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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मेरे ह्रदय के आंदोलित करती है. फिर चाहे ये प्रेम हो , क्रोध हो , क्लेश हो , ईर्ष्या हो, आनन्द हो , दुःख हो . सुख हो, विश्वास हो , भय हो, शंका हो , प्रसंशा हो इत्यादि, ये सारी घटनाएं यदा कदा मुझे आंतरिकRead More...
जीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मेरे ह्रदय के आंदोलित करती है. फिर चाहे ये प्रेम हो , क्रोध हो , क्लेश हो , ईर्ष्या हो, आनन्द हो , दुःख हो . सुख हो, विश्वास हो , भय हो, शंका हो , प्रसंशा हो इत्यादि, ये सारी घटनाएं यदा कदा मुझे आंतरिक रूप से उद्वेलित करती है. मै बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज्यादातर मौकों पर अपने भावों का संप्रेषण कर हीं देता हूँ. फिर भी बहुत सारे मुद्दे या मौके ऐसे होते है जहाँ का भावो का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता . यहाँ पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे ह्रदय ही बेचैनी को जमाने तक लाने में सेतु का कार्य करती है.
चिर मान रहे, चिर आन रहे, ईश्वर तेरा वरदान रहे।
भारत महान चिर कल्पों से,चिर कल्पों तक गुणगान रहे।
life is not, what right you have taught,
Life is, infact what wrong you have fought.
अनुभव का क्या मैं प्रमाण दुँ,
कैसे तुझको भगवान दुँ।
Knowing the River, Without a Swim,
is beating a Lion, But only in Dream.
इंसान की ये फितरत, है अच्छी खराब भी,
दिल भी है दर्द भी है, दाँत भी दिमाग भी ।
A man, who speaks many thing,
Seldom speaks any thing.
सबूत,गवाह,अख़बार खा गई,
दीमक सारे मक्कार खा गई।
Achievements
सवाल ये नहीं है कि ये आदर्श जो की भगवान बुद्ध और महात्मा गाँधी जी द्वारा सुझाये गए अपने आप में उपयोगी है या नहीं ? सवाल ये है कि क्या ये आपके अध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए स
सवाल ये नहीं है कि ये आदर्श जो की भगवान बुद्ध और महात्मा गाँधी जी द्वारा सुझाये गए अपने आप में उपयोगी है या नहीं ? सवाल ये है कि क्या ये आपके अध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए सहयोगी है ? क्या आप इन शिक्षाओं का अनुपालन करने में समर्थ है ? कुछ इसी तरह की प्रश्नों और घटनाओं को जूझती जीवन उपयोगी लेख
What is God?What is proof about existence of god? Since time immemorial , lots of people had been vouching in support of existence of god, however nobody is able to prove the existence of God so far. Science is evidence-based acquired knowledge. Until and unless something is proved objectively by doing experiment in a laboratory, the same is not called to be proved in the eyes of science. But the uniqueness about God is this , even science is unable to prove n
What is God?What is proof about existence of god? Since time immemorial , lots of people had been vouching in support of existence of god, however nobody is able to prove the existence of God so far. Science is evidence-based acquired knowledge. Until and unless something is proved objectively by doing experiment in a laboratory, the same is not called to be proved in the eyes of science. But the uniqueness about God is this , even science is unable to prove non existence of god. Those people who believed in God, not able to prove existence of god and science which disbelieved existence of God, is unable to prove non-existence of God. What is this dilemma? what is this puzzle? Lets try to un-puzzle it.
