हर हर महादेव

minikpurimona1989
कथेतर
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हर हर महादेव

आज मैं आपको शक्ति और भक्ति की कहानी बताऊंगी मैं उस कन्या के बारे में बता रही हूं । जिसके सिर पर महादेव का पूरा आशीर्वाद है और वह हमेशा उस कन्या की रक्षा करते हैं । सुनने में तो बहुत ही अजीब लगेगा क्या आज के इस युग में ऐसा होता है पर हां यह सत्य है कि आज भी ईश्वर है शक्ति है भक्ति है और हम जो सुन रहे हैं देख रहे हैं वह सब महादेव की कृपा है और आज की दुनिया में बहुत से ऐसे मनुष्य हैं जिनमें महादेव की असीम शक्ति है और उन पर महादेव का पूरा आशीर्वाद है

मैं उस कन्या के बारे में बता रही हूं जिसमें महादेव की असीमकृपा हैऔर वह महादेव की परम भक्त है महादेव की परम भक्त है उस कन्या के बारे में बता रही हूं जो इस बीसवीं शताब्दी में ही पैदा हुई मैं उस कन्या के बारे में बता रही हूं जो एक जमीदार कुल से संबंधित कन्या है जिसका जन्म होने वाला था उस वक्त ऐसे ऐसे रहस्यमय घटनाएं घटी जिससे ऐसा मानो मानो कोई चमत्कारी शिशु जन लेगा कुछ दिन बाद उस कन्या का जन्म हुआ जन्म होते ही सभी जगह खुशियों का माहौल हुआ जैसे ही वह कन्या ने जन्म लिया वैसे ही उस कन्या के परिवार में धन अपरंपार बढ़ गया उनके परिवार में सभी स्त्रोतों से धन का आवक होने लगा उनके घर के सभी भंडार उस वक्त भर गए सभी बहुत खुश हुए कि हमारे यहां एक कन्या ने जन्म लिया है जोकि माता लक्ष्मी का रूप के समान है स्वयं मां लक्ष्मी हमारे यहां पधारे हैं जिसके कारण हमारे घर में सभी भंडार भर गए हैं और पैसों की आवक सभी स्त्रोतों से होने लगी है सभी बहुत खुश है पर उस कन्या का जन्म होते ही उसकी माता बहुत ही बीमार हो गई जिसके कारण उस कन्या को एक दूसरी महिला को दिया गया उसकी देखभाल करने के लिए और उस महिला को पैसे भी रुपए भी दिए गए उस कन्या का अच्छी तरह से देखभाल करने के लिए पर वह महिला बहुत ही लालची थी जिसने उस वक्त पैदा हुई जली हुई कन्या के बारे में कुछ नहीं सोचा और उन सभी रूपों का इस्तेमाल अपने आराम के लिए करने लगी तथा उस कन्या को चावल का मांड पिलाती थी सोचने वाली बात यह है कि 3 महीने तक यही कार्य होता रहा वह महिला उस कन्या के माता-पिता से रुपया लेती और अपने आराम में लगा देती और उस कन्या को केवल चावल का मांड पिलाती है दांगी कि वह कन्या 3 महीने तक बिना कोई परेशानी बिना कोई परेशानी से आराम से जिंदा थी आज के युग में जब तक छोटे बच्चे को मां का दूध ना मिले या कोई सभी दूध ना मिले तो वह जीवित रहने में असमर्थ रहता है पर उस कन्या को देखो वह केवल चावल का मांड पीकर जीवित थी यह सिर्फ महादेव का आशीर्वाद और उनकी रक्षा थी जिसके कारण वह कन्या जिंदा थी चावल के पी कर भी 3 महीने के बाद उस महिला ने उस कन्या को उसके माता पिता के पास लौट आया सभी खुश हुए लेकिन यह बात किसी को पता नहीं था कि वह महिला उस कन्या को चावल का मांड पिलाकर 3 महीने तक जीवित रखा लेकिन कहते हैं ना कि जब आपका बुरा वक्त आता है तो सभी आपकी जितनी भी प्रॉब्लम होती है वह सब सामने आ जाता है उस महिला की रिश्तेदार नहीं बता दिया उस कन्या के माता-पिता को उस महिला ने उस महिला ने उस कन्या को चावल का मार्ग इलाके रखी थी तभी दूध नहीं पिलाया माता पिता बहुत ही क्रोधित हुए और उसे डरा कर बैठ कर वहां से भगा दिया कुछ दिन बाद वह कन्या जब 1 साल की हुई तो उसका रूप देखने लायक था वह बहुत ही खूबसूरत सुंदर मनोहर मनोरमा थी जिसके बहुत ही खूबसूरत आंखें बड़ी बड़ी ब्राउन कलर की आंखें थी उसके सुनहरे बाल थे उसका शरीर भी सोने के जैसी कलर के लिए हुए चमकता था वो इतनी खूबसूरत दिखती थी मानो एक परी इस दुनिया में आई हो उस कन्या को देखते ही लगता था कि यह किसी भगवान की असीम कृपा से पैदा हुई है और इस दुनिया में आई है वह बहुत ही सुंदर थी जिसे जिसे वह कन्या बढ़ी हुई वैसे वैसे उसकी खूबसूरती निखरती चली गई उसे देखते ही ऐसा लगता था मानो वह हल्दी के गोला हो और बहुत ही खूबसूरत लगती थी कुछ दिन बाद जब वहां 6 साल की हुई तब उसके साथ घटनाएं घटने लगी बहुत ही सनसिटी बहुत ही ज्यादा नाजुक थी उसको यदि कोई छोटी सी चींटी भी काट ले तो उसके उस स्थान से खून निकलने लगता था यदि कोई छोटी सी चींटी या मच्छर काट ले उसी वक्त उसका वह भाग शरीर का वह भाग सूज जाता था और ब्लड निकलता था उसे धीरे-धीरे प्रॉब्लम होती गई कभी उसकी आंखों से खून निकलता तो कभी उसके नाक से तो कभी उसकी उंगलियों से ।