Desi Quesadilla वाली की सफलता

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Desi Quesadilla वाली की सफलता

धीरज, सूरत शहर में एक बहुत बड़ी कंपनी में काम करता था। एक दिन उसकी शादी गाँव की लक्ष्मी नामक लड़की से हो जाती है।

धीरज की माँ- धीरज बेटा, लक्ष्मी एक बहुत अच्छी लड़की है। वो अनाथ है, पर बहुत गुणी है। अब वो तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, उसे खुश रखना।

धीरज- हाँ माँ, आप बेफिक्र रहो।

अगले दिन धीरज और लक्ष्मी शहर में रहने आ गए। कुछ दिन बाद……

धीरज- तुम में कोई और गुण नहीं है सिवाए सुंदरता और अच्छा खाना बनाने के। तुम गाँव की अनपढ़-गवार लड़की हो, जो इंग्लिश तक नहीं बोल सकती। पता नहीं मेरी माँ ने तुममें क्या देखा। ऐसी सुंदरता किस काम की जो शर्मिंदगी की वजह बन जाये।

लक्ष्मी- जी, मुझसे कोई गलती हुई हो, तो माफ़ कर दीजिये मुझे।

धीरज- तुम्हें मैं अपने दोस्तों के बीच नहीं ले जा सकता। तुम कभी मेरे दोस्तों के सामने मत आना।

यह कह कर धीरज गुस्से से चला जाता है। धीरज, लक्ष्मी को बिलकुल पसंद नहीं करता था। लक्ष्मी बहुत उदास होकर भगवान् की मूर्ति के सामने बैठ के पूछती है, "हे भगवान, आपने मुझे अनाथ क्यों किया। अब मैं अपना दुःख किसके साथ बाँटूँ?"

कुछ दिन बाद, धीरज अपने ऑफिस के कुछ दोस्तों को घर बुलाता है। वो लक्ष्मी को सबके लिए खाना बनाने को कहता है।

धीरज- लक्ष्मी मैंने अपने दोस्तों से कहा, की तुम बहार गयी हो। तुम बस अपना मुँह बंध रखना सबके सामने।

लक्ष्मी- जी।

लक्ष्मी सबके लिए बहुत लज़ीज़ पकवान बनती है और उनमें से एक था Quesadilla। लक्ष्मी को हमेशा नए-नए तरह का खाना बनाना पसंद था और इसबार उसने quesadilla बनाया। धीरज के दोस्तों को Quesadilla बहुत पसंद आता है और बहुत तारीफ़ करते हैं। लक्ष्मी इतनी भोली थी, की उसको पता भी नहीं था, इतना स्वाधिष्ट पकवान बनाया है।

धीरज एक दिन, एक सुन्दर सी शहरी लड़की को अपने घर लेकर आता है। उसने बहुत शराब पि राखी थी और वो लड़की, लक्ष्मी के साथ बत्तमीज़ी से बात करती है।

लक्ष्मी- सुनिए जी, देखिये ना यह लड़की मुझे कितना बुरा बोल रही है?

धीरज- अरे अनपढ़ औरत, वो इंग्लिश में तुमसे पानी लाने को कह रही है। जैसा यह कहती है वैसा करो।

लक्ष्मी इसका विरोध करती है और धीरज उसे बेइज़्ज़त कर, आधी रात को घर से निकल देता है। लक्ष्मी सीधा अपनी धीरज की माँ के पास गाँव चली जाती है। लक्ष्मी सारी बात अपनी धीरज की माँ को बताती है।

धीरज की माँ- मुझे माफ़ करदो बेटी, मैंने अपने ऐयाश बेटे के साथ तुम्हारी शादी करदी।

लक्ष्मी- नहीं माजी, मुझे तो माँ जैसी धीरज की माँ मिली है, जो इतना सब सुनने के बाद भी मुझे सहारा दे रही है।

लक्ष्मी अपनी धीरज की माँ को भी Quesadilla खिलाती है। धीरज की माँ खाकर बहुत खुश हुई।

धीरज की माँ- अरे लक्ष्मी बेटी, तूने तो कमाल का व्यंजन बनाया है। वैसे इसे क्या कहते हैं?

लक्ष्मी- पता नहीं माजी, आपके बेटे के दोस्तों को भी यह बहुत स्वाद लगा था, तो मैंने सोचा की आप को भी खिलाऊँ।

इतने में वहां पड़ोस की रूपा आ जाती है।

धीरज की माँ- अरे रूपा, कब आयी विलायत से। कैसी चल रही है तेरी पढाई विलायत में।

रूपा- यह कौन है मौसी?

धीरज की माँ- यह मेरी बहु लक्ष्मी है। शादी के बाद मेरा बेटा- बहु दोनों शहर रहने चले गए थे क्यूंकि मेरे बेटे की नौकरी वहां थी।

रूपा की नज़र प्लेट पे रखे Quesadilla पर गयी। उसने खा कर, एक बहुत ही दिलचस्प और हैरान करने वाली बात बताई।

रूपा- अरे यह तो Quesadilla है। Mexican Snack। अब यह गाँव में भी बनने लगा। वह क्या बात है!

