धरती रिसोर्ट

साइंस फिक्शन
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“धरती रिसोर्ट”

(कहानी:–दिव्यांश पोटर “मासूम”)

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जैसे ही मुर्गा बांग देते हुए चिल्लाया...

"सूरज" तुरंत हड़बड़ा कर "निशा" को खुद के आलिंगन से अलग करते हुए बोला,

कि "किरण मेरा इंतज़ार कर रही है, अब जाना होगा..."

"अच्छा ठीक है, लेकिन रात को जल्दी आना," , निशा ने भारी मन से कहा।

सूरज ने कहा , "बिल्कुल! जल्दी ही आऊंगा, तब तक तुम "चंदा" के लिए खाने की तैयारी करो, वो आने को ही है।"

और सूरज निकल पड़ा किरण को रास्ते में से पिक-अप करते हुए

आकाश के बड़े-से फार्म हाउस पर अपनी ड्यूटी देने,

अरे भई! इलेक्ट्रीशियन है न सूरज, उसी की वजह से तो आकाश का फार्म हाउस पूरे 12 घण्टे रोशन रह पाता है।

और "किरण" तो उसकी कलीग है ही।

निशा जल-भुन जाती है किरण के साथ सूरज को इस क़दर काम करते हुए देख कर,

पर सूरज ने पूरे 12 घण्टे निशा और चंदा के साथ-साथ रहने और खाने पर आज तक कोई सवाल नहीं उठाया।

सूरज वाकई अपने काम का पक्का है,

चंदा तो हफ्ते में एक दिन छुट्टी भी मार लेता है अमावस को,

लेकिन सूरज..... न बाबा न!!!

आकाश उसको इस काम का एक्स्ट्रा पेमेंट देता था कि कहीं सूरज ने छुट्टी मार ली तो उसके फार्म हाउस के होटेल "धरती रिसॉर्ट" की लंका लग जानी है,

साथ ही साथ उसमें थोड़े समय के लिए आने वाले पर्यटक "इंसानों" को असुविधा होने से वे पास ही के अन्य होटेल,

जैसे "मंगल रिसॉर्ट या शनि रेसीडेंसी" में चले जायेंगे तो क्या होगा उसके छोटे-छोटे लेकिन ढेर सारें बच्चों "तारा और सितारों" का!!!

उनकी माँ "गैलेक्सी देवी" तो खून ही पी जायेगी आकाश का।

आकाश अपनी पत्नी गैलेक्सी देवी से बहुत डरता है,

डरे भी क्यों न बेचारा, जब भी लड़ाई या अनबन होती है , गैलेक्सी सूरज पर बड़े-बड़े कर्णभेदी उल्कापिंड छोड़ती है।

वो इसलिये चुप रहता है क्योंकि वह जानता है की इसमें गैलेक्सी की कोई गलती नहीं है, उसकी मानसिक स्थिति ही खराब है।

अरे! कितना बिछोह सहा है उस अभागी माँ ने अपने बच्चों से दूर होने का।

गैलेक्सी की सास और आकाश की माँ "अन्तरिक्ष बा" पुराने विचारों की थी इसलिए उसने गैलेक्सी से जबरन बच्चे पैदा करवाये।

यहां तक की अपने पति ब्रह्माण्ड साहब की भी एक न चलने दी।

आखिरकर हालत ये हो गयी कि

गैलेक्सी बेहद कमजोर हो गई, और उसके बच्चे "तारे और सितारे" भी कमजोर ही पैदा होने लगे।

और एक-एक करके धीरे-धीरे हमेशा के लिए टूटते चले गए,

तब जाकर सास को अक्ल आई।

लेकिन गैलेक्सी अब अंदर से निर्जीव हो चुकी थी।

आकाश आज भी उन सभी टूट चुके बच्चों की याद में समय-समय पर "फॉलिंग स्टार्स" नामक कार्यक्रम का आयोजन करता है।

और उसकी ऑडियंस होते हैं फार्म हाउस "धरती रिसॉर्ट" के पर्यटक "इंसान"।

सभी उन तारों सितारों को याद करते हुए अपने लिए एक 'विश' मांगते हैं।

खैर आज सूरज लेट था, आकाश के पूछने पर उसने बताया कि रास्ते में उसका मित्र "कोहरा" मिल गया था।

आकाश भी कोहरे को जानता था इसलिए उसने भी रूचि दिखाते हुए पूछा,

"अच्छा कहाँ जा रहा था वो...?"

"उसको और उसकी पत्नी "ओस कुमारी" दोनों को "हवा" आंटी ने अपने यहां काम पर रखा है , उनकी बेटी "सर्दी" मायके आई है न इसलिए।", सूरज ने कहा।

"अच्छा है चलो, बेचारे बेरोजगार को काम तो मिला, चार महीनों के लिए ही सही लेकिन घर में दो पैसे आएंगे तो काम आएंगे।", आकाश ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा।

"अरे! आज धूप कहाँ है भई...?", आकाश फिर से बोला।

"धूप को उसके कोहरे चाचा ने अपने पास ही बैठा लिया, "प्रभात" के साथ खेलने के लिए।", सूरज ने मुस्कुराते हुए कहा।

'प्रभात' कोहरा और ओस का इकलौता बेटा है, और धूप की कक्षा में ही पढ़ता है। दोनों साथ ही स्कूल जाते हैं।

लेकिन अनुसाशन में उसने सबको पछाड़ रखा है।

धूप भले ही छुट्टी कर ले लेकिन प्रभात! वो कभी नहीं करता छुट्टी,

क्योंकि अपने पिता की बेरोजगारी और घर की माली हालत उसे और पढ़ने व कुछ कर दिखाने के लिए प्रेरित करती है।

सूरज की छोटी-सी और इकलौती बेटी "धूप" रोजाना सूरज के साथ ही आती है उसकी ड्यूटी पर।

लेकिन आज वो उसको कोहरे के पास ही छोड़ आया प्रभात के साथ खेलने के लिए।

और सूरज रोजाना की इसी यंत्रवत चलती जिंदगी में भी मुस्कुराते हुए अपने केबिन की तरफ बढ़ गया,

जिसके दरवाज़े पर लगे चित्र के सात सुनहरे घोड़े अपने अलौकिक तेज से चमचमा रहा थे, मानो अभी दौड़ पड़ेंगे आकाश के "धरती रिसॉर्ट" की सैर करने।

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✍️दिव्यांश पोटर "मासूम"

कोटा, राजस्थान।

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