लुप्त टापू

रहस्य
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यह कहानी एक हवाई जहाज में शुरू होती है। जिसमें 1000 से ज्यादा यात्री बैठे थे। विमान में महिलाएँ, बच्चे, पुरुष, बूढ़े, गर्भवती माँ, गरीब, अमीर और हर तरह के लोग थे। कहानी का मुख्य पात्र विमान की एक सीट पर बैठा था, जिसका नाम अर्जुन सिंह था। विमान में उसकी पत्नी और दो छोटी बेटियाँ भी थीं। अर्जुन और उसका परिवार अमेरिका में रहने जा रहें थे। अर्जुन भारत के दिल्ली शहर में रहता था। बचपन से ही उसकी इच्छा अमेरिका जाने की थी। अमेरिका में एक बहुत बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी थी जिसमें अर्जुन को नौकरी मिल गई। इसलिए अर्जुन ने तय किया कि वह अपनी पत्नी और अपनी छोटी बेटियों के साथ अमेरिका में रहेगा और वह वहीं काम करेगा। अर्जुन सिंह के पास एक विदेशी आदमी बैठा था।

वह आदमी अर्जुन को देखकर मुस्कुराया और उसने अर्जुन से पूछा, “क्या तुम भारतीय हो?”

अर्जुन बोला, “हां, मैं भारतीय हूँ। तुम कहां के रहने वाले हो?”

विदेशी आदमी ने बोला, “मैं कनाडा से हूँ और मैं एक फ़ूड फ़ैक्टरी में काम करता हूँ। उस फ़ैक्टरी को बनें हुए 70 साल हो चुके हैं और मैं उसमें 10 साल से काम कर रहा हूँ। मुझे उस फ़ैक्टरी में 2012 में नौकरी मिली थी और अब 2022 चल रहा है।”

जब अर्जुन ने खिड़की से बाहर देखा तो उसे मौसम में बदलाव दिखा। मौसम बहुत खराब हो चुका था। आसमान में अंधेरा हो गया था। अर्जुन ने विदेशी आदमी से कहा, “खिड़की से बाहर देखो। देखो, मौसम कैसा हो गया है।” विदेशी आदमी बोला, “हे भगवान, यह क्या हो रहा है? कुछ तो बहुत बुरा होने वाला है।” तभी अचानक हवाई जहाज में एक झटका लगा और कुछ लोग अपनी सीट से नीचे गिर गए। फिर अचानक हवाई जहाज में एक घोषणा हुई कि सभी यात्री अपनी सेफ्टी बेल्ट बांध लें और ऑक्सीजन मास्क पहन लें।

अर्जुन ने अपने परिवार से कहा, “जल्दी से अपनी सीट बेल्ट लगा लो और ऑक्सीजन मास्क पहन लो।” हवाई जहाज में सवार सभी यात्रियों ने अपनी सीट बेल्ट बांधी और ऑक्सीजन मास्क पहना। हवाई जहाज में जोरदार झटके लगने लगें और सभी यात्री काफी डरने लगें। मौसम बिगड़ने लगा। बादलों में बिजली कड़कने लगी। तूफान आना शुरू हो गया।

हवाई जहाज में फिर से एक घोषणा हुई कि सभी यात्री ध्यान दें, हम नहीं जानते कि हम किस दिशा में जा रहे हैं, हम दिशा भूल गए हैं, हमारा विमान नीचे गिरने वाला है, सभी सावधान रहें, हमारा विमान दुर्घटनाग्रस्त होने वाला है।

विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और अर्जुन की आँखें बंद हो गईं। जब अर्जुन की आँखें धीरे से खुली तो उसने अपने सामने एक व्यक्ति खड़ा देखा। अर्जुन ने देखा कि उस आदमी के चेहरे की त्वचा फटी हुई थी। अर्जुन ने खड़े होने की कोशिश की लेकिन अर्जुन खड़ा नहीं हो पा रहा था। अर्जुन के शरीर में बहुत दर्द हो रहा था। उस आदमी ने अर्जुन को सहारा देकर उठाया। अर्जुन ने अपने आप को एक जंगल में पाया। अर्जुन ने पूछा, “हवाई जहाज को क्या हुआ था?” उस आदमी ने कहा, “हवाई जहाज यहाँ दुर्घटनाग्रस्त हो गया है और हम इस दुर्घटना के एकमात्र जीवित बचे हैं।” अर्जुन को अपने परिवार की चिंता सताने लगी और वह हवाई जहाज पर आ गया। जब उसने अपने परिवार को हवाई जहाज में खोजा तो उसने पाया कि उसका परिवार मर चुका था। उसकी पत्नी और उसकी दोनों बेटियों की मौत हो चुकी थी। यह देख अर्जुन जोर-जोर से रोने लगा। बहुत देर रोने के बाद अर्जुन चुप हुआ।