बातचीत के क्रम में ये ज्ञात हुआ कि बाबा एक स्कूल के रिटायर्ड शिक्षक थे। पेंशन मिल रहा था। पत्नी गुजर चुकी थी। उनका एक बेटा सम्पन्न व्यवसायी था। अपनी पत्नी के साथ खुशी पूर्वक जीवन
बातचीत के क्रम में ये ज्ञात हुआ कि बाबा एक स्कूल के रिटायर्ड शिक्षक थे। पेंशन मिल रहा था। पत्नी गुजर चुकी थी। उनका एक बेटा सम्पन्न व्यवसायी था। अपनी पत्नी के साथ खुशी पूर्वक जीवन यापन कर रहा था। एक बेटी थी, उसकी शादी एक सरकारी मुलाजिम से हो चुकी थी। दुनिया की तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त और पेंशन के द्वारा आर्थिक रूप से स्वतंत्र, बाबा भारत की यात्रा पर निकल पड़े थे।
उनका आध्यात्मिक प्रवचन जारी था इधर ट्रेन स्टेशनों पे रुकती, फिर बढ़ जाती। बाबा बीच बीच में गाने को गुनगुनाने लगते, फिर तंत्र मार्ग के रहस्यों को खोलने में लग जाते। यात्रियों के चेहरे पे विस्मय का भाव ज्यों का त्यों बना हुआ था।
एक नन्हे से बच्चे को ये सारी बातें समझ नहीं आ रही थी। कौतुहल वश पूछे गए उस नन्हे से बच्चे के प्रश्न ने बाबा जी की प्रवचन की श्रृंखला को तोड़ डाला। अब केवल ट्रेन की आवाज ही सुनाई पड़ रही थी। ट्रेन में सन्नाटा था।
बच्चे ने पूछा था, बाबा जी आपकी कौन सी कुंडली जगी हुई है?
जीव तुझमें और जगत में, है फरक किस बात की,
ज्यों थोड़ा सा फर्क शामिल,मेघ और बरसात की।
वाटिका विस्तार सारा , फूल में बिखरा हुआ,
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जीव तुझमें और जगत में, है फरक किस बात की,
ज्यों थोड़ा सा फर्क शामिल,मेघ और बरसात की।
वाटिका विस्तार सारा , फूल में बिखरा हुआ,
त्यों वीणा का सार सारा, राग में निखरा हुआ।
चाँदनी है क्या असल में , चाँद का प्रतिबिंब है,
जीव की वैसी प्रतीति , गर्भ धारित डिम्ब है।
क्या ही बढ़िया होता, अगर न्यूटन ने सेब खा लिया होता। न फिर गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत होता, न फिजिक्स में एक चैप्टर बढ़ता, ना मुकेश उस दिन सेब और टमाटर के बारे में कहता, न वो उस दिन सेब
क्या ही बढ़िया होता, अगर न्यूटन ने सेब खा लिया होता। न फिर गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत होता, न फिजिक्स में एक चैप्टर बढ़ता, ना मुकेश उस दिन सेब और टमाटर के बारे में कहता, न वो उस दिन सेब और टमाटर खाता, न उसका पेट झड़ता, न वो साइकिल तेज चलाता, न वो गड्ढे में गिरता, न चोट लगती, न हाथ की हड्डी टूटती, न प्लास्टर चढ़ता, न खुजली होती, न प्लास्टर काटता, न फिर प्लास्टर चढ़ता और न फिर ये खुजली होती। उसकी नजरों में न्यूटन हीं दुनिया का महानतम अपराधी था।
कहते है , शेर का दिन तो हर रोज होता है , पर कभी कभी गीदड़ का भी दिन आता है । हेमंत के पिता की दहाड़ एक सिंह की भांति थी । हेमंत की हालत अपने पिता के सामने एक गीदड़ सी हो जाती थी । फिर भी एक दि
कहते है , शेर का दिन तो हर रोज होता है , पर कभी कभी गीदड़ का भी दिन आता है । हेमंत के पिता की दहाड़ एक सिंह की भांति थी । हेमंत की हालत अपने पिता के सामने एक गीदड़ सी हो जाती थी । फिर भी एक दिन आदर्शवादी पिता को अपने बेटे की जिद के आगे झुकना पड़ा और अपनी हिचकिचाहट से लड़ना पड़ा?
You must have to depart at a very early hour every day. You must be arriving late to work every day. This counter clerk has been bothering individuals in the same way for a long time.
Even if a gatekeeper says the correct things, people don't believe him and don't care to listen to him.
You have not only comprehended but also embraced my point of view. You have a debt to me.
Anyway, by moving away from the counter, I've comp
You must have to depart at a very early hour every day. You must be arriving late to work every day. This counter clerk has been bothering individuals in the same way for a long time.
Even if a gatekeeper says the correct things, people don't believe him and don't care to listen to him.
You have not only comprehended but also embraced my point of view. You have a debt to me.
Anyway, by moving away from the counter, I've completed my responsibility in the same manner as you.
Anyway, I have performed my duty in the same way as you have done by moving away from the counter.
Utsav was wondering, why is this so difficult to be humane?