इतना ज्यादा सनसिटी इंसान देखने में नहीं मिलते पर वह कन्य बहुत ही ज्यादा नाजुक थी कहते हैं कहते हैं जब कोई इंसान इतना नाजुक होता है तो उसे हॉस्पिटल ले जाया जाता है उसका इलाज कराया जाता है पर यह करना इसका तो कोई इलाज ही नहीं होता वह वैसे ही ठीक हो जाती थी क्योंकि उसके सिर पर महादेव का पूरा आशीर्वाद था महादेव स्वयं उसकी रक्षा करते थे उस कन्या का वर कन्या जब वह कन्या थोड़ी बड़ी हुई तो उसका नामकरण हुआ जो उसका नामकरण हो रहा था तब उनके घर में बहुत ही खुशियां मना रहे थे उसके दादाजी ने अपने मन में पहले से ही उसका नाम सोच रखे थे क्योंकि उन्हें यह लगता था कि वह कन्या साक्षात मां लक्ष्मी का आशीर्वाद है इसलिए उन्होंने उसका नाम रमा रखा रमा पुरी उसके दादा श्री धर्मपुरी बहुत खुश थे क्योंकि उस कन्या के आते ही उनका सारा भंडारा फुल भर गया था सभी स्ततों से धन की आवक हो रही थी जब वह कन्या कन्या रमा पूरी 11 साल की हुई तो उन्हें साक्षात महादेव ने आदेश पर रूप में दर्शन दिए वह कन्या वह रमा पुरी महादेव का इस रूप को देखकर चकरा गई और उन्हें निहारते निहारते देखने लगी कि महादेव कितने खूबसूरत कितने मनोहर लग रहे हैं माता पार्वती के साथ एक साथ दोनों कितने खूबसूरत दिख रहे हैं वह उन्हें देख रही थी उनके मुकुट को देखने के लिए जैसे ही वह ऊपर दिखने लगी उनका मुकुट आसमान को छू रहा था और वह नीचे गिर गई देखते-देखते क्योंकि वह ऊपर देख रही थी अचानक जब वह गिरी तो उसके पिताजी ने यह आवाज सुनी और भागकर उसके पास है पूछा क्या हुआ तुम अचानक कैसे गिरी उसने कहा पापा जी देखो साक्षात महादेव अवधेश पर रूप में है वह देखो वह बादल को छू रहे हैं कितने लंबे हैं दोनों जुड़े हुए हैं माता पार्वती और महादेव पिताजी ने कहा मुझे तो कुछ नहीं दिखा और वह मन ही मन इतने खुश हुए कि मेरी कन्या को महादेव ने साक्षात दर्शन दिए उन्होंने कहा कि बेटा अब तुम महादेव की पूजा किया करो क्योंकि महादेव तुम पर बहुत खुश हैं और वह तुम्हारी रक्षा करेंगे तुम हमेशा महादेव की पूजा किया करो अभी से महादेव का पूजा करना प्रारंभ कर दो पिताजी की बातें सुनकर महादेव की पूजा करने लगी पिताजी जानते थे एक अद्भुत कन्या है क्योंकि उन्हें पता था कि जब एक छोटा बच्चा बोलना सीखता है तो सबसे पहले मां या पिता या भाई या बुआ जैसे शब्दों को पहले व्यक्त करता है लेकिन रमा पुरी के साथ कुछ अलग ही था वह पहला शब्द जय भोले जय भोले नाथ हे श्री कृष्णा इन शब्दों का उच्चारण करने लगी जिससे उसके पिताजी बहुत आश्चर्यचकित पर उस कन्या को यह बात नहीं मालूम था कि वह ऐसा कुछ बोलती है जलकन्या अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी तब उसके हाथ में लोहे का बहुत ही बड़ा पाइप गिरा और उसके हाथ में खून की धारा बहने लगी उसकी सहेलियां डर गई और उन्होंने रुमाल से उसके हाथ को बांध दिया मिट्टी भी डाल दिया ताकि उसका खून निकलना बंद हो जाए और हाथ ठीक हो जाए ऐसा करने के बाद सब अपने अपने घर गए रवा पूरी जब घर आए उनके पिताजी ने उसके हाथ को देखा अचानक देखा रवा परी के हाथ में रुमाल बंधा हुआ था पिताजी ने पूछा बेटा यह हाथ में रुमाल क्यों बंद है रामा ने कहा पापा हाथ में लग गया है उनके पिताजी हाथ को देखें उस रुमाल को हटाकर देखें तो तो उसके हाथ में चोट थी गहरी पर उस कन्या ने पिता से कहा पापा हाथी हो जाएगा आप रहने दो मुझे हॉस्पिटल नहीं जाना है पिताजी ने उसकी बात मान ली और दूसरे दिन उसका हाथ ठीक हो गया यह एक चमत्कार के रूप में था जो बिना दवाई डॉक्टर के पास जाएं ही हाथ ठीक हो गया क्योंकि रमा को ऐसा लगा महादेव हाथ ठीक कर देंगे और सेम ऐसा ही हआ उसका हाथ ठीक हो गया

