आत्मसम्मान के साथ जीना सभी चाहते है, और जीना भी चाहिए। आत्मसम्मान के साथ जीना आपका हक़ है, इसे हासिल करें।
जहाँ आप, आत्मसम्मान के साथ न रह पाएं, उस स्थान को छोड़कर अन्य स्थान पर चले जाएं, किन्तु आत्मसम्मान के साथ समझौता न करें।
आत्मसम्मान जीवन जीने की नींव है, इसे हर कीमत पर बचाया जाना चाहिये।
आत्मसम्मान सभी को प्यारा होता है, आत्मसम्मान की रक्षा हर कीमत पर की जानी चाहिए, जीवन एक बार मिला है इसे आत्मसम्मान के साथ जियें। जीवन में लोगो के सामने कई परेशानियां आती है, परेशानियां का आना स्वाभाविक है। जीवन बिना परेशानियों के असंभव है, इंसान का जन्म भी कई कठिनाईयों के बाद ही होता है।
समस्याएं आये तो जीवन में कई लोग थक हार कर बैठ जाते है, परन्तु जीवन रुकने के लिए नहीं बना है। जीवन में समय किसी के लिए नहीं रुकता, यदि किसी अपने की मृत्यु भी हो जाये तब भी यह नहीं रुकता। जीवन के दोनों पहलु है सकारात्मक भी और नकारात्मक भी, सकारात्मक व्यक्ति इसे हर स्थिति में सकारात्मक रूप में देखते है, वहीं जो लोग नकारात्मक होते है वे हर स्थिति में नकारात्मकता ढूंढ ही लेते है।
मानव जीवन का मिलना किसी सौभाग्य से काम नही है, इस जीवन को भरपूर जिया जाये और इसका दूसरों के लिए सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया जाना जरुरी होता है।
जीवन की सार्थकता निरंतर चलते रहने में है, कठिनाई तो आते ही रहती है, मायूस होकर रुक जाना या फिर असफलता मिलने पर हारकर बैठ जाना इस आदत को बदला जा सकता है। जब हम जीवन को समझते है तब हम इसकी सार्थकता को भी समझ पाते है।
जीवन एक नदी है तो आप उसमे बैठे नाविक है, यदि आपकी मंजिल समंदर है तो रुक जाने से काम नहीं चलेगा। मंजिल की चाहत है तो लगातार चलते रहना होगा।