जीवन का वास्तविक दर्द

Women's Fiction
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दर्द क्या होता है? दर्द का कारण क्या है? सबके अपने अपने विचार हैं सबका अपना अपना तजुर्बा । कोई किसी से बिछड़कर गम में है तो कोई किसी के न मिलने से। यही उसका दर्द है और यही उसके दर्द का कारण। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि दर्द/तकलीफ क्या है और यह कब होता है ? तो लोगों ने संभवतः एक ही जवाब दिया- जब मनचाही चीज किसी को नहीं मिलती तो दुख होता है और वास्तव में वही दुख ही उसके जीवन का दर्द है। मेरे अनुसार दर्द या तकलीफ़ किसी मनचाही चीज के न मिलने से नहीं बल्कि न मिलने पर खुद को कोसने पर और बीती बातों को दोहराने पर होता है । मैं अपनी बात को एक कहानी के आधार पर रखने की कोशिश कर रहा हूँ ।यह कहानी या घटना एक पति पत्नी और उनके वैवाहिक जीवन पर आधारित है । कुछ कारण या परिस्थिति वश दोनों की शादी हुई लेकिन इस शादी का साफ असर लड़की के ऊपर देखने को मिल रहा था। बचपन में ही लड़की की शादी तय कर दी गयी जिसके बाद उसकी पठन- पाठन की क्रिया पर विराम लग गया। जिस उम्र में उसके हाथों में किताबें और सिर पर माँ बाप का हाथ होना चाहिए था उस उम्र में वह सिर पर घर की जिम्मेदारियों का बोझा ढो रही थी। वह साफ सुथरी लड़की ऐसे घर में जाती है जहाँ सभी माँस का सेवन करते थे । ऐसे घर में उसे खाना तो दूर एक गिलास पानी भी पीना दूभर लगता था। परिवार की जिम्मेदारियाँ उसे सोने नहीं देती और घर की बड़ी बहुओं के ताने उसे जीने नहीं देते। एक मात्र सासू माँ उसका ख्याल रखती , वह भी अपनी बाकी बहुओं से छिपकर। पति भी ऐसा जो रात रात भर बाहर रहता औaर रात में जब देर से घर आता तो उसे पीटता । जो प्यार एक पत्नी अपने पति से चाहती है शायद ही उसे कभी मिला हो । उसके मार खाने से बाकी घर की बहू बहुत खुश होती । अकेले घर के सारे काम करने के बाद शाम को पति की मार खाती लेकिन काभी उफ्फ तक मुँह पर न लाती। एक बार पति की बहुत मार खाने के बाद वह मायके चली गयी। पीठ पर बने डंडे के निशान, हाथों में फूटे हुए छालों के जख्म अपनी कहानी बयाँ कर रहे थे । लड़की की भाभी ने पूछा ये निशान कैसे बने ? लड़की ने यह कहते हुए उस पीड़ा को छिपा लिया कि सीढ़ी से गिर जाने पर चोट लग गयी। कारण यह था कि वह अपने दादाजी के वचनों से बँधी हुयी थी । दादाजी ने यह कह कर उसको विदा किया था कि ससुराल में कुछ भी हो जाए लेकिन वहाँ की शिकायत लेकर घर मत आना भले ही जहर खाकर अपने प्राण त्याग देना । वह बेचारी अकेली असहाय अपने पति और उस घर के सदस्यों के जुल्मों को सहती रही और खुद के भाग्य को कोसती रही। उसे हमेशा यह लगता कि उसके पति के जीवन में उसके सिवा कोई और भी है जो कि सर्वथा सत्य नहीं था। लेकिन वह हमेशा इसी शक की अग्नि में पल पल जलती रहती। जिंदगी भर जो अपने पति का प्यार पाने को तरसती रही उसे आज यह लगने लग गया कि क्यों वह आज तक भी पूर्णतया अपने पति की न हो सकी। लेकिन इस आस में खुद को संभाले रखा कि जब उसके बच्चे बड़े हो जाएंगे तो वो उसका ख्याल रखेंगे। बच्चों को पालने में भी उसने कम कष्टों को नहीं सहा। वह बच्चों को एक बिस्किट दिलाने तक को तरस जाती। जब कभी बच्चे बीमार होते वह अपने जेवर इत्यादि को गिरवी रखकर उनका इलाज कराने को पैदल ही हॉस्पिटल जाती जो कि उसके घर से मीलों दूर था। धीरे धीरे समय बदला, हालात बदले और बच्चे बड़े हो गए। समय के साथ पति के स्वभाव में भी परिवर्तन आया। वह अपनी पत्नी और बच्चों का ख्याल रखने लगा । बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए वह दिन रात मेहनत करने लगा, कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाया और उसकी यह मेहनत सफल भी हुई। काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद बेटे को सरकारी नौकरी मिल गई । बड़ी बेटी को खूब पढ़ाया लिखाया और फिर धूम धाम से शादी भी की । आज उस औरत के पास वो सब है जो वह चाहती थी । बेटे की सरकारी नौकरी से पैसे आ गए। बेटी की धूम धाम से शादी हो गयी। सब माँ को प्यार भी करते हैं और वह पति जो रोजाना अपनी पत्नी पर लाठी डंडो की बौछार करता था आज उसका ख्याल रखने लगा । लेकिन फिर भी आज वो पुरानी बातों को लेकर अपने पति को कोसती है और कहती है कि उसने उस वक्त उसकी इज्जत नहीं की जब उसको सबसे ज्यादा जरूरत थी और आज भी वह उसकी नाम मात्र इज्जत नहीं करता। वास्तविकता से अनभिज्ञ वह औरत आज अपने उस पति से घृणा करती है और झगड़ती है जिसने अपने आप को इस कदर परिवर्तित किया कि वह अपने मूल स्वरूप को ही भूल चुका है। आज वह अपनी उन बातों को जो उसका कभी अतीत रही हैं को याद करके अपने पति को नफरत और शक की निगाह से देखती है और रोती है । वास्तव में उस अतीत और आज के वर्तमान का आपस में कोई संबंध नहीं है। जो वह चाहती थी आज सब कुछ उसके पास है,अगर कुछ नहीं है तो वो है वास्तविकता का ज्ञान और यही उसके दुख का कारण है। वह पुरानी बातों की पीड़ा से इस कदर ग्रसित है कि अपने वर्तमान को समझ ही नहीं पा रही है। यदि वह अपने अतीत को भुलाकर वर्तमान का सुख देखे तो उससे खुशनसीब औरत शायद ही दुनिया में कहीं और मिले। इस प्रकार मैं यह कह सकता हूँ कि अतीत और वर्तमान की वास्तविकता का ज्ञान न होना ही जीवन भर के दर्द का वास्तविक कारण है। वैवाहिक जीवन में खुशहाली वास्तव में एक दूसरे को भली भाँति समझने और सच बोलने से आती है अन्यथा रिश्ता समाप्त हो जाता है या वह जीवन भर दर्द का कारण बना रहता है । और अंत में यही कहते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूँ कि जो प्राप्त नहीं है या जो छूट गया है उस पर रोने से अच्छा है अपने वर्तमान को सँवारों और खुश रहो।

नोट: यह एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है और आज भी मैं उस दम्पति की व्यथा को अपनी आँखों से देख रहा हूँ।

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