JUNE 10th - JULY 10th
सुबह सुबह मैंने अपने कमरे में सोये हुए ही टी वी में एक खबर सुनी, “पांच साल की बच्ची का 3 लोगों ने बेरहमी से किया बलात्कार”, ये हमारे हिंदुस्तान में अब एक आम खबर बन चुकी है, हर दूसरे तीसरे दिन ये खबर सुनने को मिल जाते है। मुझे हैरत नहीं हुई, मैं अपने कमरे से बहार आया तो मेरी माँ और बहन बैठे उस खबर को देख रहे थे। मैंने बहन के हाथ से रिमोट लिया और चैनल बदल दिया, “भैया लगाओ उस चैनल पर”, बहन ने कहा,
“जा जाकर चाय बना कर ला”, मैंने कहा
“समीर, लगाओ न्यूज़ पर”, माँ ने कहा, अब माँ का कहना कैसे टालता, मैंने फिर न्यूज़ चैनल लगा दिया, और फ़ोन इस्तेमाल करने लगा। कानो में आवाज़ गयी, “ लड़की का नाम साक्षी बताया जा रहा है”, नाम थोड़ा जाना पहचाना लगा तो नज़रे टीवी पर गयी , और मैं टीवी पर लड़की की फोटो देख निशब्द हो गया। हाथ से फ़ोन छुटकर नीचे गिर गया, आँखों में आँसू आ गए।
फ़ोन गिरने की आवाज़ से माँ ने मेरी तरफ देखा , आँखों में आँसू देख कर माँ ने पूछा, “क्या हुआ समीर, तुम ठीक तो हो”,
“ हुँह! हाँ, ठीक हूँ, बस तबियत ठीक नहीं लग रही, कमरे में जा रहा हुँ, डिस्टर्ब मत करना”, मैंने कहा और कमरे में चला आया।
उस लड़की को मैं जानता था, जो आज खबर बनी हुई है। वो सफर! जहाँ मैं उससे मिला था, और उस बच्ची के सवाल ने मेरे रूह को झकझोर कर रख दिया था। अब भी याद है मुझे।
पिछली बार जब दिल्ली से घर आ रहा था तब हुई थी मुलाक़ात।
उस दिन मेरी ट्रेन आधे घंटे लेट थी। मैं डायरेक्ट कॉलेज से स्टेशन के लिए निकला था। ट्रेन शाम के 5 बजे आई थी, दिन भर की थकावट की वजह से अपने सीट पर जाते ही सो गया था।
एक घण्टे बाद जब नींद खुली तो साइड लोअर बर्थ पर 3 अधेड उम्र के लोग बैठे कुछ राजनितिक बातें कर रहे थे, सामने वाली बर्थ पर एक औरत और उसकी लगभग 5-6 साल की बच्ची थे। बहुत प्यारी बच्ची थी, गोरा रंग, भूरे बाल, बड़ी बड़ी आँखे। और जितनी ही सुंदर थी उतनी ही चुलबुली थी। कभी ऊपर वाली बर्थ पर चढ़ जाती, तो कभी नीचे उतरती। उसकी माँ उसे बार बार डांट रही थी। मैं अपनी सीट पर बैठे उसे देख रहा था, उसने मेरी तरफ हाथ हिला कर हेल्लो कहा था, इससे पहले की मैं हेल्लो बोलता, उसकी माँ ने उसका हाथ झटके से पीछे खींच लिया और डांटने लगी, उसने अपनी बेटी का सर अपने गोद में रखा और सुलाने लगी, उसकी माँ की आँखों में अजीब सा डर देखा था मैंने।
मैंने भी अपना ईरफ़ोन्स निकाले और आँखे बंद करके लेट गया। थोड़ी देर बाद मुझे किसीने उठाया, मैंने आँखें खोली तो वो बच्ची मेरे बगल में बैठी थी, और उसकी माँ सो रही थी।
“हाय! मैं साक्षी”, उसने कहा
“हेल्लो! मैं समीर”, मैंने कहा
“आपके फ़ोन में गेम है क्या”, उसने पूछा,