जहाँ तक संवेदनाओं का प्रश्न है , वो मानव में भी पाई जाती हैं और जानवरों में भी । फर्क सिर्फ इसी बात का है कि मानव अपनी विभिन्न संवेदनाओं का इस्तेमाल अपनी उन्नति के लिए कर सकता है तो
जहाँ तक संवेदनाओं का प्रश्न है , वो मानव में भी पाई जाती हैं और जानवरों में भी । फर्क सिर्फ इसी बात का है कि मानव अपनी विभिन्न संवेदनाओं का इस्तेमाल अपनी उन्नति के लिए कर सकता है तो पतन के लिए भी , जबकि पशु के पास ये क्षमता नहीं होती । मानवीय संवेदनाओं के विभिन्न आयामों को रेखांकित करती हुई विभिन्न लघु कथाएँ ।
स्वयं को बचाने के गीदड़ जैसी चपलता और भेड़िए जैसी चालाकी अति आवश्यक है। दफ्तर के कायदे कानून एक हिरण को भी भेड़िया बनने को बाध्य कर देते हैं। और भेड़िए का स्वभाव कैसा होता है या कै
स्वयं को बचाने के गीदड़ जैसी चपलता और भेड़िए जैसी चालाकी अति आवश्यक है। दफ्तर के कायदे कानून एक हिरण को भी भेड़िया बनने को बाध्य कर देते हैं। और भेड़िए का स्वभाव कैसा होता है या कैसा हो सकता है , ये सबको ज्ञात है।
फिर आप किसी व्यक्ति से जो कि स्वयं के अस्तित्व को बचाने के लिए तमाम बुराइयों को आत्मसात कर हीं लेता है तो उसपे प्रश्नचिन्ह क्यों? वास्तविकता तो ये है कि कुछ बुराइयां अत्यावश्यक हो जाती है आजीविका के लिए।
फिर एक रोजगार के लिए संघर्षरत व्यक्ति से धार्मिकता की उम्मीद क्यों? एक भेड़िया होकर भी कोई धर्मिक रह सकता है क्या? प्रश्न ये है कि जंगल नुमा दफ्तर में काम करते हुए अच्छाइयों को बचा के रखा जा सकता है क्या?
प्रस्तुति है जीवन के कुछ इसी तरह की सच्चाइयों , परिस्थियों और प्रश्नों से रु- ब- रू कराती हुई कुछ व्यायंगात्मक लघु कथाएं।
मृग मरीचिका की तरह होता है झूठ। माया के आवरण में छिपा हुआ होता है सत्य। जल तो होता नहीं, मात्र जल की प्रतीति हीं होती है। आप जल के जितने करीब जाने की कोशिश करते हैं, जल की प्रतीति उत
मृग मरीचिका की तरह होता है झूठ। माया के आवरण में छिपा हुआ होता है सत्य। जल तो होता नहीं, मात्र जल की प्रतीति हीं होती है। आप जल के जितने करीब जाने की कोशिश करते हैं, जल की प्रतीति उतनी हीं दूर चली जाती है। सत्य की जानकारी सत्य के पास जाने से कतई नहीं, परंतु दृष्टिकोण के बदलने से होता है। मृग मरीचिका जैसी कोई चीज होती तो नहीं फिर भी होती तो है। माया जैसी कोई चीज होती तो नहीं, पर होती तो है। और सारा का सारा ये मन का खेल है। अगर मृग मरीचिका है तो उसका निदान भी है। महत्वपूर्ण बात ये है कि कौन सी घटना एक व्यक्ति के आगे पड़े हुए भ्रम के जाल को हटा पाती है । प्रश्न ये था की कृवर्मा और कृपाचार्य की आंखों के सामने छैई हुई भ्रम को आखिर हटा जाए तो कैसे?
What is God?What is proof about existence of god? Since time immemorial , lots of people had been vouching in support of existence of god, however nobody is able to prove the existence of God so far. Science is evidence-based acquired knowledge. Until and unless something is proved objectively by doing experiment in a laboratory, the same is not called to be proved in the eyes of science. But the uniqueness about God is this , even science is unable to prove n
What is God?What is proof about existence of god? Since time immemorial , lots of people had been vouching in support of existence of god, however nobody is able to prove the existence of God so far. Science is evidence-based acquired knowledge. Until and unless something is proved objectively by doing experiment in a laboratory, the same is not called to be proved in the eyes of science. But the uniqueness about God is this , even science is unable to prove non existence of god. Those people who believed in God, not able to prove existence of god and science which disbelieved existence of God, is unable to prove non-existence of God. What is this dilemma? what is this puzzle? Lets try to unfold this mystery.
