निराला जंगल

ऐतिहासिक कथाएं
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बहुत समय पहले की बात है,एक निलारा जंगल हुआ करता था उस जंगल को निराला कहने की वजह ये थी कि वहा कोई भी किसी को भी बगैर वजह के मार नही सकता था । चाहे शेर हो या मगरमच्छ । शेर को भी अगर शिकार करना है तो उसे कुछ वजह चाहिए होती थी।

उस जंगल में एक बूढ़ा शेर भी रहता था,एक दिन उसे भूख लगी उसके दिल में एक आइडिया आया.....उसी वक्त उसके गुफा से सामने से एक जेब्रा जा रहा था।

शेर ने उसे बुलाया और उसे पूछा," क्या मेरे शरीर से बदबू आ रही है?"बदबू तो सच मूच आ रही थी जेब्रा ने वही जवाब दिया " बहुत बदबू आ रही है " । शेर ने कहा मेरे शरीर में बदबू नहीं आ रही और तुम कहते हो की बड़ी बदबू आ रही है" यह बहाना बनाकर शेर ने उस जेब्रा को मार कर खा गया। सारे जंगल में यह अफवाह बिजली की तरह फ़ैल गई।पर जंगल के जानवर कुछ भी नही कर सकते क्युकी शेर के पास जेब्रा को मरने का कारन मौजूद था ।

कई दिनों के बाद शेर को फिर से भूख लगी, उसने देखा की हिरन उसके गुफा के पास से एक हिरन गुजर रही है शेर ने उस हिरन को बुलाया और पूछा ,"क्या मेरे शरीर में बदबू आ रही है?" हिरन को जेब्रा का वाकिया मालूम था इसलिए हिरन ने कहा,"सरकार, आपके शरीर में किसी भी प्रकार की बदबू नहीं आ रही। शेर ने क्रोध में आकर कहा ,"मेरे शरीर में बहुत बदबू आ रही है,और तुम कहते हो की बदबू नहीं आ रही" शेर ने उस हिरन को भी मार डाला और उसे खालिया। चंद दिनों बाद शेर को और भूख लगी शेर के गुफा के सामने से एक खरगोश घूमता हुआ नजर आया।शेर ने उसे बुलाया कुछ मीठे बोल बोले और वही सवाल पूछा जो जेब्रा और हरन को पूछा था तो चालक खरगोश ने जवाब दिया ," सरकार, मुझे कुछ दिनों से सर्दी जुखाम हुई है मुझे सूंघने में तकलीफ है,और मेरी सर्दी से नाक जाम है" खरगोश की इस चालाकी की वजह से उसकी जान बच जाती....और शेर को मजबूरन उस खरगोश को छोड़ना पड़ा .....खरगोश की इस चालाकी पर सारे जंगल में खरगोश की वह!वह! हो गई............

उसी जंगल में एक चालक कव्वा रहता था ।एक दिन उस कव्वे को रोटी का टुकड़ा मिला..उस ही वक्त लोमड़ी ने देखा की कव्वे के पास रोटी है। लोमड़ी के दिमाग में एक आइडिया आया उसने कवि से कहा ,"तुम गाते बहुत अच्छे हो ,तुम हमे गाकर बताओगे" कव्वे ने मुंह की रोटी पंजे में पकड़ ली और उस लोमड़ी को गाकर सुनाया।फिर लोमड़ी ने कहा तुम नाचते बहुत अच्छे हो... कव्वे ने पंजे में की रोटी मुंह में पकड़ी और लोमड़ी को नाचकर दिखाया.....इस तरह कव्वे ने लोमड़ी की हर चल को नाकाम कर दिया....और लोमड़ी को अपनी साजिश में नाकामियां होकर वापस जाना पड़ा....

उसी जंगल में और एक कव्वा रहा करता था । उसने एक दिन बगले को देखा और सोचा की ये बगले का रंग कितना अच्छा है। उसने बगले से मुलाकात की और उसकी मन की इच्छा बताई। बगले ने कहा मुझसे भी अच्छा मिट्ठू है उसके दो दो रंग है।वो दोनो मिलकर मिट्ठू के पास जाए।और मिट्ठू को अपनी मन की इच्छा बताई । मिट्ठू ने बोला की मुझसे भी अच्छा मोर है जिसके बहुत सारे रंग है। जब वो मोर को मिलने के लिए गए तो देखा की मोर को शिकारी ने पिंगरे में बंद कर रखा है। मोर ने उन सब से कहा की ,"हर किसी की जिंदगी बेहतर है"अपनी जैसी भी जिंदगी हो उसमे खुश रहो....

उस जंगल का एक और वाकिया बहुत प्रसारित है एक दिन एक कबूतर नदिया किनारे पेड़ की डाल पर बैठा था। उसने देखा की एक मुंगी पानी में डूब रही है। उसके मन में दया आई उसने पेड़ का एक पत्ता तोड़कर नदी में डाल दिया ।मुंगी उस पत्ते पर चढ़ कर नदी के बाहर आ गई।

कई दिनों बाद शिकारी जंगल में आया और उस कबूतर पर नेम साधा मुंगी ने ये सब माजरा देखा। जैसे ही शिकारी ने तीर को छोड़ना चाहा तो मुंगी ने तुरंत उससे काट दिया और वो तीर हुक गया और पंछी की जान बच गई.....

सीख: हमेशा चालक और चतुर बनकर जिओ । हालत को परखकर जवाब देना सीखो। दुनिया में बहुत से लोग तुम ढगने के लिए बैठे है तुम उनसे सतर्क रही। है चीज ताकत से नही दिमाग से हल करना सीखो।किसी भी घटना से कुछ सीख लेना सीखो और उसे अपने जिंदगी के अमल में लाओ,तो हमारी जिंदगी में परिवर्तन आएगा।तीसरे पहलू से हमे ये समझ में आया की अपनी जैसे जिंदगी है उसमे खुश रहो। चौथे पहलू से हमे ये सिख मिली की कर भला तो हो भला।जिंदगी में हमेशा अच्छे काम करते रहो।

........... THE END.........

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