त्रेता युग- सबके अनुग्रह करने के बाद भी रावण ने सीता जी को वापिस लौटाने की चिंता नहीं की, वो जनता था की उसे हराना असम्भव है। लेकिन उसे ये आभास होने लगा था की इस युद्ध में कुछ अनिष्ट हो सकता है, इसीलिए वो ऐसे कार्य में लग गया की उसका अस्तित्व ही ना मिटे, ना मनुष्य के हाथों, ना देवता के हाथों, वो हमेशा धरती पर रहेगा और राज करेगा।
द्वापर युग – भगवान कृष्ण देख रहे थी कि, रावण ने जो असम्भव अनुषठान त्रेता युग में किया उसकी वजह से, इस युग में पाप बहुत अधिक बढ़ गया है। इसीलिए उसकी काट के लिए भगवान कृष्ण हिमालय पर गए, महादेव से आशीर्वाद लेने, ताकि रावण की काट पैदा की जा सके।
कलियुग – रावण की काली शक्ति ने कलियुग में एक राक्षस पैदा कर दिया। इधर भगवान कृष्ण के चमत्कार से जन्मी एक दैविय आत्मा ने कलियुग को एक महानायक दे दिया। दोनो आमने सामने हैं जिसकी चपेट में, मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के वैष्णव और कैथी, वाराणसी के शैव सम्प्रदाय के लोग आ चुके हैं।
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