JUNE 10th - JULY 10th
"साढ़े तीन बजते ही नींद खुल गयी ,
उसने झटपट बिस्तर को समेटा और हाथ-पैर धुले ।
फिर अपने काम में लग गया और काम इतने की ३ से कब ५ बज गये पता ही नही चलता।
बिमार मॉं को पहले खाना खिलाया , फिर दवा खिलायी और फिर अपना बड़ा-सा बस्ता भरा और जाने को तैयार हो गया ।
बस्ता जिसमें आम बच्चों की तरह किताबें नहीं थीं ,
बल्कि उसमें मौजूद थे -
ढ़ेर सारे समोसे , भुनी हुयी हरी मिर्च , स्टोव, एक बड़ी-सी केतली और चाय बनाने के सारे सामान"।
ये छोटू की दैनिक दिनचर्या थी , वह रोज यही क्रम दोहराता ।
एक बड़े-से बस्तें में वो मॉं की बिमारी का इलाज , अपनी पेट की तिलमिलाहट दोनों की उम्मीद लिए पास ही एक छोटे-से स्टेशन पर रोजाना जाता ।
और बदले में थोड़ी-थोड़ी उम्मीद लिए वापस आता ।
उसकी उम्र लगभग १४ बरस थी पर बातें कभी कभार वयस्कों से बेहतर।
रविवार का दिन था ।
छोटू रोज के मुकाबले थोड़ा ज्यादा सामान अपने बस्ते में भर कर निकल गया ।
चूंकि रविवार के दिन स्टेशन पर रोज की तुलना में दो ट्रेनें अधिक आती थी ।
सुबह के ६ बजे थे ,
स्टेशन आधा भरा हुआ था ,
केतली हाथ में लिए और उसके कोने में बांध रखे थें कागज वाले कप के दो पैकेट ।
एक बड़ी-सी थाली , जिसमें समोसे और हरी मिर्च रखी हुयी थी
उसे उसने गर्दन के सहारे बांध रखा था ।
"गरम समोसे १० के ४ "
"चाय ३ की १ "
"चाचाजी चाय ,
माताजी चाय ,
भैया समोसे "
बोलिए !
बोलिए !
गरमा-गरम समोसे , गरमा-गरम चाय !
छोटू एक राउण्ड पूरा स्टेशन का मार आया ।
चेहरे पर कुछ पा लेने की गजब खुशी !
क्योंकि सुबह की बोहनी जो चुकी थी ।
अब वो प्लेटफार्म से थोड़ा दूर हट के
एक बेंच के पास बैठ अपने चाय को गर्म कर रहा था ।
तभी एक सज्जन आए और पूछा -
"ए छोटू समोसे कैसे दिए ?
"१० रूपए के ४ साहब ! छोटू ने कहा
"और चाय कितने का ?
"३ रुपए की !
"इतना महंगा काहे दे रहे हो समोसे बाबू ,
वो बड़ी दुकानवाला आदमी तो १० रुपए के ५ दे रहा है ! सज्जन बोले ।
"देखिए साहब !
ताजे समोसे हैं और गरम भी , यकीं नहीं तो छूकर देख लिजिए
वो बड़ी दुकानवाला है न ,
उसकी चमक-धमक देख कर लोग ले लेते हैं ,
और बासी समोसे भी चाव से खा लेते हैं ।
सज्जन मुस्कुराए और बोले -
"लाओ यार समोसे दे दो १० के !
छोटू ने फटाक से चार समोसे और हरी मिर्च डाल कर दे दी ।
छोटू - चाय भी दे दूं ?
सज्जन - अरे छोटू खा तो लेने दो यार !
छोटू शांत हो गया और फिर अपनी चाय गरम करने लग गया ।
कभी थाली में रखे समोसे सहेजता तो कपड़े से ढ़कता ।
इतने में सज्जन बोले -
"लाओ एक चाय दो अब !
ये लिजिए साहब !
छोटू ने चाय थमाते हुए कहा ।
सज्जन चाय पीकर बोले -
"चाय तो बड़ी अच्छी थी बच्चा ,
हाथों में जादू है तुम्हारे तो ,
खुद से बनायी है या मॉं से बनवा कर लाए हो ?
( पैसे थमाते हुए सज्जन बोले )
छोटू बोला -
"मां तो चारपाई से उठ ही नही पाती है साहब ,
कोई बहुत बड़ी बिमारी है डाक्टर हर बार दवाई देते हैं
और कहते हैं कि कुछ दिन में ठीक हो जाएंगी और यह कहते-कहते ना जाने कितने बरस बीत गये ।
और तुम्हारे पिताजी ? सज्जन पूछ बैठे !
पिताजी का नाम सुनते ही छोटू के चेहरे पर एक गहरी शिकन पड़ गयी ,
ऑंखें गीली हो गयी
और इतना देखकर साहब समझ गये कि पिताजी नहीं हैं !
रूंधे गले से छोटू बोला -
"पिताजी तो मजहबी दंगों में मारे गये !
पिताजी बचपन में गोद म बिठा कर धर्म की कहानियां सुनाते थे ,
कहते थें -
हमेशा ऊपरवाले में आस्था रखना और धर्महित के लिए लड़ना ।
मै बचपन में बिल्कुल पिताजी जैसा बनना चाहता था ,
अपने धर्म-मजहब़ की रक्षा हेतु सब कुछ कुर्बान कर देना चाहता था ।
पर जब उस मज़हबी दंगें में पिताजी मारे गये ,
तो मेरे पिताजी को दंगाई का नाम दे दिया गया ।
जिस धर्म-मजहब़ के लिए वो लड़ें , जिन लोगों के लिए लड़ें ,
वही लोग आज मुझे बेझिझक दंगाई का लड़का कह कर पुकारते हैं ,
मैनें भी धर्म की राह चुनी ,
पर धर्म-मजहब़ की रक्षा की नहीं , बल्कि अपनी लाचार मॉं की देखभाल की ।
जिसको मेरी जरूरत है मेरे धर्म-मजहब़ से ज्यादा" ।
तो तुम हिन्दू हो या मुसलमान ? सज्जन बोले
"हिन्दू हो या मुसलमान ,
दंगे में मरे लोग दंगाई होते हैं शहीद नहीं ।
मैं अब केवल एक इंसान हूं ,
एक मां का बेटा !
चलिए साहब !
मेरा धर्म-मजहब़ वो देखिए ट्रेन आ रही है ।
"गरम समोसे १० के ४ "
"चाय ३ की १ "
"चाचाजी चाय ,
माताजी चाय ,
भैया समोसे "
बोलिए !
बोलिए !
गरमा-गरम समोसे , गरमा-गरम चाय !
बोलते हुए छोटू अपने धर्म-मजहब़ की ओर निकल गया ।
#202
Current Rank
17,177
Points
Reader Points 510
Editor Points : 16,667
11 readers have supported this story
Ratings & Reviews 4.6 (11 Ratings)
vinaysharma90265
Waaah Bahut Khoobsurat story ! Real Issues of the country
ajeetmaurya959
Nice story
jagrutiapts
Description in detail *
Thank you for taking the time to report this. Our team will review this and contact you if we need more information.
10Points
20Points
30Points
40Points
50Points