सत्य की तलाश में विरले लोग ही निकलते हैं, क्योंकि सत्य को जानने की यात्रा अंतहीन प्रतीत होती है। यथार्थ को जानने निकले कुछ लोग सत्य तक पहुंच नहीं पाते और कुछ को पहुंचने नहीं दिया जाता। यदि कोई शाश्वत सत्य के साथ खिलवाड़ करेगा तो वह संपूर्ण प्रकृति की बर्बादी का जिम्मेदार भी होगा। प्राय: कुछ चालाक लोग निजी स्वार्थों की पूर्ती के लिए किसी भी मनगढ़ंत कहानी को सत्य साबित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। कुछ तथाकथित विद्वान भी झूठी परिकल्पनाओं के माध्यम से सार्वभौमिक सत्य की निर्मम हत्या आए दिन करते रहते हैं। मानवता को बचाए रखने के लिए ऐसे तमाम दुष्ट लोगों को रोकना बहुत जरूरी है। इतिहास में कुछ ऐसे विद्वान भी हुए हैं, जो संभवत: सत्य तक पहुंचे हैं। उनमें गौतम बुध, महावीर स्वामी, कन्फ्यूशियस, अरस्तु, सुकरात, कबीर दास, गुरु नानक, श्रीअरविंद, ओशो आदि प्रमुख हैं। सत्य को जानने में अध्यात्म सहायता कर सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अध्यात्म के बगैर सब कुछ मिथ्या है। संभवत: सत्य की खोज में निकले प्रत्येक व्यक्ति को बहुत सी समस्याओं का सामना पड़ता करना है, लेकिन सभी समस्याएं सत्य की खोज में निकले व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाती हैं। आइए एक ख़ास यात्रा पर चलते हैं, सत्य की तलाश में...
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