खजाना

क्राइम थ्रिलर
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मदन की नयी नयी नौकरी लगी थी ।एक छोटे से कस्बे मे।उसने दलाल से कह कर अपने लिए एक कमरा किराए पर लेने की बात की।छोटे कस्बों मे घरों के अंदर ही एक कमरा किराए पर दे दिया जाता है ऐसे ही एक दलाल ने मदन को यहां के जमींदार की हवेली मे एक कमरा किराए पर दिला दिया था हवेली के मालिक शम्भु प्रसाद बीमार रहते थे।उनकी पत्नी ही उनकी देखभाल करती थी।कहने के नाम पर ही जमींदारी थी।बस जो पुश्तैनी था वो था। बाकी सब शम्भु प्रसाद की बीमारी निगल गयी थी ।इतनी बड़ी हवेली मे दो जीव रहते थे । इसलिए उन्होंने दलाल से कह दिया था कि किसी को कमरा चाहिए तो हमारा नीचे का भाग हवेली का खाली है ।छोटे कस्बे मे कौन आ कर रहने वाला था।ये तो मदन की पोस्टिंग यहां हुई थी।वह ठाकुर शम्भु प्रसाद से मिलने गया। वास्तव मे उनकी तबीयत ज्यादा ही खराब थी ।मदन ने एक बात नोटिस की उनके कमरे मे।इतना साफ सुथरा होते हुए भी एक अजीब सी दुर्गंध फैली थी उनके कमरे मे।मदन थोड़ा बहुत ज्ञान रखता था इन बातों का बहुत सी तांत्रिक क्रिया का जानकार था।उसे हवेली मे किसी की उपस्थिति का अहसास हो रहा था।वह जैसे ही अपने कमरे मे आया तो उसे वही अजीब सी दुर्गंध अपने कमरें से भी आ रही थी। उसने जैसे तैसे रात काटी।सुबह उसने मिसेज शम्भु प्रसाद से पूछा जो की एक अधेड़ उम्र की महिला थी,"भाभी जी भाईसाहब कब से बीमार है ।"वो बोली,"पता नही बीस साल पहले हल्का सा बुखार चढ़ा था जब ये विदेश से पढकर यहां इस हवेली मे रहने आये थे ।वो ही बुखार ही इतनी बड़ी बीमारी बन गया।सारे इलाज करवा लिया कोई आराम नही है।"

"आप भूत प्रेत को मानती है। क्यों कि एक अजीब तरह की दुर्गंध उनके कमरे से और नीचे के और कमरों से आ रही है। जहां तक मै जानता हूं ये प्रेत बाधा की सूचक है।"मदन ने मुंह पर हाथ रखकर सोचने की मुद्रा से कहा।

मिसेज प्रसाद चौंकी,"हे प्रेत बाधा।पर आप को कैसे पता?"

मदन उन्हें लेकर ठाकुर शम्भु प्रसाद के कमरे मे गया।और उन्हें मंदिर से गंगाजल लाने को बोला । मिसेज प्रसाद गंगाजल लायी तो मदन अंजुली मे भरकर गंगा जल शम्भु प्रसाद के पलंग के चारों ओर घुमने लगा साथ मंत्र भी बुदबुदा रहा था।थोडी देर पहले जो शम्भु प्रसाद बैचेन होकर होंठों मे बुदबुदा रहे थे वो अब शांत होकर सो रहे थे। मिसेज प्रसाद हैरान रह गयी क्यों कि उनके पति कभी भी इस हवेली मे आने के बाद इतनी गहरी नींद नही सोये।अब तो मिसेज प्रसाद को भी यकीन हो गया।वो बोली,"मै कल ही अपने मायके से पहुंचे हुए तांत्रिक को बुलाकर किर्या करवाती हूं।

मदन आफिस के लिए निकल गया ।दोपहर दो बजे मिसेज प्रसाद का फोन आया कि इनको सांस लेने मे तकलीफ हो रही है मै इन्हें शहर के अस्पताल ले जा रही हूं।आप घर का ख्याल रखना।मदन को अपराधबोध हो रहा था उसने उन पर आये प्रेत को जगा दिया था। लेकिन अब कर भी क्या सकते थे।

