Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
कहानी में कविता
अभियान में दो किरदार एक दूसरे से दूर भटकते हैं, जिन्होंने कभी एक दूसरे को देखा तक नहीं होता सिवाय बचपन से आई अंजान अनुभूतियों के..। जिनकी प्रार्थनाओं ने उनको यह
कहानी में कविता
अभियान में दो किरदार एक दूसरे से दूर भटकते हैं, जिन्होंने कभी एक दूसरे को देखा तक नहीं होता सिवाय बचपन से आई अंजान अनुभूतियों के..। जिनकी प्रार्थनाओं ने उनको यह एहसास करा दिया कि वे दोनों हैं तो पर आँखों से ओझल यहीं कहीं, जो एक दूसरे की खोज में खोजते हुए वास्तविकता से गुजरेंगे।
सफ़र करता हुआ परिंदा अपने आप को अकेला पाता है, शुरू से सब के साथ होकर भी, जिसकी प्यास उसे नए रास्तों पर ले जाती है किसी की तलाश में जो खुद उसे ढूँढ़ रही है।
दोनों के इश्क को देखकर लगता है मानो वे कई जन्मो से ही नहीं कई दुनिया में से गुजरते हुए आज यहाँ हमारी दुनिया में घूम रहे हैं..।
..उन दोनों के प्रेम की गहराई ने अस्तित्व को तक छू लिया जो एक दूसरे को अदृश्य संदेश पहुँचाने लगी प्रकृति भी, वह कब मिले और अलग हो गए किस धारा में..। बचपन से ही दोनों को सब ओर दिखाई देने लगी वह प्यारी प्यास जो उनको एक अनोखी यात्रा के सफ़र की तैयारी कराने लगी।
दो नाव की उत्पत्ति एक साथ हुई, वे नौका साथ चली थीं जो एक समुद्र में बिछड़ गई और तलाश रही हैं खोजकर, कितने बचपन निकल गए मगर आज तक मिलन खेलने तड़प ही रहा है।
रोलाहा गाँव के बच्चों का बचपन बङी ही सुंदरता से घट रहा था जिनके संग एक उम्रदराज आदमी का रहना था, यह वो बरखुरदार हैं ज Read More...
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.