The topmost position is always unique. The uniqueness of the number one position is that can never be shared with anybody. One has to be alone on this topmost position. One cannot be number one after sharing it with number two, three or four.
A little bit of careless attitude may result into slipping down of your position. But what is advantage of being number one and having fear to loose it? Accumulating lots of wealth and being worried about protecti
The topmost position is always unique. The uniqueness of the number one position is that can never be shared with anybody. One has to be alone on this topmost position. One cannot be number one after sharing it with number two, three or four.
A little bit of careless attitude may result into slipping down of your position. But what is advantage of being number one and having fear to loose it? Accumulating lots of wealth and being worried about protecting it? After all one day in life, one has to disown, this position of number one too.
Many times in my life, I came across such incidents , which help in shaping my life in some ways. I keep on publishing those various thought on various platforms. These are are collections of my those stories stories touching the various aspects of life line philosophy, human behavious etc .
Many times in my life, I came across such incidents , which help in shaping my life in some ways. I keep on publishing those various thought on various platforms. These are are collections of my those stories stories touching the various aspects of life line philosophy, human behavious etc .
Evolution is the law of nature and so as the Socio-Economic-political system regulating human behavior. It's only the quest of human for better regulation of people living in a society, that lead the the nomadic man to adopt feudal system, then monarch and now a days democracy. Judiciary is of course one of the important aspect of democratic which plays important part in this system. But nothing is perfect and so as inter relation of politics and judiciary in
Evolution is the law of nature and so as the Socio-Economic-political system regulating human behavior. It's only the quest of human for better regulation of people living in a society, that lead the the nomadic man to adopt feudal system, then monarch and now a days democracy. Judiciary is of course one of the important aspect of democratic which plays important part in this system. But nothing is perfect and so as inter relation of politics and judiciary in a democratic system. These are collections of various articles addressing the various aspects of a democratic set up, like judiciary , politics, society etc.
महाभारत युद्ध के अंत में भीम द्वारा जंघा तोड़ दिए जाने के बाद दुर्योधन मरणासन्न अवस्था में हिंसक जानवरों के बीच पड़ा हुआ था। आगे देखिए जंगली शिकारी पशु बड़े धैर्य के साथ दुर्योधन क
महाभारत युद्ध के अंत में भीम द्वारा जंघा तोड़ दिए जाने के बाद दुर्योधन मरणासन्न अवस्था में हिंसक जानवरों के बीच पड़ा हुआ था। आगे देखिए जंगली शिकारी पशु बड़े धैर्य के साथ दुर्योधन की मृत्यु का इन्तेजार कर रहे थे और उनके बीच फंसे हुए दुर्योधन को मृत्यु की आहट को देखते रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। परंतु होनी को तो कुछ और हीं मंजूर थी । उसी समय हाथों में पांच कटे हुए नर कपाल लिए अश्वत्थामा का आगमन हुआ और दुर्योधन की मृत्यु का इन्तेजार कर रहे वन पशुओं की ईक्छाएँ धरी की धरी रह गई। इस पुस्तक में आगे देखिये क्या होता है।
