टैक्सी चालक या एक अधिकारी

कथेतर
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अप्रैल १९९४ के दौरान, मैं पुणे में एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में शामिल हो गया। कई वर्षों तक एक प्रतिष्ठित कार एवं ट्रक बनानेवाली कंपनी में सॉफ्टवेयर क्षेत्र में रहने के बाद, मैं ऐसी कंपनी में काम करना चाहता था जो वैश्विक बाजार के लिए पूर्ण शुद्ध सॉफ्टवेयर उत्पाद विकसित करनेवाली हो और यह नई बहुराष्ट्रीय कंपनी पुणे में भारत में अपना नया संशोधन केंद्र स्थापित कर रही थी। हमारा पुणे कार्यालय अभी पूरा नहीं हुआ था और यह सुसज्जित हो रहा था। मुझे जून १९९४ में ब्रिटन के संशोधन केन्द्र में प्रतिनियुक्त किया गया था और मुझे ब्रिटन जाना पड़ा । वह यूरोप का ब्रिटेन के बकिंघमशायर में स्थित एक संशोधन केंद्र था जिस जगह का नाम हाय वायकोम्ब था। मैं शुरुआती योजना के अनुसार चार से पांच महीने वहां रहने वाला था।

मैंने शाम को पुने से ७ बजे मुंबई के लिए उड़ान भरी क्योंकि लण्डन हिथ्रो के लिए मेरी उड़ान भारतीय मानक समयानुसार रात ११ बजे मुंबई थी। मैं रात ८ बजे मुंबई एयरपोर्ट पहुंचा। मेरी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा की सभी आवश्यक औपचारिकताएँ मैने पुरी कीं। विमान ने भारतीय समयानुसार रात ११ बजे उड़ान भरी। मैंने ब्रिटिश एयरवेज के हवाई जहाज से मुंबई से हीथ्रो के लिए उड़ान भरी। मैं अगले दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे हीथ्रो पहुंचा। यह मेरी तीसरी विदेश यात्रा थी।

मुझे पहले ही बताया गया था कि हीथ्रो हवाई अड्डे पर कोई मुझे लेने आ रहा है। एक बहुत अच्छा सूट पहने एक ब्रिटिश व्यक्ति मुझे लेने आया था। जब मैं ट्रॉली पर रखा अपना सामान लेकर एयरपोर्ट से बाहर आया तो उसने मेरी नेम प्लेट अपने हाथ में पकड़ रखी थी। मुझे नहीं पता था कि वह टैक्सी ड्राइवर है या यूके में हमारी कंपनी में अधिकारी है। उनके ब्रिटिश उच्चारण के कारण मुझे शुरू में उनकी अंग्रेजी बिल्कुल भी समझ नहीं आयी । उसने ट्रॉली से मेरा बैग लेने के लिए कदम उठाए लेकिन मैंने मना कर दिया और अपना बैग उसकी अपनी टैक्सी की डिक्की में डाल दिया। कार में मैं पिछली सीट पर बैठ गया। उसने मुझे कुछ चॉकलेट की पेशकश की लेकिन मैंने कहा नहीं। फिर उसने पूछा कि क्या आपको कुछ जूस पसंद है और मैंने कहा नहीं। मैं बहुत थका हुआ था। विमान में खाना भी इतना अच्छा नहीं था। मुझे हवाई जहाज में भी ठीक से नींद भी नहीं आयी थी ।

