रात

Adventure
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एक वक्त की बात है जब अंकित अपने सपनो को हार के बैठा हुआ था वह चाँद को बस घूरे जा रहा था। उसे एक महान गायक बनना था पर उसके परिवार वाले नहि मान रहे थे। वह उसे गालियाँ देते उसे मारते.. वह रोता और चूप चाप बिस्तर पर जाकर लेट जाता और रात का इंतज़ार करता और जैसे ही चारों ओर अंधेरा हो जाता वह खड़ा होता और बस बाहर जाकर बैठ जाता और चाँद को घूरता रहता। वह अब बस थक चुका था। उसे कई बार कोशिश की के अपने माता - पिता को समझाने की पर हर कोई उसका मज़ाक़ उड़ता सब यह कहते की एक गायक बनने के लिए आवाज़ चाहिए जो तेरे पास नहि है.. उसे बहोत बुरा लगता वह वहाँ बैठे बैठे बस उस इंसान को देखते रहता और रोता रहता.. वह यही सब सोचते सोचते रसोईघर में जाता है और सामने पड़े चाकू को देखता है....

वह चाकू को देखते हुए हज़ारों चीजें सोचता है वह अब पूरी तरह से थक चुका था उसने चाकू को हाथ में लिया और अपने कलाई पर लगा दिया उसकी आँखों से आँसु निकलते जाते है वह अपने माता - पिता के शब्दों को अपने रिश्तेदारों के शब्दों को याद करता जाता है उसके दिमाग़ में वह सारे पल जैसे ही आते जाते है वह अपनी कलाई पर चाकू और ज़ोर से रखता है वह सोचता है कि मरने के बाद तो वैसे भी सब ख़त्म हो जाएगा फिर ना ही सपना रहेगा ना ही कोई गाली नहि मैं....

वह जैसे ही चाकू और ज़ोर से रखता है उसके हाथों से थोड़ा खून निकलता है वह अपनी आँखें बंद कर देता है तभी उसके दिमाग़ में एक ख़याल आता है ... " अगर मैं मर गया तो सब मुझे कायर समझेंगे और यही कहेंगे की देखा हमने पहले ही कहा था कि कुछ नहि कर पाएगा... क्या पता क्या क्या सोचेंगे, ना ही मैं कायर हूँ और ना ही मैं डरपोक.. मैं एसे हर नहि मान सकता " वह सोचते ही चाकू वापस रख देता है और अपने माता - पिता की पास जाकर सो जाता है। वह सोते हुए अपने माता - पिता को देखता है वह लोग बड़े चैन से सो रहे थे.. वह सोचता है कि अगर मैं आज अपनी जान ले लेता तो शायद लोग मेरे माता - पिता को भी बहोत कुछ बोलते वह बड़ी देर तक अपने माता - पिता को देखता रहा फिर गिली आँखें लेकर सो गया...

वह एक रात थी जिस रात को उसने यह ठान लिया था की वह इतनी मेहनत करेगा की सबको यह साबित कर देगा की उससे अच्छा गायक कोई नहि है उसने कई दिनो तक खुद की ही आवाज़ नहि सुनी थी पर वह खाने का अभ्यास करने के लिए बाहर जाता और अकेला रह कर गाना जाता फिर सबके गाने सुनता सीखता.. उसने अपने शहर में हो रहे ऑडिशनस देखना शुरू कर दिया वह छुप-छुप कर ऑडिशन देने जाता उसे कई बार हार मिली पहले ही पड़ाव में वह बाहर निकाल दिया जाता पर उसने हार नहि मानी वह सोचता की वैसे भी उसकी ज़िंदगी में उतना दर्द तो है एक दर्द और सही यही सोच कर वह वापस और मेहनत करके जाता... एसा करते करते उसने एक ऑडिशन पास कर लिया, उसने खुद एक गाना लिखा था उसने वही गाना वहाँ गाया वोह गाना सबको बहोत पसंद आया । वह ऑडिशन टीवी पर भी आ रहा था यह बात उसे पता नहि थी वह तो जल्दी जल्दी घर के लिए निकल जाता है क्योंकी उसके माता - पिता को यह पता नहि था वह सोचता है की अगर उनको पता चलेगा तो वोह फिर से उसे गालियाँ देंगे मारेंगे...

वह भागते भागते अपने घर के पास पहुँचता है वह देखता है की उसके घर के आगे बहोत बड़ी भिड़ होती है वह यह देखके हैरान हो जाता है वह तेज़ी से अपने घर की और बढ़ता है सब उसे बड़े आश्चर्य से देख रहे थे जैसे वह पहली बार वहाँ आया हो अंकित को कुछ नहि पता था वह तो घर जाकर देखता है तब उसे पता चलता है की उसके माता - पिता ने और सबने उसे टीवी पे गाते हुए देखा। वह तुरंत अपने पिता के पास जाता है और हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगता है... उसके पिता तुरंत उसे ज़ोर से गले लगा लेते है और उससे माफ़ी माँगते है...अंकित को समझ ही नहि आ रहा था उसकी कहानी अब पलट चुकी थी जो लोग उसे गालियाँ दे रहे थे आज वही उसकी तारीफ़ करते हुए थक नहि रहे उसे एसे देखते थे जैसे वह कोई फ़िल्म स्टार हो...

वह दिन अंकित और उसके माता - पिता बहोत खुश होते है आज पहले बार तिनो साथ में खाने बैठते है और बादमे साथ में सो जाते है। अंकित के माता - पिता उसे सोते हुए देखते रहते है और बहोत गर्व महसूस करते है धीरे - धीरे उनकी भी आँख बंद हो जाती है और वह सो जाते है, थोड़ी देर के बाद अंकित की आँख खुलती है वह खड़ा होता है और बाहर जाकर खड़ा रह जाता है और आसमान की तरफ़ देखता है और वापस घर में आकर रसोई घर में जाता है और वह चाकू अपने हाथ में लेता है और हँसता है...

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