वह आदमी बोला, “आपके परिवार की मृत्यु से मुझे गहरा दुख हुआ है। यह हवाई जहाज एक टापू पर क्रैश हो गया है। यह टापू चारों ओर समुद्र से घिरा हुआ है।” अर्जुन ने पूछा, “तुम्हें कैसे पता चला कि यह एक टापू है?” उस आदमी ने कहा, “जब मैं जंगल से बाहर गया तो मैंने आगे समुद्र देखा।” अर्जुन ने पूछा, “क्या तुम इस टापू का नाम जानते हो और क्या तुम जानते हो कि हम कहाँ हैं?” उस आदमी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि हम किस टापू पर हैं।” अर्जुन ने अपनी पत्नी के शव को हवाई जहाज से बाहर निकाला और अपनी बेटियों के शवों को भी बाहर निकाला। अर्जुन ने विमान के एक नुकीले लोहे के टुकड़े से तीन गड्ढे खोदे। उसने अपनी पत्नी को पहले गड्ढे में दफनाया, फिर अपनी पहली बेटी को दूसरे गड्ढे में दफनाया और आखिरी में उसने अपनी दूसरी बेटी को तीसरे गड्ढे में दफनाया। फिर बाद में उसने तीनों गड्ढों को ढक दिया। अर्जुन को ऐसा करता देख वह आदमी मन ही मन परेशान हो रहा था।

उस आदमी ने कहा, “तुम क्या कर रहे थे? क्या तुम जानते हो कि तुम कितनी देर से गड्ढे खोद रहे थे? जब हम यहाँ आए तो दोपहर हो रही थी लेकिन अब शाम हो चुकी है।” अर्जुन ने गुस्से में उस आदमी का कॉलर पकड़ लिया और कहा, “क्या तुमको यह एक तुच्छ कार्य लगा? यह मेरा परिवार था जो अब नहीं रहा।” उस आदमी ने कहा, “मुझे खेद है। मैं तुम्हारी भावनाओं को समझ सकता हूँ। मेरे कहने का मतलब यह नहीं था। जरा देखो, हजारों लोग मारे गए हैं। सब इधर-उधर बिखरे हुए हैं। तुम्हें अपने परिवार को दफनाने से कुछ हासिल नहीं हुआ है। यह बात तुम खुद जानते हो।” अर्जुन ने कहा, “मैं अपने परिवार के शवों को इस तरह पड़े हुए नहीं देखना चाहता था। उन्हें दफनाने से मुझे शान्ति मिली है।” उस आदमी ने कहा, “अब हम यहाँ से कैसे निकलेंगे? हमारी मदद करने वाला कोई नहीं है। अब हमें क्या करना चाहिए? क्या तुम्हारे पास फ़ोन है? मेरा फ़ोन टूट चुका है।”

