'दर्द-ए-दिल' काव्य सँग्रह में बहुत ही दर्दभरी शायरी और ग़ज़लों का सँग्रह किया गया है. इसमें हृदय की आंतरिक भावनाओं को बहुत ही खूबसूरत ढंग से चित्रित किया गया है।
हम उम्मीद करते हैं कि ये कविता सँग्रह आपको असीम आनन्द की अनभूति कराएगा।
इसका एक एक शब्द बहुत ही गहरा भाव रखता है।
रघुवंशी जी का यह पांचवां काव्य संग्रह है, इनके अन्य चार काव्य सँग्रह 'इश्क़ गुनाह है' , 'मैं आवारा' , 'मैं मानव हूँ' और 'अधूरी मोहब्बत' प्रकाशित हो हो चुके हैं। जिसमें बहुत ही हृदय स्पर्शी गीत, ग़ज़लों, कविताओं, अशआर और शायरियों का संग्रह किया गया है।
जिन्हें आप ऑनलाइन नोशन प्रेस पब्लिकेशन के स्टोर से , Amazon या Flipkart से मंगा सकते हैं।
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"नफरतों के जहां में भी हम प्यार करते हैं,
इश्क़ का 'रघुवंशी' हम कारोबार करते हैं।
छोड़ करके जहां के सभी काम धंधों को,
दुनिया में शायरी का हम व्यापार करते हैं।।"
"दुनिया भर में मेरा कारोबार चलता है।
मैं तो 'रघुवंशी' मोहब्बत का कारोबारी हूँ।।"
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