मेरा अपार्टमेंट हवाई अड्डे से ४५ - ६० मिनट के दुरी पर था। जब हम गाडी से जा रहे थे तो हमने थोड़ी बातचीत की। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं पहली बार यूके आया हूं या मैं इससे पहले यूके आ चुका हूं। मैंने उनसे कहा कि यह मेरी ब्रिटेन की पहली यात्रा है। उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि वह मुझे अगले वीकेंड मे लंदन दिखा ने ले जा सकते है और मैंने शुरू में उन्हें हां कह दिया। तब तक यह पता नहीं चल पाया था कि वह टैक्सी ड्राइवर है या मेरी कंपनी का कोई अधिकारी । उनका आतिथ्य प्रशंसनीय था। हवाई अड्डे से मेरे अपार्टमेंट के रास्ते में, सुंदर बाहरी द्रूश्य, घने हरे वृक्षों के जंगल, लंबी लंबी फैली हुई हरी घास सुंदर और मनमोहक नजर आ रही थी। मौसम सुहाना था, हलकी बारिश भी हो रही थी, ठण्ड भी मुझे एहसास हो रही थी।

मैं अंत में अपनी कंपनी के अपार्टमेंट में पहुँच गया। मैंने टैक्सी के डिक्की से मेरे बैग निकाले और टैक्सी ड्राइवर का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने मुझे अपना बिजनेस कार्ड दिया। कार्ड देखने के बाद मुझे पता चला कि वह टैक्सी ड्राइवर है। मैंने उन्हें टिप के तौर पर दस पाउंड दिए। फिर मैंने सोचा कि अगले सप्ताह के अंत में लंदन की पूरी टैक्सी लेने में मेरे १०० - २०० पाउंड खर्च होंगे, उन्हें तो मैंने शुरू में लण्डन के सफर के लिए हां कहा था। कंपनी द्वारा मुझे दिया गया छोटा सा भत्ता मेरे लिए लंदन देखने के लिए टैक्सी पर खर्च करने के लिए पर्याप्त नहीं था। मैं असमंजस में था कि में लंदन देखने के लिए उन्हें दिए गए अपने शब्दों का मान कैसे रखूं। मैं थोड़ा भ्रमित था। बेशक मैंने उसके साथ सफर नही किया , वह एक अलग कहानी है। मैंने सोचा कि अगर मेरी कंपनी के अधिकारी मुझे लंदन दिखाएंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। टैक्सी चालक के पास एक टैक्सी कंपनी थी। मुझे बाद में पता चला कि उसके पास आठ से दस टैक्सियाँ हैं और वह कई मौक़े पर खुद टैक्सी चलाता है । हम अपनी कार में अपने विदेशी मेहमानों को पुणे या मुंबई भी दिखाते हैं। हम उन्हें विभिन्न रुचि के स्थान भी दिखाते हैं क्योंकि वे हमारे अतिथि के रूप में आते हैं। लेकिन टैक्सी ड्राइवर एक पेशेवर था, इसलिए मैंने सोचा कि वह लंदन के सफर से मेरा मुफ्त में मनोरंजन क्यों करेगा। मैंने उसे अलविदा कहकर अपने अपार्टमेंट में प्रवेश किया।

जब मैं आया तो रविवार का दिन था। उस दिन मैंने थोड़ा आराम किया। उसी कंपनी से मेरा एक दोस्त अपने परिवार के साथ दो महीने पहले ही वहां आया हुआ था। उसने मुझे उस दिन रात के खाने पर आमंत्रित किया। कई चीजों पर हमारी अच्छी चर्चा भी हुई। अगले दिन मैं ऑफिस गया। मैं वहां के लोगों से मिला। कंपनी द्वारा प्रदान किया गया फ्लैट मेरे कार्यालय से पैदल दूरी पर था।

कंपनी ने मुझे एक अच्छा फ्लैट दिया था। फ्लैट पूरी तरह से सुसज्जित था। मेरे अपार्टमेंट के बीस फीट पीछे पानी की एक छोटी सी धारा बहती थी। मेरा अपार्टमेंट भूतल पर था। रोज सुबह मेरे फ्लैट के पास खूबसूरत कई बतख आती थीं। परिसर के पीछे एक बड़ी हरी घास की जमीन थी। वहां चरने वाले सफेद घोड़े और लकड़ी की सफेद दिवारे सुंदर थी। सैकड़ों एकड़ भूमि में फैली घास की तस्वीर का बहुत ही सुंदर दृश्य था।