अर्जुन ने अपनी जेब से अपना फोन निकाला। उसका फोन ठीक हालत में था। उसका फोन खराब नहीं हुआ था और वह काम कर रहा था। उस आदमी ने अर्जुन से कहा, “हम इसकी मदद ले सकते हैं। इसकी बैटरी कितनी बची है?” अर्जुन ने कहा, “मेरे फोन में 20% बैटरी बची है लेकिन हम इस फोन से किसी की मदद नहीं ले सकते। इसमें सिग्नल नहीं आ रहे हैं। हम किसी से संपर्क नहीं कर सकते और इंटरनेट कनेक्शन भी नहीं है।” अर्जुन ने अपने फोन को गौर से देखा तो उसे एक बात समझ में आई। उसके फोन का समय आगे नहीं बढ़ रहा था। उसके फोन का समय दोपहर तीन बजे से रुका हुआ था लेकिन फोन ठीक से काम कर रहा था। जब अर्जुन ने यह बात उस आदमी को बताई तो उस आदमी ने अपनी घड़ी अर्जुन को दिखाई। दोपहर तीन बजे से उसकी घड़ी भी रुक गई थी। रात हो गई थी, इसलिए उन्होंने लाइटर से कुछ लकड़ी जलाई और वे आग के पास बैठ गए। वह लाइटर एक यात्री का था जो अर्जुन को हवाई जहाज के पास मिला था। उन दोनों को यात्रियों का कुछ खाना भी मिला। वे थोड़ा-सा खाना खाने लगे और आग के पास बातें करने लगे। सुबह वे दोनों टापू के तट पर पहुँचे। उन्होंने वहाँ एक धुआंदार आग जलाई और वे जहाज या विमान की प्रतीक्षा करने लगें ताकि कोई उनके धुएँ को देखकर उनकी मदद करने आ सके। पूरा दिन बीत गया लेकिन उन दोनों को समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नहीं आया। रात हो चुकी थी और उस आदमी की हालत बिगड़ने लगी थी। उस आदमी ने उल्टी की और उसे सिर का दर्द होने लगा। दूसरे दिन की शुरुआत हुई। उन्होंने फिर से धुआंदार आग जलाई और वे फिर से मदद की प्रतीक्षा करने लगे। रात हो चुकी थी और उनकी सारी मेहनत बेकार गई। उन्होंने तय किया कि वे एक लकड़ी की नाव बनाएंगे और फिर वे उस टापू से भाग जाएंगे। तीसरा दिन शुरू हुआ, उन्होंने नाव बनाना शुरू किया लेकिन वह आदमी बीमार हो रहा था। अर्जुन ने उस आदमी को आराम करने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन वह आदमी नहीं माना और नाव बनाने में उसकी मदद करता रहा। नाव बनाना उनके लिए बहुत कठिन काम था। रात हो चुकी थी और वे सोने चले गए।

सुबह जब अर्जुन की आँखें खुली तो उसने देखा कि वह आदमी मरा हुआ था। विमान गिरने के कारण उस व्यक्ति को ब्रेन हेमरेज हुआ था, इसलिए उसकी मृत्यु हो गई। चौथे दिन अर्जुन अकेले ही नाव बनाने में लगा हुआ था। दिन बीतते गए और अर्जुन नाव बनाता रहा। सातवें दिन अर्जुन ने अपनी नाव बनाई। उसने कुछ भोजन और पीने के लिए पानी लिया और वह अपनी नाव में उस टापू से दूर चला गया। वह समुद्र में बहुत दूर आ गया था, लेकिन फिर भी उसे केवल समुद्र ही दिखाई दे रहा था। रात हो रही थी और वह नाव में सो गया। जब वह नींद से जागा तो उसने देखा कि सुबह हो चुकी थी और वह एक जहाज में था। वहाँ एक आदमी बैठा था।

अर्जुन ने उससे पूछा, “मैं यहाँ कैसे आया?” वह आदमी उसके पास आया और उससे बोला, “हमारा जहाज अमेरिका जा रहा है। तुम भाग्यशाली हो कि मैंने तुम्हें नाव पर सोते हुए देखा, नहीं तो तुम समुद्र में ही मर जाते। तुम समुद्र में कैसे खो गए थे?” अर्जुन ने कहा, “हमारा विमान एक टापू पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और केवल मैं ही बचा।” वह आदमी चौंक गया और उसने पूछा, “विमान कब दुर्घटनाग्रस्त हुआ था?” अर्जुन ने कहा, “दस तारीख को।” उस आदमी ने कहा, “क्या तुम मेरे साथ मजाक कर रहे हो? आज इस महीने का पांचवा दिन है. विमान किस महीने में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था?”

अर्जुन ने कहा, “इसी महीने में। विमान मई में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।”

उस आदमी ने कहा, “क्या तुम जानते हो कि तुम क्या कह रहे हो? यह फरवरी है।”

अर्जुन ने पूछा, “यह कौन सा साल चल रहा है?”

उस आदमी ने कहा, “आज 5 फरवरी 2122 है।”

अर्जुन ने कहा, “लेकिन हमारा विमान 2022 को क्रैश हुआ है।”

उस आदमी ने कहा, “तुम कैसी पागलों वाली बातें कर रहे हो? सोच कर बताओं, क्या तुम सौ साल तक जवान रहोंगे?”

अर्जुन चौंक गया और तब उसे समझ में आया कि वह टापू कोई साधारण टापू नहीं है, वह एक खास टापू है। वहाँ 7 दिन 100 वर्ष के बराबर होते हैं और वहाँ उसकी आयु 7 दिन के अनुसार बढ़ी थी।

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