प्रेम में नहीं जो

फंतासी
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विधा: कहानी

शीर्षक : प्रेम में नहीं 'जो'

कहानी एक लड़के जो की है ,जिसने ना जाने कितनी ही लड़कियों से इश्क की लगन लगाई । छ: महीने से अधिक इश्क कभी टिका ही नहीं ..।

कुछ ना कुछ सगूफा बना ही लेता ,हर लड़की से उसका मन कुछ ना कुछ कहने को मचलता रहता ।

मां भी कहती,"---निकम्मे ..! कुछ कर ले यों ही लड़कियों के पीछे समय बर्बाद क्यों कर रहा है तू ..!"

वह फट से मोटरसाइकिल पर लगे शीशे में खुद को निहारता और बालों को हाथों से अदा से पीछे करता ,कहता,"-- मॉम तुम भी लगता है सठिया हो गई हो ..अभी तो मेरे दिन ही क्या हैं ? जरा दो घड़ी जीने दो ना..!"

कहता हुआ मोटरसाइकिल स्टार्ट कर वहां से निकल पड़ता ।

एक बार :

उसके मुहल्ले में एक अदत खूबसूरत महिला शमी ने आकर 'जो ' के मतवाले मन के तालाब में ककंड ऐसे मारा कि, दिल के पास तरंगें छू ग‌ई और हिलोरें मारने लगीं..!

उसके दिलकश अंदाज ने सबके होश ही उड़ा दिए थे ..। 'जो' तो पहले ही था मोस्ट एलिजिबल बैचलर ..।

दिन रात उसके ही सुनहरे ख्वाबों की तपिश महसूस करता ,ऐसे ही उसका बर्बाद समय कगार पर बीत रहा था ..।

एक रोज उसने सोचा अपने मन की संवेदनाओं को शमी के पास जाहिर करने का वक्त आ गया है । उसने दूर से शमी को आते हुए देखा , जल्द उसके पास आकर बोला ,"-- ओ हसीना ..! मैं हूं 'जो '..। आप कोई भी हैं ,निहायत ही खूबसूरत हैं , मुझे पसंद हैं क्या आपको भी मैं..?"

बड़े ही दिलकश अंदाज से उसके होंठों पर मुस्कान तैर रही थी ।

यह जुमला 'जो ' ना जाने अनेकों बार हसीनाओं पर अजमा चुका था ..।

उसके आंखों में आंखें डाल शमी भी मस्तमौला थी ,वह भी हंसते हुए यों बोली --

,"जी आप भी मुझे बहुत ही पसंद हैं ,मैं तो रोज आपको अपनी छत से देखा करती हूं ...! आप तो बहुत ही प्यारे इंसान हैं, सच ..। आप कल मेरे घर आइए मेरा बर्थडे है और हां ! एक बात और ..! अच्छे से तैयार होकर आइएगा , रिश्तेदारों से इन्ट्रोड्यूज करवाना है,आपने हमको पहचान ही लिया आखिर,हीरे की परख जौहरी ही कर सकता है जी ..! विशेष लिबास और इम्पोर्टेंट सामान अवश्य पहन कर आना ,मेरे कजिन जरा मुझसे जेलस हैं ..! दिखाना चाहूंगी उनको ,मैं भी कम नहीं किसीसे ,सबके रिश्ते ऊंचे - ऊंचे खानदानों में हैं और आप भी कुछ अलग नजर आएंगे तो..!"

वह खुशी खुशी तैयार हो गया उसके मुंह से अनायास ही निकला ",--श्योर शमी जी.!"

अपने बालों को हाथों से पीछे झटका दिया और अगली गली में घुस गया ..।

टिन्ना ,बाबा,गिट्टो, पंसारी और घिग्घा को घेर कर किस्सा सुनाने लगा खूब डींगे मारने लगा ..!

बड़े गौर से वे सब उसकी बातों का लुत्फ ले रहे थे ।

एकाएक अपने दिमाग में बड़ा व्यूह रचने लगा ,घिग्घा से बोला,"--घिग्घा ,इम्प्रेशन जमाना है यार अपनी इम्पोर्टिड ढाई लाख की वॉच देना यार ..!"

घिग्घा ने हां में सर हिलाया ।

गिट्टो की ओर मुड़ा ,"ओ गिट्टो ! अपनी गोवन हैट देना । जो तुमने ऑक्शन से पूरे पचास हजार में ली थी ..।"

"बाबा ! तुम मुझे स्टालिश सूट देना ,जो तुमने डिजाइनर से सिलवाया है ..पूरे पहचत्तर हजार में ..!"

",--और बचे तुम पंसारी तुम क्या दोगे ? एक रिंग डायमंड की ..जो तुमने पूरे डेढ़ लाख की बनवाई है । "

सबने हामी भर दी ..सबने एक एक कर अपना सामान उसे दे दिया और सम्भालकर रखने की हिदायत भी दी ।

सारा सामान पहन कर अगले दिन पार्टी में पहुंचा ..!

जो जब वहां पहुंचा खूब स्वागत किया गया ,उसने सॉफ्ट ड्रिंक्स ली कुछ ऐसा हुआ कि..उसकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा , फिर उसे पता ही ना चला सुबह आंख खुली तो सकते में पड़ गया ।

उसके दो हाथ दो पांव एक चारपाई में बंधे थे ..। कहने के लिए बदन में दो कपड़े मात्र रह गए थे ..।

सभी सामान चम्पत हो गया गैंग उसे बांधकर कोसों दूर निकल चुका था ,अब उसे समझ नहीं आ रहा था ,दोस्तो का सामान कैसे वापस करे ? यही सोचकर वह बार - बार बेहोश हो रहा था ।

सुबह देर तक :

उसके घर ना पहुंचने पर हंगामा हो गया ,तो उसकी मित्र मंडली उसे खोजते हुए वहां आ पहुंची ।

उसे देखकर खूब हंसी , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वे हंस क्यों रहें हैं ?

वह बोला,"--एक तो सामान गायब है आप सबका ,ऊपर से मेरी हालत खराब है और आप सबको हंसने की लगी है ..!"

सब एक साथ बोले ,"--क्योंकि ,लड़की के साथ- साथ सामान भी नकली था , मित्र इसलिए समझे ..!"

वह ना हंस पा रहा था ना रो पा रहा था बस जान बच गई खैर मना रहा था ..!

'जो ' बन गया नया अब उसी वक्त से ।

बिल्कुल चुप ,गुम -सुम , प्रेम का मारा 'जो' ..!

जो भी हंसता इस किस्से पर 'जो' को बुरा नहीं लगता , क्योंकि, अब प्रेम में नहीं था 'जो' ..!

सुनंदा ☺️

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