निकटतम रेलवे स्टेशन वहाँ से ३ - ४ किमी दूर था जिसे हाय स्ट्रीट कहा जाता था। स्टेशन के लिए बहुत कम बस यात्राएँ थीं, इसलिए मैं अक्सर हाई स्ट्रीट स्टेशन जाने के लिए एक टैक्सी बुलाया करता था और वहाँ से मैं लंदन के विक्टोरिया स्टेशन जाता था। यात्रा के दौरान अक्सर मेरे साथ मेरे कुछ दोस्त होते थे। टैक्सी के ड्राइवर अक्सर पाकिस्तानी होते थे। समय के साथ हम अच्छे दोस्त बन गए क्योंकि हम वहां पहुंचने के लिए हमेशा उनसे ही टैक्सी लिया करते थे।

यूके में मेरा छह महीनो का वास्तव्य बहुत अच्छा रहा। मैंने और मेरे दोस्तों ने बहुत सफर की। मैं जिस पहली जगह पर जाना चाहता था वह मेरा सबसे पसंदीदा लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड था। जब मैं लॉर्ड्स ग्राउंड के पास पहुंचा और जब मैंने मुख्य द्वार से मैदान और मंडप को देखा तो मैं खुशी से झूम उठा। लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान, क्रिकेट का मक्का देखकर हमें बहुत खुशी हुई। फिर हमने विंबलडन मैदान का भी दौरा किया जो एक उत्कृष्ट अवसर था और इन मैदानों की यादें मैं हमेशा संजो कर रखूंगा।

कुछ महीने बाद, जब मैं अपने व्यवसायिक कार्य से वापस भारत लौटने वाला था, मैंने बहुत खरीदारी की। मैंने अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए उपहार खरीदे। मैंने अपनी बेटी के लिए बहुत सारे सॉफ्ट टॉय खरीदे; तब वह दो साल की भी नहीं थी। आज भी वह सॉफ्ट टॉयज मेरे घर मौजद है।

मेरे हीथ्रो से मुंबई वापस आने के दिन, कंपनी ने मुझे हीथ्रो हवाई अड्डे तक ले जाने के लिए उसी ड्राइवर को काम पर रखा था। मैं फिर से उस ड्राइवर से मिला जो टैक्सी कंपनी का मालिक था। हमारी अच्छी बातचीत हुई। वह मुझे एयरपोर्ट ले गए। आखिर में उन्हें अलविदा कहकर मैं एयरपोर्ट के अंदर आ गया। मैंने यात्रा की सभी औपचारिकताएँ पूरी कीं और प्रस्थान के लिए गेट पर प्रतीक्षा करने लगा।

कुल मिलाकर, मुझे आज भी उस टैक्सी कंपनी के मालिक के साथ हुए अद्भुत अनुभव याद हैं। इसमें कोई शक नहीं कि टैक्सी ड्राइवर का औपचारिक पहनावा और दोनों ही मौकों पर उन्होंने जो बेहतरीन मेहमाननवाजी की थी, उसे मैं हमेशा याद रखूंगा। कभी-कभी पूरी जानकारी के अभाव में ऐसा भ्रम पैदा हो जाता है और हम भ्रमित हो जाते हैं कि विदेश में हवाई अड्डे पर हमें रिसीव करने वाला व्यक्ति टैक्सी ड्राइवर है या उसी कंपनी का कोई अधिकारी । यह अनुभव कुछ ऐसा है जिसे मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकता।

कुल मिलाकर मेरी यूके की यात्रा उत्कृष्ट थी, मेरा प्रवास बहुत आरामदायक था, यूके में मैं जिन लोगों से मिला, वे बहुत अच्छे थे, जिन स्थानों पर मैं दोस्तों के साथ गया था, वे कुछ ऐसे हैं जिन्हें मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूलूंगा और लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान की यात्रा मेरे लिए आज भी यादगार हैं।

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