इश्क़, प्यार, मोहब्बत, प्रेम या अनुराग, जो भी कहिए, इसके अस्तित्ववान होने की एक मधुर पृष्ठभूमि होती है। प्रेमी और प्रेमिका को अनन्य अहसासों का पूर्वाभास भी होता है और इन्हीं पूर्वाभासों की प्रेरणा से संवाद के अनेक प्रत्यक्ष या परोक्ष माध्यम भी निकल आते हैं।
प्रेम हर पल पल्लवित होता है और प्रेमी का दिल उस छोटी-सी चिड़िया की तरह कलरव करता रहता है, जो विशाल वृक्ष की फुनगी पर बैठ कर सूर्योदय के समय सूरज को उगता देख कर चहकती है।
हृदय के उस कोने से, जहां प्यार संचित, सिंचित और संप्रेषित होता है – उसी की दास्तान लिखी है इस पुस्तक में।
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