कैंसर के आतिजीवन की यह मां की कहानी है। जिसने 8महीने इस पर अपना पूरा जीवन लोहा लिया। ईश्वर की अनुग्रह और परिवार की सहमति से जीवन में वापस आयी। उसकी सारी यातनाएं और कैंसर वार्ड की अन्य बातें भी बताते हैं।
दिव्या लक्ष्मी का जन्म केरल के तृशूर जिला में हुआ ।उनका माता :मैत्री है। पिता : बाहुलेयन है। प्राथमिक शिक्षा बी पी एम एस एन डी पी , सरकारी मॉडल बॉयज हायर सेकेंडरी इरिजालकुडा में हुई । उच्च शिक्षण सेंट जोसेफ में थी। एमबीए ग्रैजुएट है। बचपन में हिंदी कविताएं लिखी थी।जीवित अनुभव के द्वारा लिखी हुई यह पुस्तक लोगों को अर्बुद से आत्मविश्वास के साथ लडने का चेतावनी देती है।