लक्ष्मी- जी मैं अंग्रेजी नहीं समझती। यह मेकिसन सनेक क्या होता है?

रूपा- मेकिसन सनेक नहीं लक्ष्मी भाभी, Mexican Snack, Quesadilla कहते हैं। यह एक विदेशी व्यंजन है। जो आसानी से बन जाता है मगर हर कोई इसे स्वाद नहीं बना पता। लेकिन आपने तो इसे Desi Style मैं विदेश से ज्यादा स्वाद बनाया है। मैं तो इसे Desi Quesadilla का नाम दूंगी।

रूपा ने अपने Mobile पर Quesadilla की Photo दिखाई। लक्ष्मी और धीरज की माँ यह देख बहुत हैरान हुए क्यूंकि लक्ष्मी ने बिकुल ऐसे ही Quesadilla बनाये हैं। यह सब सुनकर, धीरज की माँ ने लक्ष्मी को अपना व्यापार शुरू करने का सुझाव दिया।

धीरज की माँ- लक्ष्मी बेटा, तू अपना यही Desi Quesadilla बेचने का व्यापार क्यों नहीं करती?

लक्ष्मी- माजी, मुझे पड़ना-लिखना नहीं आता और हिसाब-किताब में तो मैं बहुत कमज़ोर हूँ।

धीरज की माँ- बेटी तू सिर्फ बेचने का काम कर। हिसाब मैं संभाल लुंगी।

लक्ष्मी- माजी, मैं सिर्फ खाना अच्छा बना सकती हूँ। व्यापार मेरी बस की बात नहीं।

धीरज की माँ- देख बेटी, मेरी उम्र का कोई भरोसा नहीं। मैं और कितने साल हूँ? मेरे रहते बस तू अपने पैरों पर खड़ी हो जा।कलको तू खुदको संभाल सकती है मेरे बिना भी। ऊपर से मेरे नालायक बेटे ने तुझे धोखा दिया, तेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी। मैं समझूंगी की, तुझे प्रोत्साहन देके मैंने प्रायश्चित कर लिया।

धीरज की माँ की बातों से प्रेरित, लक्ष्मी व्यापार करने को राज़ी हो गयी। रूपा को Quesadilla बनाने की सही विधि पूछती है, तो रूपा ने Internet से Recipe निकाली। धीरज की माँ ने कुछ पैसे दिए, जिससे लक्ष्मी एक ठेला और Desi Quesadilla बनाने का सामान खरीदके अपना एक छोटा सा व्यापार शुरू करती है।

लक्ष्मी को पहले ही दिन मुनाफा होने लगा क्यूंकि गाँववाले को का स्वाद बहुत अच्छा और नया लगा। ऊपर से Desi Quesadilla के कम दाम की वजह से शाम तक उसके सारे Desi Quesadilla बिक जाते हैं। देखते-देखते, लक्ष्मी ने एक होटल खोल लिया, जो ग्राहकों से भरा रहता है। अब तो उसके Desi Quesadilla की Demand शहर के Hotels में होने लगी।

फिर एक दिन, धीरज वापस अपनी माँ के पास लौट आता है। वो लक्ष्मी की तरक्की देख, बहुत हैरान होता है। कल तक जो अनपढ़ लड़की ठीक से इंग्लिश नहीं बोल पाती थी, वो आज इतना बड़ा कारोबार कैसे संभाल रही है।

धीरज की माँ- अब तू यहाँ क्या लेने आया है?

धीरज- माँ, मुझे ऑफिस से निकाल दिया गया क्यूंकि किसीने मुझे झूठे मामले में फैसाके मेरी नौकरी छीन ली।

धीरज की माँ- यह तेरे कर्मों की सज़ा है। देख जिसे तूने खोता सिक्का समझा था, आज वही तुझे दस कदम आगे है।

धीरज- नहीं माँ, मुझे माफ़ करदो।

धीरज की माँ- माफ़ी मांगनी है, तो लक्ष्मी से मांग। तू उसका गुन्हेगार है।

तभी लक्ष्मी भी वहां आ जाती है।

लक्ष्मी- माजी मैंने धीरज को माफ़ कर दिया है। अब आप भी अपना मन शांत कर लीजिये। आखिर है तो आप ही का बेटा न और मैंने तो सुना था की माँ अपनी औलाद से ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह सकती।

धीरज की माँ- देख धीरज देख, जिसे तूने पत्थर समझके लात मारी थी, वही आज तेरा सहारा बनने को तैयार है।

धीरज- मुझे माफ़ करदो लक्ष्मी, मैंने तुम्हारी कदर नहीं समझी।

लक्ष्मी- नहीं धीरज, जो हुआ उसे भूल जाओ और अबसे आप मेरा आधा काम संभल लेना। इसी बहाने माजी को भी आराम मिलेगा। मेरे काम का हिसाब आजतक इन्होने ही देखा है, अबसे आप संभालना।

धीरज, लक्ष्मी का हिसाब और बाकी बहुत से काम सँभालने लगा। इसी तरह लक्ष्मी ने अपने वैवाहित जीवन और सम्माज में मान-सम्मान हासिल किया।

--मनप्रीत कौर

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