“हाँ! लूडो खेलोगी”, मैंने कहा और हमने लूडो खेलना शुरु कर दिया।
साइड लोअर बर्थ पर बैठे लोग अब राजनीति से समाज की बुराइओ पर बात करने लगे थे।
मैंने ध्यान नहीं दिया था क्या बात कर रहे थे, लेकिन साक्षी ने मुझसे पूछ बैठी, “भैया ये रेप क्या होता है” , मैं उसके इस सवाल से दंग रह गया था अचानक इसे ये सवाल क्यों सुझा होगा, फिर मेरा ध्यान उन लोगों के तरफ गया, वो लोग इस बुराई पर बात कर रहे थे, और मज़े की बात ये थी की ये बुराई लड़कियों की वजह से फैल रही इसपर चर्चा हो रही थी। एक ने कहा, “अरे ये सब लड़कियों के कपड़े और आज़ादी के वजह से हो रहा है, लड़के तो लड़के है, अब छोटे छोटे कपड़े पहनेंगी तो किसी का भी मन बहक जायेगा न”। उस आदमी की बातों का समर्थन करते हुए दूसरे आदमी ने कहा था, “ वही तो, आपके हमारे घर में भी तो बेटियां है, देखिये कायदे से रखे है, तो सब ठीक है”। उनकी बातें सुनकर जी चाह रहा था उठकर एक थप्पड़ जड़ दूँ, मैं सोच ही रहा था की ऊपर से एक लड़के की आवाज़ आई, “ सही कह रहे हो चाचा, लड़कियों के कपड़े ही तो जिम्मेदार है इन चीज़ो के लिए, कल न मेरी भतीजी हुई है, सोच ही रहे थे क्या गिफ्ट से अब सोच रहे साड़ी गिफ्ट करदे”,
“अरे इतनी छोटी बच्ची को कोई साड़ी देता है भला”, एक ने कहा और सब हँसने लगे,
“ये भी है, तब आपलोग ज्ञानी लोग है बताइये ऐसा कौन सा कपड़ा दे जिससे मेरी भतीजी के साथ ये रेप न हो, काहे की कल ही न्यूज़ सुने थे 6 महीने की बच्ची का बेरहमी से किया रेप”, उस लड़के ने फिर कहा,
ये जवाब सुनकर वहां बैठे 3 नो आदमी चुप गए, साक्षी भी पूरे बात को सुन रही थी उसने मुझसे फिर पूछा, “भैया ये रेप क्या होता है, और लड़कियों के साथ ही क्यों होता है, क्या मेरे साथ भी होगा?”, उसके किसी भी सवाल का जवाब नहीं था मेरे पास, मैं कुछ कहता उससे पहले उसकी माँ की नींद खुल गयी, साक्षी को मेरे पास देख घबरा गयी और उसे अपने पास खींच लिया। उसकी माँ का डरना जायज था। मैं चाहता तो साक्षी को झूठी तसल्ली दे सकता था। लेकिन उसके सवाल ने मेरी अंतरात्मा को झकझोर दिया था। उसे झूठी तसल्ली देने की हिम्मत नहीं हुई।
और आज वो बच्ची खबर बनी हुई थी। हर खबर की तरह लोग इसे भी भूल जाएंगे, मेरी माँ मेरी बहन जो अभी टीवी के आगे बैठकर उसकी खबर सुन रहे, कुछ देर बाद हंस रहे होंगे किसी और बात पर।
साक्षी का सवाल अधूरा था,उसे इसका जवाब मिला ही नहीं और शिकार हो गयी। आखिर कबतक, कौन थी पहली, कौन होगी आखिरी। कब ये मासूम बच्चियां नहीं ये हैवानियत मरेगी।
#59
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27abhinav.sinha
ridhisharma
Mirror of society
divya_jot123
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