JUNE 10th - JULY 10th
कालेज के शुरुवाती दिन हों और वो अभी तक क्लास की सभी लड़कियों के व्यवहार , व्यक्तितत्व का असेसमेंट ही कर रहा हो और अचानक उसको वो शांत रहने वाली लड़की पसंद आने लगे और उससे भी ज्यादा की लैब में प्रॅक्टिकल्स के दौरान वो दोनों एक ही बैच का हिस्सा बन जायें ,उसका सौभाग्य ही मानो ..लैब में कभी वे साथ वेल्डिंग कर रहे होते ,कभी मोटर की स्पीड माप रहे होते और कभी उन प्रॅक्टिकल्स के दौरान ही डम्ब-शैरॉड के कॉम...्पिटिशन की तैयारी ..परिस्थितियां खुद रिश्तों के रूप व आकार का निर्माण करती हैं ..
हॉस्टल में जाकर परम मित्र के एडवांस कम्प्यूटर जिसमें 256 MB की रैम आयी है पर कभी वो दोस्तों के साथ "देवदास" मूवी देखता कभी "रहना है तेरे दिल में" तो कभी जगजीत की गजलों में "इश्क कीजे फिर समझिये ,जिंदगी क्या चीज है " सुनते हुए जीवन की सार्थकता को मुह्हब्बत के चश्मे से ढूंढने की कोशिश करता ..मुह्हब्बत की खूशबू आने लगती जब भी वो उससे मिलती .. लड़की 80% नंबर लाती और वो 62 % ..उसको ज्ञात था की इतने प्रतिशत जिंदगी की गाड़ी धकेलने को प्रयाप्त हैं ..ऐसे ही पास होते हुए कालेज के आख़िरी साल हो चला ..वो चाहता तो था इजहारे इश्क करना पर साले की नब्ज कमजोर पड़ जाती थी ..कोशिश की थी जरूर , पर तीनों बार हिम्मत के गुब्बारे की हवा निकल गयी ..
आख़िरी सेमेस्टर था उसका कमीना दोस्त ज्यादा जिगरी हो गया था ..हॉस्टल के उसी कमरे में उसका दोस्त बोलता "साले कोई रिग्रेट लेकर मत जाना कालेज से " दोनों दोस्तों की सोच साला कितनी ज्यादा मिलती थी ..हर बात पर ..256 MB रैम वाले कम्प्यूटर से चित्रा सिंह गा रही होती "दिल~ए~नादाँ तुझे हुआ क्या है ,आखिर इस दर्द की दवा क्या है "
अगले दिन वो लड़की को लाइब्रेरी बुलाता और इजहारे इश्क तो पता नहीं पर ये जरूर कह आता की तुम दोस्त से काफी बढ़कर हो..आई लाईक यू .. और बदले में मेरी तुमसे कोई एक्सपेक्टेशन नहीं है ..कालेज के वे आख़िरी 3 महीने दोस्ती से ज्यादा वाला इमोशन का प्ले ग्राउंड बन जाता ..कालेज के आख़िरी दिन से पहली रात तकरीबन 2 बजे लड़की का sms आता " आई विल मिस यू :( "
नौकरी ढूढ़ने की जद्दोजहद लड़के और लड़की दोनों को एक ही शहर में अपने-2 रिश्तेदार के यहाँ पटक देते ..शहर का विस्तार जितना बड़ा था लोगों की जिंदगी उतनी सिमटी ..उस शहर में रहते पर वो मिल नहीं पाते ..केवल फोन का आसरा होता ..रिलाइंस के sms पैक को दोनों निचोड़ लेते. तकरीबन एक दिन के 400 sms आदान-प्रदान करने में.. "आई मिस यू" से "आई लव यू" और "आई लव यू टू" तक का सफ़र शुरू होता ..मिलने को तड़पन होती पर लड़की जिन रिश्तेदार के वहां रहती वहां से बाहर निकलना और मिलने की हिम्मत करना बस की नहीं थी ..ऊपर से नौकरी की खोज की उधेड़बुन .. लड़की की नौकरी किसी बड़ी कंपनी में लग जाती लड़के की किसी फैक्टरी में ..मिलने के लिए 200 किमी दूर कालेज जाना तय किया जाता ..लड़की का परिवार भी उस शहर के पास ही रहता ..इश्क की कमजोरियां और मजबूतियाँ के दौरान ऐसे ही निर्णय होते हैं जिनमे पागलपन हो और जिनको क़ोई तीसरा निरर्थक समझे,पर इश्क तो इश्क है ,पागलपन न हो तो काहे का इश्क ..एक मुलाक़ात के लिए 200 किमी दूर जाना तय रहा..
