हिंदी में हास्य नाटकों की बहुत कमी है। कुछ पुराने नाटक हैं जो आज के संदर्भ में सही नहीं बैठते और इधर के नाटकों का स्तर बहुत संतोषजनक नहीं है। इस कमी को पूरा करेंगे डाॅ.कुमार संजय के ये दस हास्य नाटक। सभी नाटक पूर्व मंचित हैं और दर्शकों की वाह-वाही लूट चुके हैं। स्कूल तथा काॅलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ये नाटक चार चांद लगा देंगे। सभी नाटक आज की स्थिति को बयां करते हैं। हम भारतीयों का एक फेवरिट लाइन होता है-जानता नहीं मैं कौन हूं। बंदा भले ही कितना फटीचर क्यों न हो लेकिन दूसरों पर धौंस जमाने के लिए इस वाक्य का प्रयोग करने से नहीं चूकता। ‘जानता नहीं मैं कौन हूं’-इसी शीर्षक से एक नाटक है इस संकलन में। पढ़ेंगे तो आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे और मंचित करेंगे तो दर्शक। इसी तरह ‘ब्यूटीपार्लर’, ‘आज की हैप्पी फैमली’, ‘माॅडर्न इंटरव्यू’, ‘सेल्सगर्ल’, ‘हाय ये लड़कियां’ ऐसे नाटक हैं जो आपको गुदगुदाएंगे, हंसाएंगे और सोचने पर मजबूर भी करेंगे। इन नाटकों को पढ़िए, इनका मंचन कीजिए, खुद आनंद उठाइए और दूसरों को भी आनंदित कीजिए।