरी है तब तक पुरा मोहल्ला इकट्ठा हो चुका था।उसके बाद क्या हुआ , सब जानते हैं ।क्यों, क्यों किया ऐसा।" शिवानी सलाखों पे अपना माथा मारते हुए बोल रही थी ।
अभिषेक रूँधते गले से बोला-" प्लीज , माफ कर दो । उस दिन तुम पुरु को मेरे पास छोड़कर नीचे चली गई तो भाभी का फोन आया था और पुरु रोए जा रही थी तो मैंने कहा पता नहीं क्यों मुझ से चुप ही नहीं होती।तो उन्होंने कह दिया ,तेरी होगी तो चुप होगी । होगी किसी की ।बस मेरा दिमाग खराब हो गया और पता नहीं कहाँ से इतना गुस्सा आ गया ।वो हमेशा उकसाती रहती थीं।प्लीज, माफ कर दो,प्लीज। "
शिवानी बुत-सी खड़ी थी ,फिर दुख में लिपटी बोली -" कोई कुछ भी बोले मेरी जान तो वापस न आएगी और न ही हम दोंनो की जिंदगी । आप की पुज्य भाभी आप से मिलने आई क्या ? अगर आएं तो बताना पुरु किस की बेटी थी । आप ने मुझ से कभी इस बारे में बात नहीं की और अगर शक था तो पढ़े-लिखे हो ,डीएनए टैस्ट करा सकते थे । कम से कम मेरी पुरु तो जिन्दा रहती।
यह कहकर शिवानी चली गई। अभिषेक साॅरी,साॅरी बोलता रहा।
इधर वकील बता रहे थे कि शिवानी कितनी प्यारी और
हँसमुख थी । जब उसने एम एड किया तो उसके पापा ने पुछा था -"शादी अपनी पसंद से करेगी या मुझे ढूँढ़ना
पड़ेगा ।"तब इस ने जवाब दिया था -" पापा आप से अच्छा मुझे कौन जानता है तो आप मेरे लिए सबसे अच्छा जीवन-साथी ढूँढगे ये मेरा विश्वास है।" पापा ने भी अच्छे पढ़े-लिखे ,अच्छे पद पर नियुक्त वर से अपनी बेटी का विवाह किया था।
पर कभी-कभी आदमी की छोटी-सी कमी भी सर्वनाश कर देती है ।बोनेवाले ने तो शक के बीज बो दिए पर कब वह बीज हृदय में विष बन पनपने लगते हैं, मनुष्य खुद भी नहीं जान पाता और क्रोध के रूप में इंसानियत पर हावी हो ऐसे सत्यानाश करते हैं ।
महेंद्र सिंह एक लम्बी साँस लेते हुए कहते हैं- "शुक्र है
इन्होंने ये डीएनए टैस्ट करवा लिया नहीं तो इनका जीना भी दुर्लभ हो जाता। "
"हाँ, पर पहले करवा लेते तो कम-से-कम बच्ची बच जाती, रिश्ता न भी बचता "- वकील एक लम्बी साँस लेते हुए बोले ।
तभी शिवानी आ गई । जिस के चेहरे से दर्द झलक रहा था । "अंकल चले " - शिवानी धीरे से बोली ।
इन पेपरों पर हस्ताक्षर कर दो फिर चलते हैं ।
शिवानी साइन करने के बाद अंकल के साथ चली गई ।
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janu2k31
It's very wonderful and heart touching story. You ll realise only after reading this.
yoji25oct
annujanu
Very beautiful story
Description in detail *
Thank you for taking the time to report this. Our team will review this and contact you if we need more information.
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