Stigma By Our Society
By Anjali Jha in Poetry | कुल पढ़ा गया: 382 | कुल पसंद किया गया: 0
Stigma by our society How can someone put stigma on her? Without knowing any reason, A disgrace associated with her, A happy soul was tormented. Not able to walk straight, Not able to talk properly, Indeed filled with shame, Not able to think about what to do? It made her miserable, It made her a  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:59 AM
अच्छा बुरा
By deepika swarnkar in Poetry | कुल पढ़ा गया: 292 | कुल पसंद किया गया: 0
अच्छा  बुरा  गलत  सही  की  समझ  कहाँ  है  मुझे  अभी ? और  क्या  किसी  को  हो  सकती  है ? जिसे   द  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:52 AM
इश्क़ और दोस्ती ..!
By Vishal Vardhamane in General Literary | कुल पढ़ा गया: 386 | कुल पसंद किया गया: 1
ये कहानी है ,मेरी और उसकी ;ये कहानी है काग़ज़ और क़लम की  हम दोनों ही एक दूसरे के सिवा अधूरे थे .जिस दिन वो कॉलेज नहीं   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:51 AM
Being alone feels..
By Aditi suman in Poetry | कुल पढ़ा गया: 438 | कुल पसंद किया गया: 0
Being alone feels nothing.. Yet everything...her intrests are falling and getting shattered every passing day...  It's just how a bubbly soul has gone inert...  Expectations now no more lie by her side..  She no more cares of whats all around.. But light of her thoughts will dazzel li  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:48 AM
Don't afraid, Just Love the Divine
By Dr Ravi Changle in General Literary | कुल पढ़ा गया: 380 | कुल पसंद किया गया: 1
Don't afraid of COVID-19, just stay calm and accept that nature is the Supreme's Love and we should always take care of the Mother Nature as she is very close to the Divine. He has created, he is nurturing and has right to destroy the creation. So what we can do? Stay calm and try to identify why it  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:30 AM
पत्थर कभी चट्टान नहीं होता
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 283 | कुल पसंद किया गया: 1
"पत्थर कभी चट्टान नहीं होता    चूहा कभी बलवान नहीं होता,  कह दो ये दुनिया वालों से मुझसे  टकराना इतना आसान नहीं   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:19 AM
कटी पतंग
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 854 | कुल पसंद किया गया: 1
"जंग के मैदान में तु हिम्मत मत हारना,  कटी पतंग की तरह तु कट मत जाना,  पंखों को फैला के उड़ना है तुझे बस ,  तु हिम्मत  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:17 AM
हिन्दुस्तान कि शान
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 451 | कुल पसंद किया गया: 1
" जब आंख खुले तो धरती हिन्दुस्तान की हो,   जब आंख बंद हो तो यादे हिन्दुस्तान की हो,   हम मर भी जाए तो कोई गम नहीं हो,    ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:16 AM
है मैरे दोस्तों
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 254 | कुल पसंद किया गया: 1
"अब ना में हुं ना बाकी है ज़माने मेरे , फिर भी मसहुर है शहरों में फंसाने मेरे, जिन्दगी है तो नये जख्म भी लग जायेंगे, अब   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:14 AM
जरा कोशिश तो कर
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 524 | कुल पसंद किया गया: 1
जरा कोशिश तो कर " संगीत सुन कर ज्ञान नहीं मिलता ,  मंदिर जाकर भगवान नहीं मिलता, पत्थर तो इसलिए पूजते है लोग, क्योंकि   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:13 AM
मां का प्यार
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 610 | कुल पसंद किया गया: 1
"रुके तो चांद जैसी चले तो हवाओ जैसी वो मां ही है जो धुप मे भी छाव जैसी." Love your mom & Take care of mom  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:10 AM
उम्मीदों की कश्ती
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 230 | कुल पसंद किया गया: 1
"उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नहीं करते, मंजिल दूर हो तो थक कर रोया नहीं करते, रखते हैं जो  दिल में उम्मीद कुछ पाने की  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:08 AM
वक़्त से लड़कर
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 495 | कुल पसंद किया गया: 1
"वक़्त से लड़कर जो नसीब बदल दे इन्सान वहीं जो अपनी तकदीर बदल दे , कल क्या होगा कभी मत सोचो , क्या पता कल वक़्त खुद अपनी   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:07 AM
Shayari
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 296 | कुल पसंद किया गया: 1
 "डर मुझे भी लगा फासला देख कर,  पर मैं बढता गया रास्ता देख कर,   खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई,   मेरी मंजिल मेरा   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:05 AM
How the josh
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | कुल पढ़ा गया: 217 | कुल पसंद किया गया: 1
 " जीत कर उनको दिखाओ जो तुम्हारे हार ने का इंतजार कर रहे हैं ." By Vivek Kumar Pandey  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 23,2020 08:02 AM