मदन शाम को पांच बजे दफ्तर की छुट्टी के बाद जैसे ही हवेली पहुंचा और अपने कमरे का दरवाजा खोला तो देखकर हैरान रह गया।उसकी तांत्रिक उपाय की किताब बीच मेसे फटी हुई है।अब मदन को पक्का यकीन हो गया कि हवेली प्रेत बाधा से ग्रस्त है।वह बाहर से खा पीकर रात दस बजे अपने कमरे मे सोने गया अभी उसे सोते एक डेढ़ घंटा ही हुआ था कि बाहर गैलरी मे पायल की आवाज सुनाई दी।मदन चौकन्ना हो गयाऔर जितने भी तांत्रिक क्रिया के मंत्र आते थे याद करने लगा।तभी वह घुंघरूओं की आवाज तेज हो गयी और उसके कमरे से आने लगी।वह थोड़ा सा सोया और थोड़ा जगा महसूस कर रहा था।उसने देखा एक तीस बतीस साल की औरत लाल सुर्ख जोड़े मे ठुडी तक घुंघट निकाल कर उसके पलंग से एक फुट की दूरी पर खडी है।और धीरे से उसके कान मे कह रही है ,"हवेली में खजाना छिपा है ।"

तभी मदन ने चेता किया तो पाया कोई नही था उस के कमरे मे वो सारी रात सोचता रहा कौन है वो औरत और मुझे ही खजाने के विषय में क्यों बता रही है।सारी रात आंखों ही आंखों मे निकल गयी।अगले दिन मदन का आफिस मे किसी काम मे मन नही लगा वह सारा दिन उस घुंघट वाली औरत के विषय मे सोचता रहा।शाम को आफिस से आकर जल्दी से खाना खाया और दस बजे उस औरत के दोबारा आने के इंतजार मे मदन बिस्तर पर लेट गया।रात साढ़े ग्यारह बजे मदन को फिर से वही घुंघरूओं की आवाज आने लगी।वह जोर लगाकर बोला,"बताना है तो साफ साफ बताओ तुम कौन हो और क्या चाहती हो।"

इतने मे घुंघरूओं की आवाज शांत हो गयी।मदन ने भी सोचा शायद मेरा वहम है ये सोच कर वह सो गया।तभी उसे ऐसे लगा जैसे वह हवेली के आंगन मे खड़ा है पर यह हवेली तो वही है पर चीजे सारी पुराने जमाने की है। कमरों मे बिजली के बल्ब की जगह लैम्प जल रहे है तभी हवेली के मुख्य दरवाजे पर खटखटाहट होती है ।मदन मूक दर्शक बना सब देख रहा था।एक कमरे से वही घुंघट वाली ओरत लैम्प लेकर दरवाजे की तरफ जाती है और दरवाज़ा खैलते ही एक डाकू जैसा आदमी प्रवेश करता है।और उस औरत से कहता है ।देख अशर्फी मै आज कितना तगड़ा हाथ मारके आया हूं थैला भरा है स्वर्ण मुद्राओं से।तभी अशर्फी उसे धीरे बोलने के लिए बोलती है और कहती है,"शशशं।धीरे बोल मुन्ना सो रहा है दूसरे कमरे मे। मैने तुझे कहां है ना डाका मार कर मेरी हवेली मे मत आया कर । अंग्रेज सिपाही खाल मे भूसा भर देंगे समझा।"

डाकू जैसी शक्ल वाला आदमी उसे बड़े प्यार से देखने लगा।

तभी अशर्फी बोली,"अच्छा अच्छा मंगल अब चिरोरियां बंद कर और जा तहखाने मे छिपा दे।"

डाकू मंगल सी थैला लेकर तहखाने मे चला गया पीछे पीछे अशर्फी भी ओर मदन भी चले गये। अशर्फी और मंगल ने एक दीवार खोदकर सारी मोहरें उस मे दबा दी और दीवार पहले जैसी करके उसपर लाल गेरू से पुताई कर दी।तभी हवेली का दरवाजा फिर से खड़का।इस बार जब अशर्फी ने खोला तो दो अंग्रेज सिपाही खडे थे वे बोले,"आपकी हवेली मे कोई आया है क्या?"अशर्फी बोली,"नही तो पर क्या बात है ?"

