इस किताब में समाज में बीत चुके कुछ घटना जिसमें हम लोगो को एक जुट होकर उसके खिलाफ लड़ना चाहिए था। गौरतलब है कि हम सिर्फ दुख व्यर्थ कर सकते हैं और हमेशा के तरह हम मोमबत्ती लेकर चौक च�
सकुनी किसी के लिए गलत होगा और हो सकता है किसी के लिए सही भी
नजर का फर्क है, किसी को जो गलत लगता है , वो किसी को सही भी।
अखबार के पन्नो को कोई सिर्फ पढता है और कोई सिर्फ �