JUNE 10th - JULY 10th
शोमू की शैतानियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थीं। आजकल बेचारी कस्तूरी पर शोमू की शरारतों का कहर तूफ़ान बनकर टूट रहा था। कस्तूरी यानी हमारी मालिन की बेटी। यहां यह बताना उचित रहेगा कि हमारे बाग़-बगीचे विस्तृत क्षेत्र में थे जिनकी देखभाल के लिए दीनू माली को नियुक्त किया था हमने, दीनू तो बेचारा जल्दी ही ईश्वर को प्यारा हो गया, बच गए उसकी पत्नी और बेटी कस्तूरी। दस वर्ष की कस्तूरी शोमू की ही हमउम्र थी लेकिन समझदारी में बड़ों को भी मात देती थी। जीवन की उलझनें असमय ही इंसान को समझदार कर देती हैं। नन्ही सी कस्तूरी समझदारी में बड़ों को मात देती थी।
हां, तो मैं कह रहा था, शोमू हाथ से निकलता जा रहा था। आजकल उसका नया ठिकाना आम का आसमान छूता पेड़ बना हुआ था, जिस पर नज़र बचा कर कब वो चढ़ जाता, पता ही न चलता था। कादंबिनी (मेरी पत्नी) चिल्ला-चिल्ला कर बेदम हो जाती पर शोमू को न जाने किस बला ने अपने वश में किया हुआ था, पेड़ से उतरता ही न था। विद्यालय का काम भी बचा रहता, बड़ी मुश्किल से करवाया जाता था उससे।
एक दिन शोमू उसी पेड़ पर बैठा हुआ आम खा रहा था, जहां वो आए दिन पत्तों के झुरमुट से पके हुए आम तलाश -तलाश कर खाया करता था। आम खाते-खाते कस्तूरी दिख गई उसे। बस, फिर क्या था जल्दी-जल्दी आम खाकर निशाना बना कर गुठली उसने कस्तूरी के सिर पर दे मारी।
"अरे शोमू, मार डालेगा क्या?" कस्तूरी चिल्लाई।
"यह लो...आम की गुठली से कौन मरा है आज तक?" प्रत्युत्तर में सवाल दाग दिया था शोमू ने।
कस्तूरी अपना-सा मुंह लेकर चली गई वहां से। शोमू ठहाका मार कर हंस पड़ा।
महीने की पहली तारीख़ को कादम्बिनी सबका हिसाब चुकता कर देती थी। मालिन को भी बुलाया गया। कुछ आवश्यक निर्देश देकर कादम्बिनी ने कस्तूरी की पढ़ाई के विषय में पूछा।
"भाभी जी, ठीक से पढ़ाई करती है बिटिया। उसे अपनी ज़िम्मेवारियों का एहसास बहुत पहले से हो गया है। कभी-कभी लगता है इतनी छोटी आयु में ऐसी समझदारी उसमें आई कैसे? पर गर्व भी होता है उस पर।"
सगर्व मुस्कुराई थी मालिन।
कादम्बिनी की तमाम हिदायतों के बावजूद शोमू बाज़ नहीं आ रहा था अपनी शरारतों से। विद्यालय से आकर बस्ता फैंकते हुए लगभग भागता हुआ-सा वह आम के ऊंचे पेड़ पर चढ़ जाता। जाने उस दरख़्त पे उसे कौन-से चांद सितारे दिखते थे? एक दिन इसी तरह बस्ता पटक कर शोमू बाग़ की ओर जाने लगा कि कस्तूरी दिख गई उसे। पलट कर वह वापिस आया और उसकी चोटी ज़ोर से खींच कर भाग गया अपनी पसंदीदा जगह की ओर। थोड़ी देर बाद कस्तूरी भी पहुंच गई उसी आम के पेड़ के नीचे। उसे देखते ही शोमू ने एक बड़ा-सा कच्चा आम डाली से उतार लिया और निशाना साध कर दे मारा मालिन की बेटी के सिर पर। बेचारी कस्तूरी सिर पकड़ कर बैठ गई, फिर चिल्लाती हुई फ़ाटक खोल कर बाहर की ओर भाग गई। कुछ देर बाद वह वापिस आई, माथे और सिर को ढकती हुई पट्टी सहित।
"देख शोमू, तेरी वजह से मेरा क्या हाल हो गया है। तूने तो मेरा सिर ही तोड़ डाला... इतना दर्द कर रहा है सिर..."
वहीं बैठ कर कस्तूरी रोने लगी। कस्तूरी की यह दशा देखकर शोमू मारे घबराहट के जैसे-तैसे पेड़ से उतरा। माता-पिता से मार पड़ने के भय ने उसके मुंह पे ताला लगा दिया। चुपचाप जा कर कमरे में दुबक कर बैठ गया।
मैं उस समय कुछ कार्य निबटा रहा था। कस्तूरी चुपके से मेरे सामने आकर खड़ी हो गई। उसके सिर पर पट्टी देख कर मैं चिंतित हुआ,
"क्या हुआ बेटी? यह चोट कैसे लगी तुम्हें?"
"बाबूजी, कुछ नहीं हुआ मुझे। बस, शोमू की वजह से यह स्वांग रचना पड़ा मुझे। शोमू पढ़ाई में पिछड़ता जा रहा है अपनी शैतानियों की वजह से। पूरा दिन आम के पेड़ पर टंगे रहना...यह भी कोई बात हुई बाबूजी? आज उसने मुझपर पत्थर सा सख्त आम दे मारा। मैंने एकदम से किनारे होकर अपना बचाव कर लिया...लेकिन फिर एक विचार के तहत मैंने कुछ सोचा और यह पट्टी करवा के आ गई।" कस्तूरी ने पट्टी खोलकर सिर दिखाया मुझे।
"पर बेटी, झूठ बोलना अच्छी बात नहीं है न?" मैंने उसके सिर पर दुबारा पट्टी करते हुए कहा।
"बाबूजी, जिस झूठ से किसी का भला हो, वो झूठ नहीं होता...आपको किसी से कहते सुना था मैंने। अगर शोमू मेरे इस झूठ से सुधरता है तो यह अच्छी बात ही हुई ना?" कस्तूरी मासूमियत से मुस्कुराई।
मालिन की बेटी के मुंह से इतनी समझदारी भरी बातें सुनकर मैं दंग रह गया और वाकई हर दिन के साथ शोमू में सुधार आने लगा और कस्तूरी कुछ दिन तक सिर पर पट्टी बांधे घूमती रही।
अलका शर्मा
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shalusharmageography1989
बहुत अच्छी एवं सुंदर कहानी है ।
jasmeetkour6544
All stories of Ms Alka Sharma are full of Entertainment well as encouragement. ❤️
seemasaini7051
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