इन कहानियों में प्रेम की इसी पीड़ा को दर्शाने का प्रयाश किया गया है. हर बार प्रेम एकतरफा और अधुरा रहता है और गलत समय, गलत उम्र या गलत व्यक्ति से हो जाता है. प्रत्येक कहानी का पहला शब्द ‘ईश्वर’ है और आखरी शब्द ‘लेकिन’ जो ये बताता है की आदमी ईश्वर से अपनी पसंद का सुख और ख़ुशी मांगता है लेकिन ईश्वर उसे अपनी पसंद का दर्द और दुःख देता है. प्रत्येक कहानी को प्रथम पुरुष ‘मैं’ के शब्दों में लिखा गया है जैसे कहानी मेरी डायरी के पन्नों से ली गयी हो और प्रत्येक कहानी के अंत में मुख्यपात्र यानि मुझे मौत की खुबसूरत परी अपनी गोद की सुकून भरी नींद में सुला देती है लेकिन फिर भी चाहत अधूरी हीं रहती है. कहानिया शीर्षकों और उपशीर्षकों में बांटी गयी है ताकि आप अपने मनपसन्द हिस्से तक आसानी से पहुँच सकें. कहानियाँ सेरों से सजी हुई हैं जिनकी गजलें अंत में दी गयी हैं.