कुछ दिनों बाद ब्रह्मा के घर में सत्यनारायण की कथा हो रही थी जिसकी तैयारियां चल रही थी रमा को उसकी माता ने कहा की जाओ पुत्री अपनी सहेलियों के साथ और धोनी का पत्ता लेकर आ जाओ हम उसमें प्रसाद सभी को वितरित करेंगे राम आने का ठीक है और वह अपनी सहेली के साथ धोने का पत्ता लेने गए वह वहां धोने का पत्ता तोड़ रही थी कि अचानक देखा एक आदमी साइकिल लेकर उसके सामने तेज गति से चला आ रहा है मैं कुछ सोच भी नहीं पाई और वह आदमी उसे धक्का मारकर उसकी पेड़ के ऊपर से अपनी साइकिल का पहिया निकाल कर चला गया रमा वहां गिर कर रो रही थी उसकी सहेली तुरंत उसके पास आए और देखा उसके पैर में चोट लग गई उसने उसे उठाया और अपने साथ उसके घर ले जाने लगी तभी रामा के पिता सामने आ गए और देखा कि पुत्री ठीक से चल भी नहीं पा रही पिता ने पूछा रामा क्या हुआ क्यों नहीं चल पा रही हो रामा ने कहा पापा कोई अंकल मेरे पैर पर साइकिल चढ़ा कर चले गए ऐसा लगा जैसे वह कोई बदला ले रहे हो पिताजी को बात समझ में आ गई कि वह इंसान उनका कोई दुश्मन है जो उनकी रामा को चोट पहुंचाना चाह रहा था उनके रमा के पिता तुरंत बाहर गए उस आदमी को ढूंढने के लिए और उसे उसकी सजा दी इस प्रकार रमा का पेड़ भी अपने आप ठीक हो गया सिर्फ महादेव की कृपा से रामा के साथ कभी भी कुछ बुरा होता तो महादेव साक्षात उसे बचा लेते वह सोचती कि महादेव मेरे फ्रेंड है मेरे दोस्त हैं कौन है मुझे क्यों बचा लेते हैं वह हमेशा यही सोचती एक दिन रामा के पिता की मृत्यु हो गई वह बहुत ही दुखी थी और हमेशा अपने पिता को याद करके रोती रहती थी अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने लगी माता ने देखा कि रमा की तबीयत बिगड़ रही है उसने उसका इलाज कराया और फिर वहां कुछ पंडित आए उन्होंने रमा को देखा और कहा यह तो अल्प आयु है रमा की उम्र ज्यादा नहीं है यह केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगी राम की माता बहुत ही चिंतित हुई रमा के लिए और उन पंडित से कहा कि क्या कोई उपाय है जिससे यह ठीक हो इसकी उम्र बढ़ जाए या कुछ ऐसा हो जिससे रामा आगे तक जीवित रहे पंडित ने कहा कि हां अगर यह भगवान से संबंधित पूजा पाठ करती है दीक्षा लेती है पूजा में अपना समय व्यतीत करती है महादेव में अपना समय व्यतीत करती है महादेव के मृत्युंजय का जाप करती है तो निश्चित ही इसकी उम्र बढ़ जाएगी माता सुनकर बहुत खुश हुई और रमा को उन पंडितों के पास पहुंचा दिया और कहाआज से तू इन पण्डित के बीच में रहेगी पंडितों के बीच में रहेगी और पूजा-पाठ महादेव की शक्ति भक्ति हर चीज को अपने में समाहित करेगी और मृत्युंजय का जाप करेगी।

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