वे बोले ,"डाकू मंगल सिंह राजा जी के दो आदमियों को मार कर खजाना लूटकर फरार है आखिरी बार इसी इलाके मे देखा गया था।आप सचेत रहिये गा।"

तभी अशर्फी बोली,"साहब यहां चिड़ी भी पर नही मार सकती डाकू तो बहुत बडी बात है यहां ठाकुर भीमा की विधवा रहती है‌।आप निश्चित रहे।"

यह कहकर अशर्फी ने किवाड़ बंद कर दिये और नीचे तहखाने मे आयी और मंगल से बोली,*पहले डाके डालता था अब लोगों की जान भी लेने लगा है ।बाबा मुझे बक्श तू।"मंगल सिंह उसे बाहों मे भर कर उपर कमरे की तरफ ले गया और बोला,"मेरी जान अगर तू मुझे यहां बर्दाश्त नहीं कर सकती तो अंग्रेज सिपाही के हाथ क्यों नही पकड़वाया।मुझे पता है तू मेरी दीवानी है।"यह कहकर वे दोनों एक कमरे मे बंद हो गये।थोडी ही देर मे मदन क्या देखता है एक दो तीन साल का बच्चा आधी नींद से उठा अपनी मां को ढूंढ रहा था।तभी अशर्फी दूसरे कमरे से निकली और बच्चे को सुलाने के लिए अपने कमरे मे चली गयी।पीछे से डाकू मंगल सिंह दीवार फांद कर गली मे कूद गया।तभी धांय धांय धांय तीन गोली चली । अशर्फी चिल्लाते हुए खिड़की पर गयीऔर पड़ोस की काकी से पूछा,"क्या हुआ काकी?*

पडोस की काकी बोली,"बेटी कुछ नही ।मुआ मंगल सिंह डाकू मारा गया।"

तभी जैसे मदन को किसी ने झिंझोड़ कर जगाया।देखा सामने अशर्फी खडी थी।वह धीरे धीरे बुदबुदा रही थी।"मेरी मुक्ति, खजाने से मंदिर बनवाना,और वादा करो मेरी असलियत किसी को ना बताना।"

जब मदन अच्छी तरह से नींद से जगा तो सुबह हो चुकी थी। हवेली का मुख्य दरवाजे पर दस्तक हुई ।मदन ने देखा शम्भु प्रसाद अपने पैरों से चल कर हवेली मे प्रवेश कर रहे है और पूर्णतः स्वस्थ लग रहे है।मदन ने मिसेज प्रसाद से पूछा ,"ये कैसे चमत्कार हुआ ?"तो वह बोली, "पता नही भाई आज सुबह ही इनकी हालत मे अचानक से सुधार हो गया और डाक्टर ने बोला हम घर जा सकते है।"

मदन बोला,"भाईसाहब और भाभी जी आप को एक बात बतानी है इस हवेली मे जो प्रेत है वो एक खजाने की रक्षा कर रहा है आप से विनती है आप उस खजाने को निकाल कर उससे मंदिर या पाठशाला बनवाए ताकि उस आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिले।और एक बात मुझे आप से पूछनी थी भाईसाहब।"

शम्भु प्रसाद एकदम से बोले,"हां पूछो क्या पूछना चाहते हो।"

"ये अशर्फी कौन है।"मदन ने सवाल किया।

शम्भु प्रसाद बोले,"मेरी माता जी का नाम है। क्यों क्या बात है?"

मदन बोला,"उन्होंने ही कहा है मुझे।"

यह कह कर मदन सारी वो बात छुपा गया।जो एक बेटे से उसकी मां का सम्मान छीन ले।और साथ ही अशर्फी देवी का वादा भी निभाया था उसने।

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