जबसे मानव इस दुनिया में आता है , तबसे उसे लगातार संघर्ष करना पड़ता है । जीवन यापन के लिए बहुधा व्यक्ति को वो सब कुछ करना पड़ता है , जिसे उसकी आत्मा सही नहीं समझती, सही नहीं मानती । फि
जबसे मानव इस दुनिया में आता है , तबसे उसे लगातार संघर्ष करना पड़ता है । जीवन यापन के लिए बहुधा व्यक्ति को वो सब कुछ करना पड़ता है , जिसे उसकी आत्मा सही नहीं समझती, सही नहीं मानती । फिर भी भौतिक प्रगति की दौड़ में स्वयं के विरुद्ध अनैतिक कार्य करते हुए आर्थिक प्रगति प्राप्त करने हेतु अनेक प्रयत्न करता है और भौतिक समृद्धि प्राप्त भी कर लेता है , परन्तु उसकी आत्मा अशांत हो जाती है। इसका परिणाम स्वयं का स्वयम से विरोध , निज से निज का द्वंद्व।विरोध यदि बाहर से हो तो व्यक्ति लड़ भी ले , परन्तु व्यक्ति का सामना उसकी आत्मा और अंतर्मन से हो तो कैसे शांति स्थापित हो ? आदमी पूरी दुनिया को तो जान ले परन्तु वो स्वयं क्या है , कैसे पहचान हो ? मानव के मन और चेतना के अंतर्विरोध को रेखांकित करती हुई कविताओं का संग्रह।
जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे
जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे कि सौर मंडल के ग्रह जैसे कि पृथ्वी, मांगल, शुक्र, शनि इत्यादि सूर्य का चक्कर लगाते हैं। न केवल वो अपने हर फैसले को सही मानता है अपितु उसे औरों पर थोपने की कोशिश भी करता है। नतीजा ये होता है कि उसे उचित और अनुचित का भान नही होता और अक्सर उससे अनुचित कर्म हीं प्रतिफलित होते हैं।कुछ इसी तरह की मनोवृत्ति का शिकार था दुर्योधन। प्रस्तुत है महाभारत के इसी पात्र के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हुई कविता “दुर्योधन कब मिट पाया” का प्रथम भाग।
महाभारत में वर्णित तथ्यों के बारे में अनगिनत भ्रांतियां व्याप्त है। मसलन कि द्रौपदी द्वारा दुर्योधन को अंधे का बेटा अँधा कहना , गांधारी द्वारा दुर्योधन को अपने दृष्टिपात मात्
महाभारत में वर्णित तथ्यों के बारे में अनगिनत भ्रांतियां व्याप्त है। मसलन कि द्रौपदी द्वारा दुर्योधन को अंधे का बेटा अँधा कहना , गांधारी द्वारा दुर्योधन को अपने दृष्टिपात मात्र द्वारा शरीर वज्र का बना देना इत्यादि। लेकिन जब हम तथ्यों की छानबीन करते हैं तो कुछ और हीं कहानी निकलकर सामने आती हैं । महाभारत ग्रन्थ के तथ्यों पर आधारित जो भ्रांतियाँ फैली हुई हैं , उन्हीं भ्रांतियों से पड़े हुए परदे हो हटाने की ये मेरी पहली कोशिश है ।
RIGHT FRO THE CHILDHOOD, QUESTIONS REGARDING ALWAYS INTRIGUED ME. AS I GROW, QUESTION ALSO GROWN MANIFOLD. IN THIS BOOK I AM PRESENTING THOSE COLLECTIONS OF POEMS, WHICH RESULT OF MY QUEST TOWARDS GOD.
RIGHT FRO THE CHILDHOOD, QUESTIONS REGARDING ALWAYS INTRIGUED ME. AS I GROW, QUESTION ALSO GROWN MANIFOLD. IN THIS BOOK I AM PRESENTING THOSE COLLECTIONS OF POEMS, WHICH RESULT OF MY QUEST TOWARDS GOD.
जनतंत्र , प्रजातंत्र , न्यायपालिका आदि से व्यक्ति को न्याय की उम्मीद होती है . ये शब्द आम जनता को स्वप्निल जगत में ले जाने का दावा करते हैं , परन्तु यथार्थ इसके विपरीत हैं . बिल्कुल म
जनतंत्र , प्रजातंत्र , न्यायपालिका आदि से व्यक्ति को न्याय की उम्मीद होती है . ये शब्द आम जनता को स्वप्निल जगत में ले जाने का दावा करते हैं , परन्तु यथार्थ इसके विपरीत हैं . बिल्कुल मृग मरीचिका की भांति . इस पुस्तक में मैंने कविता के माध्यम से इन्हीं छद्म यथार्थ को परिभाषित करने की कोशिश की है .