कालेज से डिग्री लेने की कोई खुशी नहीं थी मगर वो 3 घंटों की खुशी थी जो उन्होंने कालेज के अंदर अल्हड से इश्क की छतरी के नीचे बिताये..कुछ कुछ धुंधले सपने देखे ..लड़के ने पहली तनख्वाह से खरीदी ब्लैक पैंट और लाइट पीच कलर हाल्फ शर्ट पहनी थी और लड़की ने उस ड्रेस की दो बार तारीफ़ की ..वो फूला नहीं समाता पर जाहिर भी न करता ..कालेज के इतने सारे पेड़ों पर उन दोनों को नए फूल खिलते से नजर आने लगे हैं ..पर चार साल में पहले तो ऐसे कोई फूल थे नहीं वहाँ ..शायद हवाओं में बहती खूशबू भी इन फूलों की हो ..नहीँ वो तो इश्क की हवाएँ हैं .. अलविदा बोला और ये डिसाईड हुआ की सुबह इकट्ठे एक ही बस में चलेंगे ..लड़का दोस्त के घर चला गया और लड़की अपने ..
अगली सुबह दोस्त भी 4 बजे उठा स्कूटर पर लड़के को बस अड्डे छोड़ा और गले मिल के कुछ बिना कहे काफी कुछ कह गया ..इश्क के रास्तों में बहनें और दोस्त ऐसे होते हैं जैसे टेस्ट मैच में लोअर आर्डर का बैट्समैन ,रन आपको ही बनाने होते हैं मगर उनको अपने विकेट बचाई रखनी होती है ..आपकी इश्क की सेंचुरी में उनका ज्यादा योगदान होता है..गंगाजी को छूं कर आयी सर्द सी हवा सुबह 4 बजे जैसे जिंदगी के अहसासों को परालौकिक सा करती महसूस कर रहा था वो .. बस में दो टिकिट लेता और कंडक्टर को बोलता की एक सवारी अगले शहर से बैठेगी ..लड़की वहाँ इस टेंशन में है की कैसे उसी बस को पकडे ..साथ में छोड़ने आये गुस्सैल पापा भी हैं ..बस स्टॉप पर बस रुकी कंडक्टर चिल्लाया बुलाओ जी अपनी सवारी ..वो खामोश है ..आज भी वही हाफ शर्ट पहन आया जानबूझकर ..हाँ लाईट पीच कलर की ..लडकी के पापा की कंडक्टर से कुछ तो लड़ाई हो गयी है ..वो चुपचाप बैठा है "प्रेम के ईश्वर " से प्रार्थना करता ..प्लीज उसके पापा के गुस्से को शांत करवा दो और लड़की को बस में आने दो..बस छूटने ना पाय ..आखिरकार वो आयी ..दोनों की नजरें मिली मगर बोले नहीं अनजान बने रहे पापा भी आये थे न सामान चढाने ..पापा चले गए ..कंडक्टर चिल्लाया ..आपकी सवारी नहीं आयी ..लड़का बस इतना बोला की "चलो " .. लड़की आकार अब उसके बगल वाली सीट पर बैठ गयी है ..दोनों ने गहरी सांस ली ..थोड़ी बहुत बातें हुई ..अचानक से जीवन इतना रंगीन सा होने लगी ..सर्दियों में बर्फ पडने के दो-एक दिन बाद की धूप सी ..रातों को चमेली के पेड़ के नीचे की खुशबू सी ..बरसात के दिन के बाद रात को चमचमाते आसमाँ सी ..लड़की ने धीरे से पूछा की कोई दुसरी शर्ट नहीं लाये थे ..लड़का सिर हिलाते हुए झूठ बोलता "नहीं"
लड़की उसके कंधे पर सिर रखे भविष्य की अनिश्चितताओं का जिक्र करती और लड़का सर्दी की उस धूप समाँ गर्माहट को ज्यादा से ज्यादा ताप लेने की कोशिश .. दोनों को बिलकुल भी नहीं पता था की भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है पर दोनों को ये जरूर पता था की ये सफ़र ये समय अपने आप में सम्पूर्णता की छाप छोड़ेगा .. लड़का उन धुंधले सपनों में गुम खुद ही खुद में मुस्कुरा रहा है और लड़की धीरे से उसकी पीच कलर की हाफ शर्ट पर कहीं तो बाएं कंधे के पास चुपके से सेकण्ड के दसवें हिस्से से भी कम समय के लिए उसे चूम लेती है ..वो सोचती है की उसे खबर नहीं हुई और वो जानता है इस बात को ,इसलिए उस एक बटा दस सेकेण्ड के अहसास को महसूस होते हुए भी ऐसा व्यक्त करता है जैसे उसको पता नहीं चला ..ये बस का सफ़र और ये समय इस तरह कई पड़ाव पार करते एक दिन थम जाता है ..
दिसंबर महीने की भी अपनी कोई अलौकिक खुशबू होती है ..
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anshuji115500
Dil ko chu lene vala. Sabdo ka accha prayog.
ajaykunj
Adbhut
manika.gupta
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