ख़ुद को पहचानो

जीवनी
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ये कहानी एक छोटे से गांव की है। जिसमे राजू और सुदीप नाम के दो छोटे बच्चे भी रहते थे। जिसमे राजू बड़ा और सुदीप छोटा था। राजू और सुदीप हमेशा साथ खेलते थे। और दोनो की बहुत गहरी मित्रता थी। राजू की उम्र 14 साल थी, तो वही सुदीप की उम्र 9 साल की थी। एक दिन दोनों खेलते - खेलते किसी जंगल में जा पहुंचे। और वहां राजू एक खाही में गिर गया। तब सुदीप उसकी सहायता के लिए जोर - जोर से चिल्लाने लगा। आखिर उस जंगल में उसकी आवाज सुनता ही कौन ? क्योंकि वो बिल्कुल सुनसान था। तब सुदीप ने राजू की जैसे - तैसे मदद करके उसे उस खाही से निकाला।


और फिर वो वापस आकर ये सारी बात अपने गांव वालों को बताया। पर उसकी बात पर किसी ने यकीन नहीं किया। लोगों को लगता था, कि ये छोटा बच्चा एक बड़े बच्चे की मदद कैसे कर सकता है। लेकिन उसकी ये बात सुन कर गांव के एक अनुभवी व्यक्ति ने यकीन किया । लोग कहने लगे, कि आपको कैसे लगता है। कि एक छोटा बच्चा एक बड़े बच्चे की इतने मुश्किल समय में उसकी मदद कर सकता है। तब वो कहने लगे, कि उस समय सुदीप छोटा जरूर था । पर उसके हौसले, उम्मीद और साहस और अपने दोस्त को बचाना। उसके लिए सबसे बढ़ कर था। बस उस समय सुदीप को अपनी उम्र का अंदाजा नहीं था। उसे बस अपने दोस्त को बचाना था, क्योंकि उस वक्त उसके लिए अपने दोस्त को बचाने के अलावा कुछ भी जरूरी नहीं था। यहां तक उसे अपनी जान की भी फिकर नही थी। क्योंकि उस बच्चे को यहां कोई ये बताने वाला नहीं था। कि तुम इस काम को नही कर सकते हो। बस उस वक्त उसके हौसले, साहस और उम्मीद ने उसका साथ दिया तो उसके ये कर दिखाया।


तब गांव वालों को उस व्यक्ति की बात सुनकर उस बच्चो की बातों पर यकीन हुआ। कभी - कभी हम कोई काम करने के लिए खुद को उस लायक न समझ कर उसे शुरू करने से ही पहले छोड़ देते हैं। और फिर हम वहीं गलती करते हैं। हमारा दिमाग वही सोचता है। जिसे हम कर सकते हैं। बस मन में एक डर लेकर खुद के हौसले को जगने से पहले ही सुला देते हैं।


और हमारी आंखें वही ख़्वाब दिखाती हैं, कि जिन्हें हम पूरा कर सकते हैं। फिर क्यों हम कोई काम करने से पहले हजार बार दुनियां की सोचते हैं। कि अगर नही सफल हो पाया तो लोग मेरा मजाक बनायेगे। तो बनाने दो लोगों को तुम्हारा मजाक, क्योंकि लोगो का मजाक अक्सर वही बनाते हैं। जो खुद कुछ नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें क्या पता कि किसी लक्ष्य को पाने के लिए बार - बार गिरना पड़ता है। जिस तरह एक छोटा बच्चा जब चलना सीखता है। तो वो बार - बार गिरता है। बस उसी तरह हम जब अपने जीवन में कुछ करते हैं। तो गिरना संभलना लगा रहता है। जिस से हम कुछ न कुछ सीखते रहते हैं।


और हमारी हर असफलता के पीछे कुछ न कुछ सीख जरूर मिलती है, कि हम अगर इस बार भी ऐसा ही करेंगे। तो फिर से हमे वही परिणाम मिलेगा। अगर हम कुछ करते हैं, तो हमें कभी उम्मीद नही हारनी चाहिए। बल्कि अपना हौसला बनाएं रखना चाहिए, क्योंकि कभी - कभी हम ताले की ढेर सारी चाभियां लगा कर देखते हैं । और अंत में हमे हमारे तले की चाभी मिल ही जाती है। आखिर हम क्यों दूसरे से खुद को कम समझे। भगवान ने दूसरो की तरह ही हमे भी बनाया है। बस हम कभी - कभी नकारात्मक सोच को लेकर खुद को छोटा समझने लगते हैं। और हमारे जीवन की गलतियां वही से शुरू हो जाती हैं।


खुद को कभी भी दूसरो से छोटा या कम न समझे क्योंकि हम भी उनके जैसे हैं। जिन्होंने समाज में कुछ कर दिखाया है। तो फिर हम क्यों खुद को उनसे कम समझे। जरूर एक दिन कुछ बड़ा करने का हौसला ही हमे हमारी मंज़िल तक ले जाता है।
और जो हमें एक दिन कामयाब बनाता है। और हमारा धैर्य हमें एक नए मुकाम पर ले जाता है। और संयम हमें उस मुकाम पर ले जाता है।जो हमने कभी अपने जीवन में जो सपने देखे हैं। उनको पूरा करने में हमारी बहुत मदद करता है। और हम जीवन में जिन सपनों को देखते हैं। उनको पूरा कर सकते हैं। तो उनको पूरा करने के लिए कभी हार ना माने बस अपने जीवन में संघर्ष की और हमेशा प्रयासरत रहें। और हमेशा प्रयास करते रहें।


आशा करती हूं, कि आपको ये छोटी सी कहानी जरूर पसंद आयेगी।
धन्यवाद

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