“आगरा टू दिल्ली - एक अधूरा सफर”
प्रेम कहानियों की एक खासियत होती है, कि अक्सर ये पूरी नहीं होती, क्योंकि प्रेमियों का मिलना यानी उनका बंधन में बंधना और प्रेम कोई बंधन नहीं, अपितु दुनिया के सभी बंधनों से मुक्ति का दूसरा नाम है। अल्हड़ सी उम्र का लगाव कब दबे पाँव यौवन में प्रेम की सीढ़ियां चढ़ गया इन दो दिलों को खबर तक नहीं हुई।
किसी का हमारी जिंदगी में आना और फिर जिंदगी बन जाना, यह शायद हमारे बस में होता है, लेकिन उस शख्स का जिंदगी बनकर जिंदगी भर के लिए ठहर जाना यह खेल किस्मत खेलती है। ऐसी ही एक प्रेम कहानी जिसने बचपन से किशोरावस्था का सफर तय कर, यौवन के बागीचे में खुशबू बिखेरने को परिपक्कव हुआ, लेकिन परिस्थितियां और नसीब कब किससे क्या करा दें यह हमारे हाथ में नहीं होता, दो दिल चाहते हुए भी एक नहीं हो पाते, आखिर क्यों हर बार मोहब्बत किस्मत से हार जाती है? हर प्रेम कहानी आंखों को नम कर जाती है, मीलों की दूरियां तय करना आसान है यहां, लकीरों की दूरियों में पाँव दम तोड़ जाते हैं।
कुछ ऐसी ही है, “आगरा टू दिल्ली - एक अधूरा सफर” की कहानी जो शायद कहानी में अधूरी रहकर भी दिलों में पूरी हो गई।