JUNE 10th - JULY 10th
रोलाहा गाँव के बच्चों का बचपन बङी ही सुंदरता से घट रहा था जिनके संग एक उम्रदराज आदमी का रहना था, यह वो बरखुरदार हैं जो उन बच्चों मे सबसे बड़े हैं।
अचानक एक रात सर्दी के मौसम में आग जलाये बैठे बच्चों में से एक लड़की बोली 'आज नहीं आया बचपन, कहीं चले तो नहीं गए' सभी उनको ''बचपन बचपन कहकर पुकारते थे'' तभी उनमें से एक छोटा नटखट बालक दौड़कर उनके घर की ओर जाता है और आकर बताता है कि वो घर पर ही हैं अकेले बैठे हैं किन्ही ख्यालों में खोए हुए खिलकी किनारे।'
इन्तजार तो नहीं किया बच्चों ने मगर वह लड़की फिर बोली अपनी मीठी आवाज में 'बचपन जब भी होता है तो सर्दी महसूस नहीं होती और ऐसा लगने लगता है जैसे बर्फ गिरने लगी हो, तभी पीछे से कोई आता है और साउ के बगल में मुस्कुराकर बैठता है यह कोई और नहीं उन नादान बच्चों का मित्र बचपन था जिसे वो बहुत प्यार करते थे।
सभी ने शोर मचाना शुरू कर दिया कोई कहता है 'इतनी देर.. आज कोई नई कहनी.. नाचकर दिखाओ.. गीत गाओ.. तारों के बारे में कुछ बताओ..' बचपन हँसा और सबको शांत किया अपने हाथों को फैलाकर। बचपन ने कहा आज हम तुमसे एक पहेली पूछेंगे और उसमें एक कहानी भी है जिसे हम तुम्हें सुनाएंगे, सभी ने जल्दी जल्दी में बोला 'पूछो पूछो, कौन सी वाली पहेली जल्दी बोलो, कुछ बच्चे चुप रहे पहेली के इन्तजार में,'
बचपन ने कहा यह पहेली हमारे ही गाँव के एक बूढ़े व्यक्ति की है जिन्हें तुम सभी बहुत ही अच्छे से जानते हो, वो हैं हमारे गुमसुम दादा जी। 'अच्छा,, वो,, तो सुनाइये पहेली, ''अच्छा तो बताओ सभी तुमने गुमसुम दादा जी को हमेशा सांझ नियम से कभी सुबह या दिन में भी दक्षिण दिशा की ओर जाते देखा होगा और उनके चेहरे पर एक उदास शांत भाव क्यूँ बना रहता है, क्या कोई बता सकता है की वो ऐसे क्यूँ हैं और वो कहाँ जाते हैं रोज़''
..सभी बच्चे सोच में पढ़ गए और कल्पनाएं करने लगे और चुप होकर एक दूसरे की ओर देखते हैं, उनमें में से एक लड़का जिसका नाम मासूक था कहता है अच्छा तो आप गुमसुम दादा जी कि इस पहेली को ही सुलझा रहे थे, बचपन ने कहा बिलकुल बहुत वक्त से, बच्चों ने कई तरह उत्तर दिए जो ..कई तरह की बातें कहते हैं, जिसमें साउ कहती ..हाँ मेरा घर दक्षिण दिशा में ही है और मैंने उनको काफ़ी देखा है एक पुराने घर को निहार्ते हुए, वो वहां पहुँचते हैं और बैठकर एक जगह उस घर को देखते रहते हैं, साउ कि इस बात से बचपन बोला तुम्हारा उत्तर आधा है तुम काफी करीब हो,
बच्चों के जोर देने पर बचपन को पहेली का उत्तर देना ही पङा, जो अजीब था, ''असल में वो उनकी एक अद्रश्य दोस्त के घर को देखने जाते हैं, वही घर जो साउ के घर यहां है, अब वहाँ कोई नहीं रहता, लम्बे समय से, शायद कोई नहीं जानता की वह अद्रश्य दोस्त कौन थी और कहा गई, यह सब मै बहुत ही अलग रास्ते से जनता हूँ फिर भी सब कुछ नहीं, वह हमेशा से वहाँ जाते हैं, जब भी गाँव आते हैं अपनी यात्राओं से, यहां रहते हैं तो वहाँ जरूर ही जाते हैं, प्रतिदिन कभी दिन में दो से तीन बार और वहीं बैठें रहते हैं, जैसा कि साउ ने बताया, यह उनकी अद्रश्य दोस्त जो भी हो वो अब यहाँ नहीं रहती और आश्चर्य की बात तो यह है कि वो उससे कभी मिले ही नहीं, .. फिर भी वो ऐसे जाते हैं जैसे वह उनको वहाँ मिलती हो, उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकते क्योंकि उन पर किसी कि नज़र नहीं जाती, वो क्या करते हैं, कहाँ जाते हैं, उनकी जिंदगी की क्या कहानी है और उनके राज क्या हैं, वह सदा बहुत ही शांत रहते हैं छुपे छुपे से, कभी किसी से मिलते भी नहीं।
और मैंने जाना है उन पर शोध करके की जब भी वह यहाँ रहते हैं तो मौसम बदला हुआ होता है और खास जब वह शाम को निकलते हैं उस ओर तो हवाएं चलने लगती हैं और बादल छा जाते हैं, तुम देख सकते हो अब भी लगभग वैसा ही मौसम है क्योंकि वो आज भी गए होंगे, मुझे लगता है कि यह प्रकृति उनके साथ हो, और होना भी चाहिये वो हैं भी बहुत अनोखे लेकिन किसी को दिखाई नहीं पड़ते, वो अपने आपको छिपाए जो रहते हैं।
क्या लगता है बच्चों, असलियत क्या होनी चाहिए, बिराक बोला जो अक्सर मुख्य बात ही कहता है की 'शायद हम उनकी मदद कर सकते हैं, उन्हें मदद भी तो चाहिए हो सकती है क्योंकि अब एक समय आया है और वो बुजुर्ग हैं तो हम जो कई नए रास्ते जानते हैं जिनमें जादू, चमत्कार है,' बचपन ने कहा हाँ, जो भी हो मैंने सोचा है कि हम एक समारोह में उनको बुलाएंगे, फिर देखते हैं उनसे हम क्या और कैसे निकलवाते हैं, और इसकी हमें अच्छी तैयारी करनी है।
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rajputsabh10
Gajab
adesh12
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adarshrajput3895
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