साहित्य बहुत हीं सशक्त माध्यम है , ह्रदय की आवाज को बाहर लाने का. एक व्यक्ति अपनी बात को हमेशा बाहर नहीं ला पाता . बहुत सारे कारण होते हैं . जीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मे
साहित्य बहुत हीं सशक्त माध्यम है , ह्रदय की आवाज को बाहर लाने का. एक व्यक्ति अपनी बात को हमेशा बाहर नहीं ला पाता . बहुत सारे कारण होते हैं . जीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मेरे ह्रदय के आंदोलित करती है. फिर चाहे ये प्रेम हो , क्रोध हो , क्लेश हो , ईर्ष्या हो, आनन्द हो , दुःख हो . सुख हो, विश्वास हो , भय हो, शंका हो , प्रसंशा हो इत्यादि, ये सारी घटनाएं यदा कदा मुझे आंतरिक रूप से उद्वेलित करती है. मै बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज्यादातर मौकों पर अपने भावों का संप्रेषण कर हीं देता हूँ. फिर भी बहुत सारे मुद्दे या मौके ऐसे होते है जहाँ का भावो का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता. बहुत जगहों पे अन्याय होता है , भ्रष्टाचार होता है , जिसका विरोध नहीं कर पाता . पारिवारिवारिक, आर्थिक , सामाजिक मजबूरियाँ होती हैं जो एक व्यक्ति को बोलने से रोकती हैं . इन परिस्थियों में व्यक्ति क्या करे ? क्या अपनी आवाज को ताउम्र ह्रदय दबा कर रखे , या किसी अन्य तरीके की खोज बीन करे . इन्हीं परिस्थियों और अंतर्द्वंदों का नतीजा शायद साहित्य है . साहित्य कार किसी से लड़ता नहीं है और अपनी बात कह भी देता है , बिना किसी को चोट पहुंचाहते हुए . इन्ही तरह की परिस्थियों पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे ह्रदय ही बेचैनी को जमाने तक लाने में सेतु का कार्य करती है. मेरे ह्रदय की आंदोलित अवस्थाओं का प्रतिफलन है ये छोटी छोटी हास्य व्ययांगतमक लघु कथाएँ जो मैं इस पुस्तक में प्रस्तुत कर रहा हूँ .
ईश्वर की जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति द्वारा रचित कविताओं का संग्रह
ईश्वर की जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति द्वारा रचित कविताओं का संग्रह
आरक्षण का एक परिणाम ये रहा कि ज्यादातर कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने को बाध्य हो गए . सरकारी नौकरियों में जहाँ एक तरफ सुरक्षा की भावना रहती है वहीँ पे कॉर्पोरेट जगत में काम की महत्
आरक्षण का एक परिणाम ये रहा कि ज्यादातर कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने को बाध्य हो गए . सरकारी नौकरियों में जहाँ एक तरफ सुरक्षा की भावना रहती है वहीँ पे कॉर्पोरेट जगत में काम की महत्ता होती है . ये बात ठीक है कि प्राइवेट सेक्टर में प्रतिभा की पूछ है , पर किस तरह की प्रतिभा . यहाँ पे ज्यादातर मामलों में एक परिवार और एक व्यक्ति का दबदबा होता है . जाहिर सी बात है कि इन परिस्थितियों में सारे लोग आगे बढ़ने के लिए चाटुकारिता में लगे रहते हैं. ये किताब इस लघु कथा के माध्यम से कॉर्पोरेट जगत में व्याप्त विभिन्न खामियों को उजागर करती है .
ये कविता संसार की सारी माताओं की चरणों में कवि की सादर भेंट है. इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक तक विभिन्न चरणों में दिखाई गई है . माँ के आत्मा की यात्रा इ
ये कविता संसार की सारी माताओं की चरणों में कवि की सादर भेंट है. इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक तक विभिन्न चरणों में दिखाई गई है . माँ के आत्मा की यात्रा इहलोक पर गर्भ में अवतरण के बाद शिशु , बच्ची , तरुणी , नव युवती , विवाहिता , माँ , सास और दादी के रूप में क्रमिक विकास , देहांत और अन्तत्त्वोगात्वा देहोपरांत तक दिखाई गई है। यद्दपि कवि जानता है कि माँ के विभिन्न पहलुओं को शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता, फिर भी कवि ने ये छोटा प्रयास किया है।
बड़े लोग उसे बहुत हीं शरारती बच्चा कहते थे। रित्विक के हाथ में कोई भी खिलौना पकड़ा दो, टूटने में समय नहीं लगता। तुरं Read More...
जून का अंतिम महीना चल रहा था । मौसम विभाग ने आने वाले दो तीन दिनों के भीतर मानसून के आने की सम्भावना व्यक्त की थी । चि Read More...
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